पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में सोमवार को एक एक्सप्रेस ट्रेन और मालगाड़ी की टक्कर में दो रेलवे कर्मचारियों सहित नौ लोगों की मौत हो गई और लगभग 50 अन्य घायल हो गए. कंचनजंगा एक्सप्रेस त्रिपुरा के अगरतला से कोलकाता के सियालदह जा रही थी, तभी न्यू जलपाईगुड़ी के करीब रंगपानी स्टेशन के पास एक मालगाड़ी ने उसे पीछे से टक्कर मार दी. इस दुर्घटना के बाद अफरा-तफरी मच गई. इस तरह की घटनाएं देश की व्यवस्था पर बहुत से सवाल खड़ा करती हैं. लेकिन साथ ही, इस बात पर भी विश्वास कराते हैं कि दुनिया में अच्छाई जिंदा है.
इस रेल दुर्घटना के बाद भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला, जब पास के एक गांव, निर्मल जोत के निवासी अपना बकरीद का जश्न छोड़कर घायल यात्रियों की मदद करने के लिए पहुंच गए. इस गांव के लिए सोमवार के दिन की शुरुआत जश्न के साथ हुई थी और ग्रामीणों ने नमाज अदा करके अपने दिन की शुरुआत की. मालगाड़ी और सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस के बीच टक्कर की खबर फैलने से ज्यादा समय नहीं हुआ था।
आवाज सुनते ही मदद को दौड़ पड़े लोग
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए गांव के कुछ निवासियों ने बताया कि जब वे नमाज अदा करके घर लौटे तो उन्होंने अचानक एक तेज़ आवाज़ सुनी. ऐसे में, कई लोग रेलवे ट्रैक की ओर भागे और पटरी से उतरे डिब्बे देखे. निर्मल जोत के 150 से ज्यादा निवासी तुरंत बचाव कार्यों में जुट गए. जश्न भूलकर, ग्रामीण यात्रियों को बचाने और घायलों की देखभाल में मदद करने के लिए दौड़ पड़े. एम्बुलेंस न आने के कारण, लोग कई यात्रियों को अपनी गाड़ियों से नजदीकी अस्पतालों में ले गए. बहुत से यात्रियों को तो ग्रामीणों ने अपने घर में भी शरण दी ताकि वे आराम कर सकें.
बताया जा रहा है कि पुलिस, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और आपदा प्रबंधन टीमें एक घंटे से ज्यादा समय के बाद दुर्घटनास्थल पर पहुंचीं. निर्मल जोत के निवासियों ने ट्रेन से बहुत से यात्रियों की जान बचाई. लोगों का कहना है था जब बालासोर ट्रेन दुर्घटना हुई थी, तब उन्होंने खबरें देखी थीं लेकिन कभी नहीं सोचा था कि वे खुद ऐसा कुछ देखेंगे.