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Waste to Wealth: यात्रियों के छोड़े गए प्लास्टिक के कचरे से पैसा कमा रहा है यह नगर निगम, बना रहे हैं ईंटें

उत्तराखंड के जोशीमठ में नगर निगम ने प्लास्टिक के कचरे से निपटने का अनोखा तरीका शुरू किया है. प्लास्चिक के कचरे से निगम ईंटें बनवा रहा है और इससे पैसे कमाए जा रहे हैं.

Plastic waste to wealth Plastic waste to wealth

उत्तराखंड में, जोशीमठ नगर पालिका ने चार धाम तीर्थयात्रा मार्ग पर लापरवाही से फेंके गए प्लास्टिक कचरे का सफलतापुर्वक निपटान करते हुए, इस प्रक्रिया को एक उद्यम में बदल दिया है. नगर पालिका ने हाल के दिनों में तीर्थयात्रा मार्ग से तीन टन से ज्यादा प्लास्टिक कचरा इकट्ठा किया है, इसे रिसायकल करके उन्हें 1.2 करोड़ रुपये का टर्नओवर मिला है. 

पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से, इस पहल ने न केवल प्रदूषण को कम किया है बल्कि नगर पालिका की आय में भी बढ़ोतरी हुई है. इकट्ठे किए गए कचरे में से ज्यादातर सड़क के किनारे तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के छोड़े गए मिनरल पानी और कोल्ड ड्रिंक की बोतलें हैं. 

प्लास्टिक वेस्ट से बना रहे हैं ईंटें
गोपेश्वर नगर निगम के कार्यकारी अधिकारी प्रीतम सिंह नेगी ने टीएनआईई को बताया, "यह प्लास्टिक कचरा भीमतल्ला, खेत्रपाल, कोटिया सेन और बद्रीनाथ मार्ग के अन्य स्थानों से इकट्ठा किया जाता है." उन्होंने आगे कहा, “केदारनाथ मार्ग के किनारे के गांव, जिनमें गंगोल, सागर, मंडल, चोपता और रुद्रनाथ भी शामिल हैं, जहां पर्यटक अक्सर खाली बोतलें फेंक देते हैं. नगर पालिका इस प्लास्टिक कचरे को कंप्रेस करके ईंटें बनाती है और फिर उन्हें बेच देती है.”

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गोपेश्वर नगर निगम जोशीमठ से पांडुकेश्वर तक सफाई अभियान के लिए जिम्मेदार है, जो बद्रीनाथ यात्रा मार्ग पर एक प्रमुख पड़ाव है, साथ ही हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी मार्ग भी है. पर्यावरण कार्यकर्ता चंदन नयाल का कहना है कि प्लास्टिक कचरे की रिसायक्लिंग से पैसे कमाने के साथ-साथ पर्यावरण को संरक्षित करना एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है, क्योंकि हर दिन औसतन 75,000 तीर्थयात्री चार धाम और हेमकुंड साहिब की यात्रा करते हैं.