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Karnataka High Court ने सुन-बोल न सकने वाली वकील को दिया दलीलें सामने रखने का मौका, रचा यह खास कीर्तिमान

सारा सनी भारत के किसी भी हाई कोर्ट में दलीलें रखने वाली पहली ऐसी वकील हैं जो बोल-सुन नहीं सकतीं. कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने उनके हौसले की दाद भी दी.

Sarah Sunny (Photo/Linkedin) Sarah Sunny (Photo/Linkedin)
हाइलाइट्स
  • सारा सनी ने कर्नाटक हाई कोर्ट में रखींं दलीलें

  • सुन-बोल न सकने के बावजूद वकालत करने वाली पहली वकील बनीं

कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक समावेशी कोर्ट रूम बनाने की ओर बड़ा कदम बढ़ाया है. बेंगलुरु में मौजूद उच्च न्यायालय ने सोमवार को पहली बार एक ऐसी वकील की दलीलें अपने सामने रखवाईं, जो बोल या सुन नहीं सकती. सारा सनी नाम की वकील ने साइन लैंग्वेज की मदद से अदालत के सामने अपनी बात रखी.

सारा सनी ने कोर्ट तक अपनी बात पहुंचाने के लिए एक साइन लैंग्वेज इंटरप्रेटर का सहारा लिया, जिसने उनकी सभी बातें न्यायाधीशों को समझाईं. अदालत ने सारा की इस मेहनत के लिए उनकी तारीफ दर्ज की. 

'अड़चनों को पार करने के लिए' अदालत ने की तारीफ
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, सारा भारत की पहली वकील हैं जो बोल-सुन न सकने के बावजूद कोर्ट में वकालत कर रही हैं. बार एंड बेंच के अनुसार, कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने अड़चनों को पार कर कोर्ट में अपनी बात रखने के लिए सारा की तारीफ की.

न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने कहा, "(प्रतिवादी-पत्नी) की वकील, सारा सनी ने साइन लैंग्वेज इंटरप्रेटर के माध्यम से सुनने और बोलने में अक्षम होने की विकलांगता को मात देते हुए विस्तृत दलीलें दी हैं। सारा सनी की प्रस्तुतियों की सराहना की जानी चाहिए. उनकी प्रशंसा को रिकॉर्ड किया गया है." 

लाइव लॉ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अरविंद कामत के हवाले से कहा, "कर्नाटक उच्च न्यायालय एक इंटरप्रेटर के माध्यम से सुनवाई करने वाले पहले उच्च न्यायालय के रूप में इतिहास में दर्ज किया जाएगा. मैं समझता हूं कि वह (सारा) भारत के मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश हुई हैं, लेकिन उच्च न्यायालय के संदर्भ में यह पहली बार हुआ है कि किसी वकील ने साइन लैंग्वेज के सहारे सुनवाई में हिस्सा लिया हो."  

कोर्ट ने इससे पहले अपनी रजिस्ट्री और केंद्र सरकार से सनी को अपनी दलीलें पेश करने में सहायता के लिए एक सांकेतिक भाषा दुभाषिया की व्यवस्था करने को कहा था.

क्या है अदालत में मामला
एडवोकेट सारा अदालत में एक महिला का पक्ष रख रही थीं, जिन्होंने अपने पति पर आईपीसी की धारा 498(ए), 504, 506 और दहेज निषेध अधिनियम (Dowry Prohibition Act) की धारा तीन और चार के तहत अपराध दर्ज कराया था. पति के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया है. मामले की अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी.

आरोपी पति ने मामले को रद्द करने और लुकआउट सर्कुलर पर रोक लगाने के अंतरिम आदेश की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया. यह दावा किया गया था कि वह ब्लैकरॉक कंपनी की एडिनबर्ग शाखा में काम करता है, जो स्कॉटलैंड में मौजूद है. अगर वह स्कॉटलैंड नहीं लौटेगा तो वह अपना रोजगार खो देगा. उन्होंने यह भी कहा कि वह भारत के सिर्फ प्रवासी नागरिक कार्ड धारक हैं और उनके पास यूनाइटेड किंगडम की नागरिकता है। पत्नी ने मजिस्ट्रेट के आदेश के आधार पर भारत छोड़ने वाले पति की गिरफ्तारी की प्रार्थना की है.

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