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Karan Johar ने जीता 'शादी के डायरेक्टर' पर मुकदमा! जानिए क्या हैं Personality Rights और आपको क्यों पड़ सकता है इससे मतलब?

करण जौहर ने कोर्ट में याचिका दायर की थी कि फिल्म 'शादी के डायरेक्टर करण और जौहर' का नाम उनके नाम से मिलता-जुलता है, जिससे लोग भ्रमित हो सकते हैं कि यह फिल्म उनसे जुड़ी है. कोर्ट ने पाया कि फिल्म के नाम में "Karan" और "Johar" का इस्तेमाल करके निर्माता करण जौहर की लोकप्रियता का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे थे.

Karan Johar Karan Johar
हाइलाइट्स
  • आम लोग भी अपने नाम की सुरक्षा कर सकते हैं

  • भारत में पहले भी आ चुके हैं ऐसे केस 

किसी का भी नाम उसके लिए काफी मायने रखता है. और आज के डिजिटल युग में, नाम ही नहीं बल्कि चेहरा, आवाज और यहां तक कि हमारा स्टाइल भी हमारी पहचान का हिस्सा बन चुका है. लेकिन क्या होगा अगर कोई आपका नाम इस्तेमाल करके पैसे कमाए? या आपकी आवाज का उपयोग कर फर्जी विज्ञापन बनाए?

ऐसा ही कुछ हुआ बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर करण जौहर के साथ, जिन्होंने अपनी पर्सनैलिटी राइट्स (व्यक्तित्व अधिकार) की रक्षा के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. मामला था फिल्म 'शादी के डायरेक्टर करण और जौहर' से जुड़े उनके नाम के गलत इस्तेमाल का. मुंबई हाई कोर्ट ने करण जौहर के पक्ष में फैसला सुनाया और फिल्म पर रोक लगा दी.

लेकिन सवाल यह है कि पर्सनैलिटी राइट्स क्या होते हैं? क्या सिर्फ सेलिब्रिटीज़ के पास ही ये अधिकार होते हैं या आम आदमी भी इसका दावा कर सकता है? अगर कोई आपकी तस्वीर, नाम या आवाज का इस्तेमाल कर रहा है, तो आप क्या कर सकते हैं? 

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क्या हैं पर्सनैलिटी राइट्स?
पर्सनैलिटी राइट्स (Personality Rights) वे कानूनी अधिकार हैं, जो किसी व्यक्ति को अपने नाम, इमेज, आवाज, स्टाइल और दूसरे पहचान चिह्नों (Identity signs) के उपयोग पर कंट्रोल देते हैं. इन अधिकारों के तहत, कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति के किसी और की पहचान का व्यावसायिक या दूसरे फायदों के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता.

इसे दो भागों में बांटा जा सकता है:

  1. पब्लिसिटी राइट्स (Publicity Rights)- कोई भी व्यक्ति अपने नाम, इमेज या व्यक्तित्व का व्यावसायिक लाभ उठा सकता है.
  2. प्राइवेसी राइट्स (Privacy Rights)- यह किसी व्यक्ति को यह अधिकार देता है कि उसकी निजी पहचान या विवरण का गलत तरीके से उपयोग न हो.

भारत में पर्सनैलिटी राइट्स 
भारत में ट्रेडमार्क कानून (Trademark Act, 1999) और कॉपीराइट कानून (Copyright Act, 1957) जैसे अलग-अलग कानून पर्सनैलिटी राइट्स की सुरक्षा देते हैं. हालांकि, अभी तक इसे लेकर कोई विशेष कानून नहीं है जो इन्हें सीधे तौर पर इन सबको कंट्रोल करता हो. अधिकतर मामलों में, कोर्ट के फैसलों के आधार पर ही यह अधिकार तय होते हैं.

