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Karnataka High Court: अकेली महिला ने पति से मांगा 6 लाख रुपए गुजारा भत्ता, हाईकोर्ट ने कहा- इतने पैसे खर्च करना है तो खुद कमाओ

हिंदू विवाह एक्ट 1955 की धारा 24 के तहत कर्नाटक की एक महिला ने पति से 6 लाख रुपए का गुजारा भत्ता मांगा था. इस मामले में सुनवाई के दौरान महिला जज ने कहा कि इतना पैसा खर्च करना है तो खुद कमाओ. महिला जज ने पत्नी के वकील से कहा कि याचिका में उचित रकम लेकर आएं. अगर इसमें बदलाव नहीं करते हैं तो याचिका खारिज कर दी जाएगी.

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कर्नाटक में हाईकोर्ट ने तलाक के एक मामले में 6 लाख रुपए के गुजारा भत्ते की डिमांड पर बड़ी टिप्पणी की है. दरअसल पत्नी ने पति से गुजारा भत्ता के लिए 6 लाख रुपए की मांग की थी. इस मांग पर हाईकोर्ट की महिला जज ने पत्नी को खुद कमाने की सलाह दी. कोर्ट ने कहा कि इतने पैसे कौन खर्च करता है? खुद कमाओ. चलिए आपको बताते हैं कि ये पूरा मामला क्या है और कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?

महिला जज ने क्या कहा-
कर्नाटक हाईकोर्ट में तलाक मामले की सुनवाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसमें ज्यादा गुजारा भत्ता मांगने पर महिला जज ने फटकार लगाई. महिला जज ललिता कन्नेगंती ने कहा कि एक महीने में इतने पैसे कौन खर्च करता है? उन्होंने कहा कि क्या आप नियम का गलत फायदा नहीं उठा रहे हैं? जज ने कहा कि आपके पास ना तो फैमिली की जिम्मेदारी है और ना ही बच्चों की देखभाल करनी है. आपको सिर्फ पैसे अपने लिए चाहिए तो इतने पैसे कौन मांगता है? उन्होंने कहा कि अगर इतने पैसे खर्च करना चाहती हैं तो खुद कमाएं. कोर्ट ने कहा कि पत्नी से विवाद होना पति के लिए कोई सजा नहीं है.

याचिकाकर्ता ने कितना मांगा था गुजारा भत्ता-
तलाक के इस मामले में महिला राधा मुनुकुंतला ने हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 24 के तहत अपने पति से गुजारा भत्ते के तौर पर 6 लाख 16 हजार 300 रुपए की मांग की थी. महिला के वकील ने हाईकोर्ट में कहा कि उनकी क्लाइंट को हर महीने जूत, कपड़े और चूड़ियां खरीदने के लिए 15 हजार रुपए लगते हैं. जबकि खाने का खर्च 60 हजार रुपए है. घुटने के दर्द के इलाज के लिए हर महीने 4 से 5 लाख अलग खर्च है. ऐसे में मेंटनेंस के तौर पर हर महीने 6 लाख 16 हजार 300 रुपए दिलवाया जाए.

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जज ने महिला के वकील से उचित गुजारा भत्ता की मांग  लेकर आएं. कोर्ट ने कहा कि अगर मांगों में बदलाव नहीं किया गया तो याचिका खारिज कर दी जाएगी. जज ने कहा कि अदालत अनुचित मांगों को बर्दाश्त नहीं करेगी.

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