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अच्छी पहल! रिहाई के बाद बेहतर जीवन के लिए जेल प्रशासन दे रहा है कैदियों को कुकिंग क्लास

सुप्रीटेंडेंट बी रमेश कुमार ने कहा कि कैदियों को अलग-अलग डिश सिखाई जा रही है. इसमें पोरोट्टा और अप्पम के साथ-साथ चीनी डिश और दूसरे केरल के मुख्य व्यंजन तैयार करने सिखाये जा रहे हैं. ये ट्रेनिंग प्रोग्राम एक हफ्ते तक चलेगा और अच्छा प्रदर्शन करने वालों को कुकिंग इंडस्ट्री के सेलिब्रिटीज के द्वारा सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा.

जेल से कुक बनाकर निकलेंगे कैदी जेल से कुक बनाकर निकलेंगे कैदी
हाइलाइट्स
  • एक दिन में शेफ कमा सकता है 1500 रुपये

  • कैदियों को बाद में मिल सकेगी आर्थिक मदद

केरल के जेल में एक नई पहल शुरू की गई है. राज्य में पहली बार, नेट्टुकलथेरी ओपन जेल में कैदियों को कुकिंग फील्ड में करियर बनाने में मदद की जाएगी. कैदियों के लिए ये प्रोजेक्ट फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया नाम के एनजीओ की मदद से चलाया जा रहा है. इच्छुक कैदियों को कुकिंग इसलिए सिखाई जा रही है ताकि वे पैरोल के दौरान या जेल से रिहा होने के बाद शेफ के रूप में अपना जीवन चला सकें और पैसे कमा सकें.

इस कार्यक्रम का उद्घाटन हाल ही में सेलिब्रिटी शेफ सुरेश पिल्लई द्वारा किया गया. उन्होंने 50 से अधिक कैदियों को कुकिंग क्लास दी. 

कैदियों को सिखाई जा रही है अलग-अलग डिश 

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीटेंडेंट बी रमेश कुमार ने कहा कि कैदियों को अलग-अलग डिश सिखाई जा रही है. इसमें पोरोट्टा और अप्पम के साथ-साथ चीनी डिश और दूसरे केरल के मुख्य व्यंजन तैयार करने सिखाये जा रहे हैं. ये ट्रेनिंग प्रोग्राम एक हफ्ते तक चलेगा और अच्छा प्रदर्शन करने वालों को कुकिंग इंडस्ट्री के सेलिब्रिटीज के द्वारा सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा.  

कैदियों को बाद में मिल सकेगी आर्थिक मदद 

अधिकारी ने बताया कि एनजीओ ने इस विचार को जेल प्रशासन को बताया, और जेल विभाग ने इसका समर्थन किया क्योंकि यह कैदियों को बाद में आर्थिक मदद और स्थिरता दे पाएगा. अधिकारी ने कहा, “हमने पैरोल पर कैदियों को अक्सर पैसों को लेकर आ रही कठिनाइयों के बारे में शिकायत करते देखा है. वे हमसे जेल में अपने काम के लिए दिहाड़ी मजदूरी के रूप में अर्जित की गई जाने राशि को देने का अनुरोध करते हैं, ताकि वे अपना जीवन यापन कर सकें.” 

रिहाई के बाद करना पड़ता है मुश्किलों का सामना 

उन्होंने बताया कि एक कैदी की अधिकतम दैनिक आय 230 रुपये है, जिससे उन्हें जेल में अपने छोटे-छोटे खर्चे पूरे करने होते हैं. उन्होंने कहा, “जो कुछ बचता है उसे घर भेज दिया जाता है. पैरोल पर रहते हुए, उन्हें काफी मुश्किल होती है. जेल से रिहा होने के बाद भी लोग काफी मुश्किल जीवन जीते हैं. उनमें से अधिकांश को लगता है कि वे अपने परिवारों पर बोझ बन गए हैं. यह एक दुखद परिदृश्य है, जिससे हम बचना चाहते थे."

एक दिन में शेफ कमा सकता है 1500 रुपये 

रमेश कुमार ने कहा कि एक अनुभवी शेफ रोजाना कम से कम 1,500 रुपये कमा सकता है और जेल से रिहा हुए एक कैदी के लिए यह बहुत मददगार होगा. खुली जेलों में, कैदी हर ढाई महीने के बाद 15 दिनों की पैरोल के हकदार होते हैं. उन्हें साल में ऐसे पांच पैरोल मिलते हैं. वे चाहें तो होटलों या रास्ते के किनारे के रेस्टोरेंट में काम करके कुछ पैसे कमा सकते हैं.