scorecardresearch

Karnataka: सीएम की 'दौड़' में Siddaramaiah से किन वजहों से DK Shivkumar छूट रहे पीछे, जानिए प्वाइंट वाइज कारण

Siddaramaiah कर्नाटक में कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय नेता माने जाते हैं. वह राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. वर्तमान स्थिति में उनके पास सबसे ज्यादा विधायकों का समर्थन है. सिद्धारमैया को गांधी परिवार का भरोसेमंद भी माना जाता है. इन वजहों से वह सीएम की रेस में आगे हैं.

Siddaramaiah and DK Shivakumar(Photo PTI) Siddaramaiah and DK Shivakumar(Photo PTI)
हाइलाइट्स
  • 18 मई को सीएम पद की शपथ ले सकते हैं सिद्धारमैया

  • डीके शिवकुमार से सिद्धारमैया राजनीति के अनुभव में भी हैं आगे 

Karnataka CM: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत के बाद चार दिनों तक चले मंथन के बाद आखिरकार कांग्रेस आलाकमान ने कौन सीएम होगा इसका चुनाव लगभग कर लिया है. सूत्रों के मुताबिक पूर्व सीएम सिद्धारमैया को ही मुख्यमंत्री पद दिया जा रहा है. वह 18 मई 2023 को सीएम पद की शपथ ले सकते हैं. आइए जानते हैं कांग्रेस के संकट मोचक डीके शिवकुमार किन वजहों से सिद्धारमैया से पीछे छूट रहे हैं.

सिद्धारमैया को सबसे ज्यादा विधायकों का समर्थन 
सिद्धारमैया को सीएम बनाने की मुख्य वजह यह है कि वह कर्नाटक में कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय नेता माने जाते हैं. वह राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. वर्तमान स्थिति में उनके पास सबसे ज्यादा विधायकों का समर्थन है. सिद्धारमैया को गांधी परिवार का भरोसेमंद भी माना जाता है.

डीके शिवकुमार पर कई मामले हैं दर्ज
डीके शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के कई मामले दर्ज हैं. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के बाद डीके को गिरफ्तार भी किया गया था. ईडी उन्हें लगातार दिल्ली पूछताछ के लिए बुलाती रही है. हालांकि चुनाव से पहले कोर्ट से उन्हें राहत मिली थी. ये सभी मामले भी डीके के सीएम बनने के रास्ते में रोड़ा बन रहे हैं, क्योंकि कांग्रेस को इस बात का खतरा है कि डीके के सीएम बनने के बाद उन पर केंद्रीय एजेंसियों का शिकंजा और कस सकता है. जिसका पार्टी को आने वाले चुनावों में नुकसान झेलना पड़ सकता था. 

2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का ध्यान
कांग्रेस का मानना है कि कर्नाटक की कमान कुरुबा समाज के नेता के पास हो. सिद्धारमैया कुरुबा जाति से आते हैं, जिनके जमीनी स्तर पर प्रभावशाली वोकालिग्गा समुदाय से अच्छे रिश्ते हैं. कांग्रेस चाहती है कि 2024 में लोकसभा चुनाव तक कुरुबा समाज के नेता के पास ही सीएम पद हो. पार्टी शिवकुमार और सिद्धारमैया की जोड़ी को साथ रखते हुए राज्य में ज्यादा सीटें हासिल करना चाहती है.

सिद्धारमैया का जनाधार सभी तबकों में है
डीके शिवकुमार का मुख्यमंत्री की रेस में पिछड़ने का अन्य कारण ये है कि उनका सीमित जनाधार है. डीके वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं. ओल्ड मैसूर में डीके का बड़ा जनाधार है, लेकिन इसके अलावा बाकी जिलों में डीके का जलवा नहीं दिखता है. बाकी किसी भी समुदाय का समर्थन डीके के पक्ष में नहीं है. वहीं उन्हें रेस में पछाड़ने वाले सिद्धारमैया का जनाधार लगभग सभी तबकों में है, खासतौर पर वो दलितों और पिछड़ों के बीच काफी हिट हैं. डीके शिवकुमार का राजनीतिक करियर भी उनके सीएम नहीं बनने के बीच आ रहा है. उनके प्रतिद्वंदी सिद्धारमैया राजनीति के अनुभव में उनसे आगे खड़े हैं. 

सिद्धारमैया का अहिंदा फॉर्मूला
सिद्धारमैया को सीएम बनने की वजह में सोशल इंजीनियरिंग भी शामिल है. सिद्धारमैया ने अहिंदा फॉर्मूला के जरिए अल्पसंख्यातारु (अल्पसंख्यक), हिंदूलिद्वारू (पिछड़ा वर्ग) और दलितारु (दलित वर्ग) को कांग्रेस के साथ जोड़ा है. राज्य की 61 फीसदी आबादी इन्हीं तीनों वर्गों से है. इस फॉर्मूले के जरिए ही उन्होंने कर्नाटक की जनता में अपनी पैठ बनाई हुई है.

इसके बाद कोई पद नहीं लेंगे
सिद्धारमैया ने विधानसभा चुनाव से पहले ऐलान किया था कि ये उनका आखिरी चुनाव है. इसके बाद वह राजनीति में तो रहेंगे, लेकिन कोई पद नहीं सभालेंगे. चुनाव के बाद भी हाईकमान के सामने उन्होंने यही दांव खेला. उन्होंने कहा कि वह इसके बाद कोई पद नहीं लेंगे. ऐसे में आखिरी बार उन्हें मौका दिया जाना चाहिए. पार्टी को भी ये बात ठीक लगी.