केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया कि सरकार आपात स्थिति के दौरान तत्काल निकासी के लिए नए राजमार्गों के साथ हेलीपैड बनाने पर विचार कर रही है. नागरिक उड्डयन और सड़क परिवहन मंत्रालयों ने प्रस्ताव पर चर्चा की. नागरिक उड्डयन मंत्रालय विशेष रूप से दूरस्थ और पहाड़ी क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए हेलीकॉप्टरों के उपयोग को बढ़ाने पर जोर दे रहा है.
आपात स्थिति में मिलेगी तत्काल मदद
सिंधिया और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह दोनों ने हर जिले में हेलीपैड बनाने की वकालत की. यह चर्चा राष्ट्रीय राजधानी में नागरिक उड्डयन मंत्रियों के सम्मेलन में हो रही थी. सिंधिया ने कहा, "सभी नए राजमार्गों में हेलीपैड होने चाहिए ताकि बुनियादी ढांचा तैयार हो सके. राष्ट्रीय राजमार्गों पर हेलीपैड आपात स्थिति के दौरान तत्काल निकासी में मदद करेंगे."
इसके अलावा सरकार ने एम्स ऋषिकेश में आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए अगले कुछ हफ्तों में एक हेलीकॉप्टर तैनात करके 'प्रोजेक्ट संजीवनी' नामक एक हेलीकॉप्टर आपातकालीन चिकित्सा सेवा (एचईएमएस) पायलट को इनक्यूबेट करने का भी फैसला किया है. हेलीकॉप्टर 20 मिनट के नोटिस पर अस्पताल में स्थित होगा और इसमें 150 किमी के दायरे में सर्विस कवर होगा. वर्तमान में, लगभग 80 समर्पित हेलीकॉप्टर कॉरिडोर हैं.
कोरोना के समय सबसे प्रभावित सेक्टर
इस बीच मंत्री ने असम, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, तमिलनाडु, राजस्थान, बिहार और पंजाब सरकारों से अपने राज्यों में नागरिक उड्डयन क्षेत्र के विकास के लिए एटीएफ पर वैट कम करने का भी आग्रह किया है. उन्होंने इन आठ राज्यों में एटीएफ पर वैट कम करने पर हवाई जहाज की कनेक्टिविटी बढ़ाने का भी वादा किया. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कैसे नागरिक उड्डयन कोविड -19 महामारी के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र रहा है. केंद्रीय मंत्री ने कहा, “कोविड से पहले भारत का रिकॉर्ड प्रति दिन लगभग 4 लाख यात्रियों का था. हमने इस साल अप्रैल में और अभी कुछ दिन पहले दो बार उस रिकॉर्ड को तोड़ा. हमने इस बार एक दिन में 4.07 लाख से 4.1 लाख यात्रियों के बीच एक नया रिकॉर्ड हासिल किया है.”