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Justice BR Gavai: कौन हैं जस्टिस बीआर गवई... जो होंगे देश के अगले मुख्य न्यायाधीश, राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की दी रिहाई... नोटबंदी को ठहराया वैध, जानिए इनके 5 बड़े फैसले 

Justice BR Gavai Profile: चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस बीआर गवई के नाम की आधिकारिक सिफारिश की है. उनके नाम को मंजूरी के लिए केंद्रीय कानून मंत्रालय को भेजा गया है. आइए जानते हैं कौन हैं जस्टिस बीआर गवई और इनके द्वारा लिए गए 5 बड़े फैसलों के बारे में. 

Justice BR Gavai (File Photo: PTI)  Justice BR Gavai (File Photo: PTI) 
हाइलाइट्स
  • जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई होंगे सुप्रीम कोर्ट के अगले चीफ जस्टिस 

  • सीजेआई संजीव खन्ना ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में की उनके नाम की सिफारिश

Justice BR Gavai Next CJI: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के अगले मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) यानी सीजेआई (CJI) जस्टिस बीआर गवई (Justice BR Gavai) होंगे. मौजूदा चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस बीआर गवई के नाम की आधिकारिक सिफारिश की है. उनके नाम को मंजूरी के लिए केंद्रीय कानून मंत्रालय को भेजा गया है. कानून मंत्रालय ने परंपरा के मुताबिक मौजूदा सीजेआई से उनके उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश मांगी थी. जस्टिस बीआर गवई देश के दूसरे दलित सीजेआई बनने जा रहे हैं.

52वें मुख्य न्यायाधीश होंगे जस्टिस बीआर गवई 
13 मई 2025 को जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. इसके बाद 14 मई 2025 को 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस बीआर गवई कार्यभार संभालेंगे. वह 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे. इस तरह से प्रधान न्यायाधीश के रूप में जस्टिस बीआर गवई का कार्यकाल छह महीने से थोड़ा अधिक होगा.

कौन हैं जस्टिस बीआर गवई
बीआर गवई का पूरा नाम भूषण रामकृष्ण गवई है. इनका जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ था. उनके पिता आरएस गवई एक प्रसिद्ध राजनेता थे, जो रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई) से सांसद और बाद में राज्यपाल रहे. उनके भाई राजेंद्र गवई भी एक राजनेता हैं. बीआर गवई ने अपनी कानून की पढ़ाई नागपुर विश्वविद्यालय से पूरी की है. 

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बीआर गवई ने 16 मार्च 1985 को वकालत शुरू की थी. उन्होंने 1990 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की. इसके बाद बीआर गवई अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट, नागपुर खंडपीठ में सहायक सरकारी अभिभाषक और एडिशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर नियुक्त किए गए. 17 जनवरी 2000 को बीआर गवई नागपुर खंडपीठ के लिए सरकारी अभिभाषक और पब्लिक प्रॉसीक्यूटर नियुक्त किए गए. इसके बाद बीआर गवई 14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए. वह 12 नवंबर 2005 को स्थाई न्यायाधीश बने. जस्टिस बीआर गवई को 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया. अब वह मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे हैं. 

जस्टिस बीआर गवई ने सुनाए ये 5 अहम फैसले
1. राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई: जस्टिस बीआर गवई सुप्रीम कोर्ट में कई संविधान पीठ का हिस्सा रहे हैं. इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं. जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने साल 2022 में राजीव गांधी हत्याकांड के आरोप में 30 साल से ज्यादा समय से जेल में बंद छह दोषियों की रिहाई का आदेश दिया, यह मानते हुए कि तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल ने कोई कार्रवाई नहीं की थी. 

2. नोटबंदी को ठहराया वैध: साल 2023 में जस्टिस बीआर गवई पांच न्यायाधीशों वाली उस संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने 4:1 के बहुमत से केंद्र सरकार के साल 2016 में लिए गए नोटबंदी के फैसले को वैध ठहराया था. इसमें कहा था कि नोटबंदी का निर्णय केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच परामर्श के बाद लिया गया था और यह 'अनुपातिकता की कसौटी' पर खरा उतरता है.

3. ईडी निदेशक संजय मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को अवैध बताया: जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने जुलाई 2023 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल के तीसरे विस्तार को अवैध घोषित किया और उन्हें 31 जुलाई 2023 तक पद छोड़ने का निर्देश दिया था. 

4. आर्टिकल 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को रखा था बरकरार: जस्टिस बीआर गवाई पांच जजों वाली संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने दिसंबर 2023 में पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को सर्वसम्मति से बरकरार रखा था.

5. बुलडोजर एक्शन पर लगाई रोक: जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने साल 2024 में यूपी में बुल्‍डोजर एक्‍शन पर रोक लगाने वाला फैसला सुनाया था. इसमें साफ कहा था क‍ि आरोपी या दोषी होने के आधार पर किसी की संपत्ति को बुलडोजर से ध्वस्त करना असंवैधानिक है.कार्रवाई बिना कानूनी प्रक्रिया के नहीं कर सकते. यदि ऐसा किया जाता है तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होगा.कार्यपालिका जज नहीं बन सकती और संपत्ति को ध्वस्त नहीं कर सकती.