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Justice Fathima Beevi: सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज... समानता की पुरजोर वकालत करते हुए सुनाए थे कई ऐतिहासिक फैसले

जस्टिस एम फातिमा बीवी ने केरल में एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया था. इसके बाद साल 1989 में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुई पहली महिला जज बनकर इतिहास रचा था. हालांकि, वे 1993 में रिटायर हो गई थीं जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य और फिर तमिलनाडु के राज्यपाल के रूप में काम किया. 

Justice Fathima Beevi Justice Fathima Beevi
हाइलाइट्स
  • वकील के रूप में करियर किया था शुरू 

  • समानता की पुरजोर वकालत की

सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश एम फातिमा बीवी का निधन 96 साल की उम्र में हो गया. जस्टिस एम फातिमा बीवी सुप्रीम कोर्ट की जज बनने वाली पहली महिला थीं. इतना ही नहीं बल्कि वे सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने वाली पहली मुस्लिम महिला जज भी थीं. उन्होंने भारतीय न्यायपालिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में बड़ा योगदान दिया है. 

जस्टिस एम फातिमा बीवी को उनके कई जाने-माने केस के लिए जाना जाता है. इसमें राजीव गांधी हत्या मामले से लेकर रतन चंद हीरा चंद बनाम अस्कर नवाज जंग जैसे केस शामिल हैं. केरल में जन्मी जस्टिस एम फातिमा बीवी ने 1950 में बार काउंसिल परीक्षा में टॉप किया था और बार काउंसिल गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाली वह पहली महिला बनी थीं.

वकील के रूप में करियर किया था शुरू 

जस्टिस एम फातिमा बीवी ने केरल में एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया था. 1974 में जिला और सेशन कोर्ट में उन्होंने जज के रूप में ज्वाइन किया. 1983 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की जज के रूप में कार्यभार संभाला. उन्होंने 1989 में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुई पहली महिला जज बनकर इतिहास रचा था. हालांकि, वे 1993 में रिटायर हो गई थीं जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य और फिर तमिलनाडु के राज्यपाल के रूप में काम किया. 

न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 

भले ही भारतीय न्यायपालिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में प्रगति हुई है, लेकिन यह अभी भी कम है. पिछले कई सालों में कुछ ही महिलाएं हैं जिन्होंने जुडिशरी में अपना नाम किया है. जस्टिस एम फातिमा बीवी भी उन्हीं में से एक हैं. उन्होंने सभी बाधाओं को तोड़ते हुए भारत के सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनकर एक अलग अध्याय लिख दिया था. उन्हें उनके कई सारे जाने-माने केस में दिए गए बड़े निर्णयों के लिए जाना जाता है.

जस्टिस एम फातिमा बीवी ने जज के रूप में अपने कार्यकाल में बड़े-बड़े फैसले सुनाए- 

-अनुसूचित जाति और कमजोर वर्ग कल्याण संघ बनाम कर्नाटक राज्य (1991) का केस भी उन्हीं में से एक है. इस मामले में कर्नाटक में अनुसूचित जाति और समाज के कमजोर वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाला कल्याण संघ शामिल था, जिसने कर्नाटक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (नियुक्तियों का आरक्षण) अधिनियम के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी थी. जस्टिस फातिमा बीवी मामले की सुनवाई कर रही बेंच का हिस्सा थीं. उन्होंने भारतीय संवैधानिक प्रणाली के मौलिक नियम पर जोर दिया था. 

-इसके अलावा जस्टिस एम फातिमा बीवी को रतन चंद हीरा चंद बनाम अस्कर नवाज जंग (late) वाले केस के लिए भी जाना जाता है. जस्टिस एम फातिमा बीवी ने कहा था कि गैरकानूनी वस्तु या विचार के साथ कोई भी समझौता कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है. 

-इसके अलावा, मूलचंद आदि बनाम जगदीश सिंह बेदी मामला भी काफी मशहूर है. यहां बेंच ने संविधान के अनुच्छेद 136 के दायरे पर गौर किया था. इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मजबूत और तार्किक कारणों के आधार पर दिया गया है, तो इसे बरकरार रखा जाना चाहिए. 

-इतना ही नहीं राजीव गांधी हत्या केस में भी उन्होंने न्याय और कानून के शासन को बनाए रखने के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को दिखाया था.

जस्टिस एम फातिमा बीवी ने न्यायपालिका में लैंगिक बाधाओं को तोड़ा और महिलाओं को इसमें प्रवेश करने के लिए प्रेरित किया. अपने पूरे करियर के दौरान, उन्होंने समानता की पुरजोर वकालत की और कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए जिन्हें आज भी याद किया जाता है.