खेलो इंडिया यूथ गेम्स (Khelo India Youth Games 2023) 19 से 31 जनवरी, 2024 तक तमिलनाडु के चार शहरों चेन्नई, मदुरै, त्रिची और कोयंबटूर में खेले जा रहे हैं. इस साल खेलों का शुभंकर (Mascot) वीर मंगाई है. तमिलनाडु से तालुक रखने वाली वीरांगना रानी वेलू नचियार को प्यार से 'वीर मंगाई' कहा जाता है. वह एक भारतीय रानी थीं जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ युद्ध लड़ा और जीता था. यह शुभंकर भारतीय महिलाओं की वीरता और भावना का प्रतीक है, जो नारी शक्ति की ताकत का प्रतीक है.
कौन थीं रानी वेलू नचियार
रानी वेलु नचियार (Queen Velu Nachiar) दक्षिण भारत में शिवगंगा एस्टेट की रानी थीं. उन्हें भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ लड़ने वाली पहली रानी माना जाता है. वह रामनाथपुरम की राजकुमारी थीं और अपने पिता की इकलौती संतान थी. उन्होंने विभिन्न हथियारों को चलाने, मार्शल आर्ट, घुड़सवारी और तीरंदाजी में प्रशिक्षण लिया, और अंग्रेजी, फ्रेंच और उर्दू जैसी भाषाओं में भी कुशल थीं.
रानी वेलू का विवाह शिवगंगा के राजा मुथुवदुगनाथपेरिया उदयथेवर से हुआ था. ब्रिटिश सैनिकों और अर्कोट के नवाब के बेटे ने जब शिवगंगा पर कब्ज़ा कर लिया और उनके पति की हत्या कर दी तो रानी वेलू नचियार अपनी बेटी के साथ महल से निकल गईं और विरुपाची में पलायकारर कोपाला नायककर के संरक्षण में रहने लगीं. उन्होंने यहां अपनी सेना बनाई और युद्ध छेड़ने के लिए गोपाल नायकर और सुल्तान हैदर अली के साथ हाथ मिलाया. रानी ने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध करके अपना राज्य फिर से हासिल किया.
हर तरह के शस्त्र चलाने में थीं माहिर
वेलू नचियार का जन्म 3 जनवरी, 1730 को तमिलनाडु के रामनाथपुरम में रामनाद साम्राज्य के राजा चेल्लामुथु विजयरागुनाथ सेतुपति और उनकी पत्नी रानी सकंधीमुथल के यहां हुआ. वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी और इसलिए उन्हें एक बेटे की तरह पाला गया. उन्हें युद्ध लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया गया था. वह तीरंदाजी, घुड़सवारी, सिलंबम (छड़ी से लड़ना) और वलारी जैसी मार्शल आर्ट में भी अच्छी तरह से प्रशिक्षित थीं. नचियार अपने आप में एक विद्वान थीं और उन्हें अंग्रेजी, फ्रेंच और उर्दू सहित कई भाषाओं को बोलने में माहिर थीं.
16 साल की उम्र में वेलू नचियार की शादी शिवगंगा के राजा सशिवर्णा पेरिया उदय के बेटे मुथुवदुगनाथुर उदयथेवर से हुई थी. 1730 के बाद से, मुथुवदुगनाथुर उदययथेवर रामनाड से पहले स्वतंत्र राज्य, शिवगंगा के प्रशासन के प्रभारी थे, जबकि उनके पिता राजा के रूप में शासन करते थे. मुथुवदुगनानथुर उदयथेवर 1750 में शिवगंगई के राजा बने और 1772 में उनकी मृत्यु हुई. नचियार और मुथुवदुगनाथुर उदययथेवर की एक बेटी थी जिसका नाम वेल्लाची था.
ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष
1772 में अर्कोट के नवाब के बेटे के साथ मिलकर ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों ने शिवगंगा पर आक्रमण किया था. उदयथेवर कर्नल स्मिथ के साथ युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए. इस युद्ध ने महिलाओं और बच्चों को भी नहीं बख्शा. बहुत को बेरहमी से मार दिया गया. नचियार उस समय कोल्लांगुडी में थी. युद्ध में अपने पति की मृत्यु के बाद, वह अपनी बेटी के साथ डिंडीगुल के पास विरुपाची भाग गई, जहां उन्होंने पलायकरर कोपाला नायककर के संरक्षण में आठ साल तक शरण ली.
विरुपाची में अपने प्रवास के दौरान, उन्होंने धीरे-धीरे अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए एक शक्तिशाली सेना बनाई. अपने मिशन में उन्हें दक्षिणी भारत में मैसूर साम्राज्य के सुल्तान और वास्तविक शासक गोपाल नायकर और हैदर अली से काफी समर्थन मिला. रानी के दृढ़ संकल्प और साहस ने सुल्तान हैदर अली को बहुत प्रभावित किया क्योंकि वह धाराप्रवाह उर्दू बोल सकती थीं. सुल्तान ने रानी को उनके धर्मयुद्ध में साथ देने का वचन दिया.
1780 में रानी का अंग्रेजों से आमना-सामना हुआ और इसके साथ ही वह अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ने वाली भारत की पहली रानी बन गईं. उन्हें अंग्रेजों के गोला बारूद भंडार के बारे में पता चला. इस जानकारी के साथ, वीर रानी, जिसे तमिल लोग वीरमंगई ("बहादुर महिला") के नाम से जानते थे, ने फिर योजना रची और गोला-बारूद भंडार में आत्मघाती हमले की व्यवस्था की.
वापस जीता अपना राज्य
रानी नचियार को भारत के पहले आत्मघाती हमले या मानव बम का इस्तेमाल करने का श्रेय जाता है. बताते हैं कि उनकी सेना की एक सेना कमांडर और रानी की वफादार अनुयायी, कुयिली, मिशन को अंजाम देने के लिए आगे आईं. कुयिली ने खुद को घी से सराबोर कर लिया और फिर शस्त्रागार में कूदने और उसे उड़ाने से पहले खुद को आग लगा ली, जिससे रानी की जीत हुई. कुयिली को कई लोग नचियार की दत्तक पुत्री मानते हैं. उनको पहली महिला आत्मघाती हमलावर माना जाता है.
शिवगंगा को फिर से जीतने के बाद, नचियार ने अगले दशक तक राज्य पर शासन किया. उन्होंने अपनी बेटी वेल्लाची को सिंहासन का उत्तराधिकारी बनाया. अपना राज्य मिलने के बाद, नचियार ने सारागनी में एक मस्जिद और चर्च का निर्माण कराया. उन्होंने सुल्तान हैदर अली के समर्थन के लिए गहरी कृतज्ञता व्यक्त की. हालांकि, इससे पहले सुल्तान ने अपने महल के अंदर एक मंदिर बनवाकर अपनी सच्ची मित्रता का परिचय दिया था.
नचियार ने हैदर अली के बेटे टीपू सुल्तान के साथ भी अच्छे संबंध बनाए रखे, जिसे वह अपना भाई मानती थीं. नचियार की बेटी वेल्लाची 1790 में शिवगंगा एस्टेट की दूसरी रानी के रूप में सिंहासन पर बैठीं और 1793 तक शासन किया. बहादुर रानी नचियार ने 25 दिसंबर, 1796 को 66 वर्ष की आयु में शिवगंगा में अंतिम सांस ली.