केरल विधानसभा ने विपक्ष के बहिष्कार के बीच विवादास्पद लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक पारित कर दिया है. इस बदलाव के तहत अब मुख्यमंत्री के खिलाफ लोकायुक्त की रिपोर्ट पर फैसला लेने में राज्यपाल की शक्तियों के संबंध में बदलाव किया गया है. विपक्ष इस बिल का बहिष्कार कर रहा है.
विपक्ष ने बताया काला दिन
बहिष्कार की घोषणा करते हुए केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीसन ने इसे काला दिन बताया. उन्होंने कहा, "विपक्ष भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी को खत्म करने और कमजोर करने के सरकार के फैसले का समर्थन नहीं कर सकती है. हम इस विधेयक को पारित करने के खिलाफ अपना कड़ा विरोध दर्ज कर रहे हैं. उन्होंने पूछा, अब जब लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक पारित हो गया है, तो विधानसभा मुख्यमंत्री के खिलाफ लोकायुक्त के फैसले पर फैसला कैसे ले सकती है?''
क्या कहता है विधेयक
लोकायुक्त संशोधन विधेयक के अनुसार, भ्रष्टाचार के मामले में मुख्यमंत्री के खिलाफ लोकायुक्त के निष्कर्षों पर फैसला लेने के लिए अब विधानसभा होगी. मंत्रियों के खिलाफ निष्कर्ष होने पर मुख्यमंत्री फैसला ले सकते हैं जबकि विधानसभा के सदस्यों के लिए अध्यक्ष के पास फैसला लेने का अधिकार होगा. जनसेवक के खिलाफ लोकायुक्त के निष्कर्षों पर अपीलीय अधिकारी कौन होगा, इस पर अभी फैसला नहीं हुआ है. अगर कानून बन जाता है तो सरकार को यह चुनना होगा कि लोकायुक्त के आदेशों को स्वीकार किया जाए या नहीं.
केरल लोकायुक्त अधिनियम, 1999 की धारा 3 के अनुसार एक व्यक्ति को केवल तभी लोकायुक्त के रूप में नियुक्त किया जा सकता है जब उन्होंने पहले उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया हो.