आजकल लोगों के लिए स्ट्रीट फूड खाना या कहीं बाहर कैफे या रेस्टोरेंट में खाना बहुत ही सामान्य बात है. अक्सर कई बार दिमाग में सवाल भी आता है कि जो हम बाहर खा रहे हैं वह कितना सुरक्षित है क्योंकि जब बात खाने की आती है तो बहुत से पहलुओं को ध्यान में रखना होता है. जैसे कि खाना बनाते समय रॉ इंग्रेडिएंट्स कैसे इस्तेमाल हो रहे हैं, खाना कितनी साफ-सफाई से बन रहा है, खाने में कोई अशुद्ध या सेहत के लिए हानिकारक चीज तो इस्तेमाल नहीं की जा रही आदि.
इन सभी पहलुओं को आम इंसान के लिए चेक करना मुमकिन नहीं है लेकिन आपके राज्य में खाना कितना सुरक्षित है इसका एक अंदाजा आप Food Safety and Standards Authority of India (FSSAI) के State Food Safety Index (SFSI) से लगा सकते हैं. हाल ही में, भारत के लिए SFSI 2024 रिपोर्ट जारी की गई और इसमें फूड सेफ्टी के मामले में केरल ने टॉप किया. पिछली दो बार से केरल फूड सेफ्टी और स्टैंडर्ड्स के मामले में नंबर 1 जगह बनाए हुए है.
क्या होता है State Food Safety Index
FSSAI का उद्देश्य बड़े पैमाने पर पब्लिक हेल्थ के लिए काम करना है इसलिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फूड सेफ्टी का आकलन करना बहुत जरूरी है. इस आकलन से प्रशासन और आम जनता दोनों को जागरूक किया जा सकता है. स्टेट फूड सेफ्टी इंडेक्स, FSSAI द्वारा जारी की जाने वाली एक रैंकिंग है जो भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के फूड सेफ्टी परफॉर्मेंस का मूल्यांकन करता है. ग्लोबल फूड रेगुलेटर्स समिट (GFRS) 2024 के दूसरे एडिशन में यह रैंकिंग जारी की गई. FSSAI अलग-अलग मानकों के आधार पर राज्यों को रैंक करता है और इस रैंकिंग के आधार पर पता चलता है कि किस राज्य को फूड सेफ्टी पर काम करने की जरूरत है और जो राज्य इसमें अच्छा कर रहे हैं, उनसे क्या सीखा जा सकता है.
SFSI इन पांच पैरामीटर्स के आधार पर तय होता है:
1. मानव संसाधन और संस्थागत डेटा (Human Resources and Institutional Data)- इसके अंतर्गत देखा जाता है कि राज्य में फूड सेफ्टी से संबंधित सेक्टर्स में काम करने के लिए पर्याप्त ह्यूमन रिसोर्स यानी कर्मचारी है या नहीं और मामले सामने आने पर उन्हें हल करने के लिए कैसे और कितने समय में कोई एक्शन लिया जाता है.
2. अनुपालन (Compliance)- इसके अंतर्गत, राज्य में फूड सेफ्टी सुनिश्चित करने के लिए फूड इंसपेक्शन होते हैं या नहीं और किस मात्रा में ये इंसपेक्शन किए जाते हैं, क्या सभी नियमों का सही से पालन किया जाता है या नहीं आदि चेक किया जाता है.
3. खाद्य परीक्षण- बुनियादी ढांचा और निगरानी (Food Testing – Infrastructure and Surveillance)- इसके अंतर्गत, फूड सेफ्टी से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को चेक करते हैं जैसे राज्य में कितनी फूड टेस्टिंग लैब हैं, इन लैब्स में सभी जरूरी फूड एनालिस्ट के पद भरे हुए हैं या नहीं, फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स ऑपरेशनल हैं या नहीं आदि.
4. प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण (Training & Capacity Building)- इसके अंतर्गत, राज्य में फूड सेक्टर से जुड़े लोगों के लिए ट्रेनिंग और कैपेसिटी बिल्डिंग में क्या प्रयास जा रहे हैं. FoSTaC प्रशिक्षण आयोजित किए जाते हैं या नहीं, फूड हैंडलर्स की स्किल ट्रेनिंग कराना, फूड सेफ्टी सुपरवाइजर्स की अच्छी ट्रेनिंग और फूड सेफ्टी के लिए बेस्ट प्रैक्टिसेज अपनाना आदि आता है.
