पुलिसवालों के नकारात्मक किस्से तो अक्सर आपने सुने होंगे, लेकिन क्या कोई पुलिसवाला इतना भी सामाजिक हो सकता है कि अपना सारा काम छोड़कर गरीबों व जरूरतमंदों की मदद करे. ऐसा ही एक पुलिस वाला सुनील संधू है, जो गरीबों व जरूरतमंदों की मदद के लिए हर वक्त तैयार रहता है. आजकल की ठिठुरती सर्दी में सुनील को स्कूल जाकर कपड़े इकट्ठे करते हैं और उनको जरूरतमंदों को बांटते हैं.
पिता की सिखाई बात आज तक नहीं भूले
सुनील के परिवार में उनकी बूढ़ी मां, पत्नी व दो बच्चे हैं. उनके पिता का निधन हो चुका है, लेकिन अपने पिता की सिखाई एक बात को वो आज तक नहीं भूले. सुनील के पिता हमेशा से गरीबों व जरूरतमंदों की मदद करने को सबसे बड़ा पुण्य का काम बताते हैं, जिस को अब सुनील आगे बढ़ा रहे हैं. घर में कितना भी जरूरी काम हो लेकिन गरीबों की मदद के लिए सुनील हर वक्त तैयार रहते हैं.
एक घटना ने बदल दी जिंदगी
सुनील ने एक घटना के बारे में बात करते हुए कहा कि एक बार भट्ठे पर ईंट खरीदने के लिए गए तो वहां काम करने वाले मजदूरों के बच्चे को सर्दी में नंगे पांव ठिठुरते देखा तो दिल ऐसा पसीजा की तुरंत शहर जाकर बच्चे के लिए कपड़े खरीदकर लाए. गरीबी में ठिठुरते बचपन ने सुनील को अंदर से ऐसा झकझोरा कि जरूरतमंदों को वस्त्र बांटना ही लक्ष्य बना लिया. सुनील किसान परिवार से हैं और हरियाणा पुलिस में कॉन्स्टेबल की नौकरी करते हैं इसलिए सभी जरूरतमंदों को अपने खर्च पर नए कपड़े खरीदकर तो नहीं पहना सकते थे, लेकिन सहायता करने के इच्छुक लोगों से वस्त्र जमा करके जरूरतमंदों को बांटने का रास्ता निकाल लिया.
स्कूलों व आसपास से जमा करते हैं कपड़े
सुनील ने बताया कि उन्होंने सोशल मीडिया पर संदेश डाला कि किसी के घर पर ऐसे साफ सुथरे कपड़े या जूते चप्पल हों, जिन्हें वे जरूरतमंदों को देना चाहते हों तो संपर्क करें. उन्होंने स्कूलों में जाकर स्टाफ के माध्यम से बच्चों को प्रेरित किया कि छोटे हो चुके कपड़ों को जरूरमंद बच्चों के लिए दान दें. स्कूल में जाने और सोशल मीडिया पर मेसेज शेयर करने की वजह से उन्हें काफी सहायता मिली. बच्चे अपने घर से कपड़े लेकर आए. इससे इतने कपड़े जमा हो गए कि ट्रैक्टर-ट्राली व जिप्सी भरकर जरूरतमंदों की सहायता की गई.
प्रदेशभर से मिल रहा सहयोग
सुनील ने बताया कि उन्हें इस काम में प्रदेशभर से सहयोग मिल रहा है. कैथल के अलावा हिसार व अन्य कई जिलों से भी कपड़े जमा कर जरूरमंदों को बांटते हैं. इसके साथ ही वो छुट्टी के दिन कम से कम पांच स्कूलों में जाकर बच्चों व स्टाफ को प्रेरित करते हैं. उन्हें इस काम में परिवार व दोस्तों के अलावा समाजसेवी व्यक्तियों का भी सहयोग मिल रहा है. वेतन से कुछ रुपए बचाकर नए कपड़े खरीदकर भी जरूरतमंदों की सहायता करते हैं. सिर्फ एक ही लक्ष्य है कि कोई बिना कपड़े या जूतों के ठंड में न ठिठुरे.
गरीब बच्चों के चेहरे पर खुशी देखकर दिल को मिलता है सुकून
सुनील का कहना है कि जब वो कपड़े व जूते बांटने गरीबों की बस्ती में जाते हैं तो सभी बच्चे व बड़े पलके बिछाये उनका स्वागत करते हैं. छोटे-छोटे जरूरतमंद बच्चे कपड़े व जूते पाकर खुशी से झूम उठते हैं, जिसको देखकर पुलिसवाले का दिल सुकून से भर जाता है. लोग भी सुनील संधू को दुआएं देते है क्योंकि आज के जमाने में किसी के पास अपने परिवार के लिए समय नहीं है लेकिन सुनील गरीब परिवारों के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं. एक आदमी आगे एक की मदद करे यही चीज लेकर चल रहे हैं सुनील और आगे भी लोगों को यही सिखाते हैं.
100 से ज्यादा निकाल चुके हैं तिरंगा यात्रा
सुनील संधू को तिरंगा मैन के नाम से भी जाना जाता है. 100 से ज्यादा तिरंगा यात्रा निकालकर ये विद्यार्थियों व ग्रामीणों को देशभक्ति की भावना में रंग चुके हैं. सड़क पर पड़े 150 से ज्यादा घायलों को इन्होंने अस्पताल पहुंचाया है. पर्यावरण से सम्बंधित कार्य जैसे की किसानों को पराली ना जलाने व अधिक से अधिक पेड़ लगाने आदि के कार्य भी सुनील करते रहते हैं. इसके अलावा अगर शहर में कोई बच्चा परीक्षा देने दूसरे शहर से यहां आता है तो सुनील संधू उनके रहने व खाने पीने का भी प्रबंध करते हैं ताकि किसी भी परीक्षार्थी को दूसरे स्टेशन पर जाने पर किसी प्रकार की कोई दिक्क्त ना हो.
(हरियाणा से वीरेंद्र संधू की रिपोर्ट)