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हॉकी वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में चमके लखनऊ के एसएन तिवारी, पिता को जिलाधिकारी ने किया सम्मानित

भारतीय टीम जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में पहुंच गई है. क्वार्टर फाइनल मैच में भारत का मुकाबला बेल्जियम के साथ हुआ. इस मैच में भारत ने बेल्जियम को 1-0 से हराकर सेमीफाइलन में जगह बनाई. अब सेमीफाइनल में भारत का मुकाबला जर्मनी से होगा. भारत से पहले नीदरलैंड्स, जर्मनी पहले ही सेमीफाइनल में पहुंच चुके हैं. भारत की ओर से एसएन तिवारी ने मैच के 21वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर पर गोल किया. उन्होंने पहले कार्नर को गोल में बदलकर भारत को 1-0 से आगे कर दिया.

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हाइलाइट्स
  • बचपन से ही हॉकी प्लेयर बनना चाहते थे सारदा नंद

  • डीएम ने किया सम्मानित

भारतीय टीम जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में पहुंच गई है. क्वार्टर फाइनल मैच में भारत का मुकाबला बेल्जियम के साथ हुआ. इस मैच में भारत ने बेल्जियम को 1-0 से हराकर सेमीफाइलन में जगह बनाई. अब सेमीफाइनल में भारत का मुकाबला जर्मनी से होगा. भारत से पहले नीदरलैंड्स, जर्मनी पहले ही सेमीफाइनल में पहुंच चुके हैं. भारत की ओर से एसएन तिवारी ने मैच के 21वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर पर गोल किया. उन्होंने पहले कार्नर को गोल में बदलकर भारत को 1-0 से आगे कर दिया. मैच भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम में खेला गया था.

डीएम ने किया सम्मानित
सारदा नंद  तिवारी के इस गोल की बदौलत टीम बड़ी जीत पाने में कामयाब रही और सेमीफाइनल में अपनी जगह बनाई. श्रद्धानंद की इस उपलब्धि से खुश होकर लखनऊ के डीएम अभिषेक प्रकाश ने उनके पिता को ऑफिस बुलाकर सम्मानित किया और बेटे के उज्जवल भविष्य की कामना की. डीएम ने कहा, "मुझे खुशी है कि उनके पिता हमारे यहां होमगार्ड में हैं और बहुत छोटे पद पर होने के बावजूद हमे आज इनपर गर्व है. हम और सरकार यूं ही उनकी मदद करते रहेंगे ताकि वो देश का नाम ऐसे ही रोशन करते रहें."

10,000 हजार में चलाते हैं घर-खर्च
हॉकी प्लेयर सारदा नंद  तिवारी के पिता होमगार्ड हैं. उन्होंने गरीबी में बच्चों का पालन-पोषण किया. उनसे बात करने के लिए हमारी टीम उनके घर पहुंची और उनके परिवार के बारे में जानने की कोशिश की. एसएन तिवारी अपने दो भाइयों में दूसरे नंबर पर हैं और उनकी एक बहन भी है. उनके पिता होमगार्ड की नौकरी करते हैं और पूरे घर का खर्चा मात्र 10,000 रूपये में चलता है. बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि वो बहुत खुश हैं कि उनके बेटे ने देश का नाम रोशन किया.

वहीं सारदा नंद की मां ने बताया कि उन्होंने अपनी जिंदगी बहुत मुफलिसी में काटी है. वह कहती हैं कि उनके पास खाने को कुछ नहीं था. दूसरों से मांगकर वह अपने घर का खर्चा चलाती थीं. हम उसे अच्छी शिक्षा तो नहीं दे पाए लेकिन इसके बावजूद हमारे बेटे ने हमारा नाम रोशन किया हमें इस बात पर गर्व है. मैं चाहती हूं कि वो आगे भी देश का नाम यूं ही रोशन करता रहे.

बचपन से ही हॉकी प्लेयर बनना चाहते थे सारदा नंद
सारदा नंद  तिवारी के भाई ने बताया कि वह बचपन से ही बड़े सपने देखते थे. उन्होंने कहा, "जब वह छोटा था तो हॉकी खेलने जाता था और कभी सुबह हमेशा 5:00 बजे उठ जाता था. मैं उससे कभी-कभार कहता था कि सो जाओ तो कहता था कि सोउंगा उस दिन जब अपने सपने पूरे कर लूंगा."

भारतीय टीम जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप की डिफेंडिंग चैंपियन भी है. साल 2016 में लखनऊ में हुए पिछले टूर्नामेंट के फाइनल में भारत ने बेल्जियम को ही हराकर खिताब यह जीता था. तब भारतीय टीम 2-1 से जीती थी.