कल सोशल मीडिया पर आपने चिलचिलाती गर्मी में छत पर बंधी दिल्ली की एक बच्ची का वीडियो जरूर देखा होगा. दरअसल उस वीडियो में जो बच्ची है, उसे उसके मां-बाप ने होमवर्क ना करने की वजह से सजा दी थी. अक्सर मां-बाप अपने बच्चों को उनकी गलतियों के लिए डांटते हैं, लेकिन कई बार कुछ मां-बाप इस डांट फटकार के चक्कर में अपने बच्चों पर इतने सख्त हो जाते हैं, कि वो भूल जाते हैं, कि वो अपनी खुद की औलाद के साथ ऐसा कर रहे हैं. कई बार स्कूलों में भी बच्चों को काफी कठोर सजा दी जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा करना कानूनी जुर्म है. किसी भी बच्चे को बुरी रह मारना-पीटना कानून की नजरों में जुर्म है, और आपको इसके लिए सजा हो सकती है. भारतीय कानून में बच्चों को पूरी तरह से प्रोटेक्ट किया गया है. दरअसल जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत ये सब संभव है. तो चलिए जान लेते हैं कि आखिर ये जुवेनाइल जस्टिस एक्ट क्या है?
क्या है जुवेनाइल जस्टिस एक्ट?
दिल्ली हाईकोर्ट के वकील अमित सिंह राठौर ने GNT डिजीटल से हुई एक बातचीत में बताया कि अगर पेरेंट्स अपने बच्चे से खुद मारपीट करते हैं तो उनके खिलाफ न सिर्फ आईपीसी की धाराओं के तहत बल्कि जेजे एक्ट के तहत भी केस बन सकता है. जेजे एक्ट में 18 साल से कम उम्र के बच्चों को भी बच्चा ही माना गया है. यानी कि आप 18 साल के कम उम्र के किसी भी बच्चे के साथ मारपीट करते हैं, तो आप पर जेजे एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है. एडवोकेट अमित बताते हैं कि जेजे एक्ट की धारा-75 के साथ अगर किसी बच्चे के साथ मारपीट होती है, गाली-गलौज होता है, या फिर उसे एक्सपोज किया जाता है या मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है, या नेगलेक्ट किया जाता है, तो ऐसे में जेजे एक्ट की धारा 75 के तहत तीन साल तक कैद या एक लाख रुपये जुर्माना का प्रावधान है. हालांकि अगर मां-बाप किसी ऐसा स्थिति में कोई ये कदम उठाते हैं, जिसमें मामला उनके कंट्रोल में ना हो तो ऐसे मामलों में इस धारा के दंडात्मक प्रावधान लागू नहीं होंगे.
बच्चों पर अपराध को लेकर ये है प्रावधान
वहीं अगर बच्चों पर ये अपराध किसी संगठन या प्रबंधन करने वाले किसी व्यक्ति द्वारा किया जाता है, जिसे बच्चे की देखभाल और संरक्षण सौंपा गया है, तो उसे पांच साल तक की जेल और पांच लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. इसके अलावा अगर बच्चे पर हुई क्रूरता के कारण यदि बच्चा शारीरिक रूप से अक्षम है या मानसिक रूप से बीमार हो जाता है या नियमित कार्यों को करने के लिए मानसिक रूप से अयोग्य हो जाता है, या किसी शरीर के किसी अंग से दुर्बल हो जाता है तो ऐसे में अपराधी व्यक्ति को कम से कम तीन से दस साल तक की जेल और पांच लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा.
कहां कर सकते हैं शिकायत?
अगर आपके बच्चे के स्कूल में बच्चे के साथ क्रूरता होती है, या फिर आप अपने पड़ोस में किसी मां-बाप को बच्चे के साथ क्रूरता करते देखते हैं, तो आप फौरन उसकी शिकायत अपने करीबी थाने या नैशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) और राज्य सरकार के एजुकेशन डिपार्टमेंट में कर सकते हैं. अगर बच्चे के साथ पेरेंट्स ही मारपीट करते हैं और उसे प्रताड़ित करते हैं तो एनसीपीसीआर या राज्य इकाई उस पेरेंट्स के खिलाफ शिकायत कर सकती है. वहीं अगर ये संज्ञेय अपराध होगा, तो पुलिस खुद भी केस दर्ज कर सकती है. वहीं अगर आईपीसी की बात करें तो पेरेंट्स के मारपीट करने पर उनके खिलाफ खिलाफ आईपीसी की धारा 323 के तहत केस दर्ज होगा, जो गैर-संज्ञेय है. हालांकि इसमें आरोपी की गिरफ्तारी नहीं होती है. लेकिन गंभीर मामलों में 10 साल या उम्र कैद तक का प्रावधान है.
नहीं दे सकते हैं कॉर्पोरल पनिशमेंट
स्कूल में बच्चों पर की जाने वाली किसी भी तरह की प्रताड़ना तो कॉर्पोरल पनिशमेंट माना गया है. जैसे चांटा मारना, कान खींचना आदि कॉर्पोरल पनिशमेंट के दायरे में आता है. या फिर किसी खास पोजीशन में खड़ा रखना, बेंच पर खड़ा करना, ठेस पहुंचाने वाला कमेंट करना या कुछ भी ऐसा करना जो बच्चे को शारीरिक और मानसिक तौर पर नुकसान पहुंचता है तो वह कॉर्पोरल पनिशमेंट माना जाएगा. इसके तहत दोषी के खिलाफ सख्त एक्शन का प्रावधान है.