5. उपभोक्ता सशक्तिकरण (Consumer Empowerment)- इसके अंतर्गत देखा जाता है कि राज्य में फूड सेफ्टी और हाइजीन पर लोगों की जागरूकता पर क्या अभियान चलाए जा रहे हैं, FSSAI के Eat Right India अभियानों से लोग कितना जुड़ रहे हैं.
लिस्ट में इन पांच राज्यों ने किया टॉप
1. केरल: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (SFSI) 2024 में केरल लगातार दूसरी बार टॉप पर रहा है. 2023 में केरल ने पहली बार एसएफएसआई में टॉप जगह हासिल की थी, जबकि 2022 में केरल ने दूसरा स्थान हासिल किया था.
2. तमिलनाडु: पिछले साल तीसरे स्थान पर खिसकने के बाद तमिलनाडु ने इस बार फिर से दूसरा स्थान हासिल कर लिया है. 2022 की रैंकिंग में, तमिलनाडु ने गुजरात को टॉप से हटाकर खुद टॉप किया था.
3. जम्मू और कश्मीर: जम्मू और कश्मीर ने तीसरा स्थान हासिल करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. यह सूचकांक मानव संसाधन, अनुपालन, खाद्य परीक्षण बुनियादी ढांचे, प्रशिक्षण और उपभोक्ता सशक्तिकरण जैसे विभिन्न मापदंडों के आधार पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का मूल्यांकन करता है.
4. गुजरात: गुजरात ने स्टेट फूड सेफ्टी इंडेक्स 2024 में चौथा स्थान हासिल किया. 2021 में, गुजरात पहले स्थान पर रहा, केरल और तमिलनाडु क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे.
5. नागालैंड: नागालैंड ने इस बार राज्य में फूड सेफ्टी को बढ़ाने में अपनी प्रगति के लिए पूर्वोत्तर राज्यों के बीच विशेष मान्यता प्राप्त करते हुए पांचवां स्थान हासिल किया. रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वर्ष की तुलना में राज्य में बहुत सुधार दिखा है.
आखिर कैसे फूड सेफ्टी के मामले में केरल बना टॉपर:
केरल पिछले दो सालों से लगातार फूड सेफ्टी के मामले में पहली पोजिशन पर है. इसके पीछे कई कारण है जिनसे दूसरे राज्य भी प्रेरणा ले सकते हैं. द इंडियन एक्सप्रेस की एक न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य की फूड सेफ्टी पॉलिसीज, फूड सेफ्टी स्क्वाड्स, कम्यूनिटी इंगेजमेंट, डिजिटलाइजेश की कोशिशें, फूड टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम और लोगों के बीच जागरूकता जैसी पहलों ने इसमें योगदान दिया है.
फूड सेफ्टी पॉलिसी और पब्लिक हेल्थ की पहल: केरल ने सुरक्षा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए क्वालिटी चेक और फूड इंसपेक्शन की फ्रीक्वेंसी बढ़ाई है. साथ ही, स्ट्रीट फूड वेंडर, रेस्तरां और बाज़ारों जैसी जगहों की निगरानी के लिए जिम्मेदार टीमों की स्थापना की है. राज्य में 'Safe Kerala' पहल जैसे प्रोजेक्ट्स के जरिए इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि फूड वेंडर्स स्वच्छता और सुरक्षा मानकों को पूरा कर रहे हैं.
डिजिटलाइजेशन से मिली मदद: राज्य ने फूड लाइसेंस और फूड टेस्टिंग रिपोर्ट जारी करने, प्रोसेस को स्ट्रीमलाइन करने और ट्रांसपेरेंसी सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन सिस्टम लागू किया है. साथ ही, फूड टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाया गया है. द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक केरल में खास फूड टेस्टिंग लैब हैं जो रूटीन फूड इंसपेक्शन करती हैं और ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों में फूड टेस्टिंग करती हैं. एडवांस तकनीकों से यह काम और आसान हो गया है.
केरल में, उपभोक्ता सशक्तिकरण पर पूरा फोकस हैं. जनता को खाद्य सुरक्षा से संबंधित उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में शिक्षित करके जागरूकता बढ़ाने पर काम किया जा रहा है. राज्य ने फूड प्रोडक्ट्स में मिलावट, उचित लेबलिंग और स्वच्छता मानकों के बारे में जानकारी देने के लिए उपभोक्ता संरक्षण संगठनों के साथ सहयोग किया है.