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नन्हे हिरण को अपने बच्चे की तरह पालकर इस परिवार ने पेश की मिसाल, रेस्क्यू सेंटर भेजने से पहले रखा सामूहिक भोज

जोधपुर में बिश्नोई समाज अपने पशु-प्रेम के लिए जाना जाता है. ये हिरण, चिंकारा और अन्य जानवरों को अपने बच्चों की तरह पालते हैं.

Bishnoi Family took care of deer Bishnoi Family took care of deer
हाइलाइट्स
  • शिव सुभाग मांजू व उसकी पत्नी ने एक हिरण के बच्चे की अपने बच्चे की तरह परवरिश की है

  • परिवार ने हिरण के बच्चे का नाम "लोरेंस" रखा है

राजस्थान में वन्यजीवों और पर्यावरण की रक्षा के लिए जाने जाने वाले बिश्नोई समाज के एक परिवार ने अनूठी मिसाल पेश की है. जोधपुर जिले के धोलिया गांव के शिव सुभाग मांजू व उसकी पत्नी ने एक हिरण के बच्चे की अपने बच्चे की तरह परवरिश की है. और अब जब उसे लोहावट में स्थित रेस्क्यू सेंटर भेजा तो उसके लिए सामूहिक भोज का आयोजन किया गया. 

जिले के सनावडा गांव के पास करीब नौ माह पहले एक मादा हिरण ने बच्चे को जन्म दिया था. जन्म देने के 15 दिन बाद मादा हिरण  पर कुत्तों ने हमला कर दिया और उसकी मौत हो गई. जिसके बाद शिव सुभाग उस हिरण के बच्चे को घर ले आए. उन्होंने अपनी पत्नी सोनिया के साथ मिलकर हिरण के बच्चे को अपने बच्चे की तरह पाला है. 

हिरण के लिए कराया जागरण और भोज

वे उस हिरण के बच्चे को गाय का दूध पिलाते थे. हिरण का बच्चा अब नौ महीने का हो चुका हैं और एकदम तंदुरूस्त है. शिवसुभाग के परिवार ने हिरण के बच्चे का नाम "लोरेंस" रखा है. यह हिरण भी इस परिवार के सदस्य की तरह रहने लगा था. थोड़ा दूर चले जाने पर जैसे ही परिवार के लोग उसका नाम से पुकारते हैं तो वह दौड़ते हुए उनके पास आ जाता है. 

लेकिन अब वह कुदने-फांदने लगा है तो घर से निकल जाता है. पर गांव में आवारा कुत्तों के हमले का डर रहता है. इसलिए परिवार ने हिरण को रेस्क्यू सेंटर भेजने का फैसला किया. पर भेजने से पहले उन्होंने रात को जागरण करके सुबह में सामूहिक भोजन का आयोजन किया. उन्होंने लोरेंस को बेटी की तरह विदाई देते हुए रेस्क्यू सेंटर भिजवाया. 

आपको बता दें कि बिश्नोईयों के गांवों में हिरण और चिंकारा परिवार के बच्चों की भांति पाले जाते हैं. यह समाज वन्यजीवों और पर्यावरण के प्रति समर्पित है. 

(अशोक शर्मा की रिपोर्ट)