करण जौहर के नाम का इस्तेमाल पर कोर्ट का सख्त रुख
करण जौहर ने कोर्ट में याचिका दायर की थी कि फिल्म 'शादी के डायरेक्टर करण और जौहर' का नाम उनके नाम से मिलता-जुलता है, जिससे लोग भ्रमित हो सकते हैं कि यह फिल्म उनसे जुड़ी है. कोर्ट ने पाया कि फिल्म के नाम में "Karan" और "Johar" का इस्तेमाल करके निर्माता करण जौहर की लोकप्रियता का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे थे. कोर्ट ने कहा कि यह उनके पर्सनैलिटी और पब्लिसिटी राइट्स का उल्लंघन है और तुरंत प्रभाव से फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी गई.

क्या आपको भी हैं ये अधिकार? 
अगर आपको लग रहा है कि पर्सनैलिटी राइट्स सिर्फ मशहूर हस्तियों के लिए हैं, तो ऐसा नहीं है! ये अधिकार आम नागरिकों के लिए भी लागू होते हैं. कैसे? 

  • अगर कोई कंपनी आपकी फोटो किसी विज्ञापन में लगा दे और आपसे अनुमति न ले तो आप कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं और मुआवजा मांग सकते हैं.
  • अगर कोई आपकी आवाज़ का इस्तेमाल कर नकली वीडियो या विज्ञापन बना दे? यह भी पब्लिसिटी राइट्स का उल्लंघन है और आप कानूनी दावा कर सकते हैं.
  • अगर कोई आपकी पहचान का उपयोग कर सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट बनाए? तो आप IT कानूनों के तहत शिकायत दर्ज कर सकते हैं.

कुछ समय पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने टीवी एंकर राजत शर्मा के पक्ष में एक बड़ा फैसला सुनाया था. उनके नाम और आवाज का उपयोग कर नकली विज्ञापन बनाए जा रहे थे. कोर्ट ने तुरंत ऐसे वीडियो हटाने का आदेश दिया और उन लोगों की पहचान बताने के लिए मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम) को निर्देश दिया.

भारत में पहले भी आ चुके हैं ऐसे केस 
भारत में कई मशहूर हस्तियों ने अपने व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी है.

  1. अमिताभ बच्चन बनाम रजत नागी (2022)- कोर्ट ने माना कि किसी व्यक्ति के नाम और आवाज़ का व्यावसायिक लाभ उठाने का अधिकार सिर्फ उसी व्यक्ति को है.
  2. डालेर मेहंदी बनाम बेबी गिफ्ट हाउस- दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला दिया कि डालेर मेहंदी के नाम और छवि का बिना अनुमति के उपयोग करणा अवैध है.
  3.  टाइटन बनाम रामकुमार ज्वेलर्स- इस मामले में कोर्ट ने पब्लिसिटी राइट्स को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया.

अगर आपके पर्सनैलिटी राइट्स का उल्लंघन हो तो क्या करें?
अगर कोई आपके नाम, तस्वीर, आवाज या दूसरी व्यक्तिगत पहचान का गलत इस्तेमाल कर रहा है, तो आप नीचे दिए गए कदम उठा सकते हैं:

  • सबसे पहले सबूत इकट्ठा करें- स्क्रीनशॉट, वीडियो रिकॉर्डिंग या दूसरे डॉक्यूमेंट रखें.
  • उल्लंघन करने वाले को कानूनी नोटिस भेजें.
  • सोशल मीडिया कंपनियों (जैसे Meta, YouTube) से शिकायत करें.
  • अगर कोई व्यावसायिक नुकसान हुआ हो, तो अदालत में मामला दर्ज करें.

हालांकि, अभी तक भारत में पर्सनैलिटी राइट्स पर कोई विशेष कानून नहीं है. लोग ट्रेडमार्क, कॉपीराइट और संविधान के अनुच्छेद 21 (निजता का अधिकार) के तहत ही इन मामलों में न्याय की उम्मीद करते हैं. लेकिन डिजिटल युग में डीपफेक वीडियो, AI-जनरेटेड फेक कंटेंट और फर्जी विज्ञापन के बढ़ते मामलों को देखते हुए, भारत में भी अमेरिका और यूरोपीय देशों की तरह मजबूत पर्सनैलिटी राइट्स कानून की मांग की जा रही है.