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Delhi Liquor Scam: Manish Sisodia का Journalist से दिल्ली के Dy CM तक का सफर

Manish Sisodia CBI Raids: Delhi में Excise Policy को लेकर डिप्टी सीएम Manish Sisodia के घर पर CBI ने छापा मारा है. मनीष सिसोदिया के पास आबकारी विभाग है. सिसोदिया सियासत में आने से पहले एक पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता थे.

दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Photo/PTI) दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Photo/PTI)
हाइलाइट्स
  • सियासत में आने से पहले पत्रकार थे मनीष सिसोदिया

  • दिल्ली में शिक्षा में बेहतर काम के लिए मिली तारीफ

दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई ने छापा मारा है. सीबीआई ने एक्साइज केस में छापेमारी की है. मनीष सिसोदिया के पास आबाकारी विभाग के अलावा शिक्षा मंत्रालय भी है. शिक्षा में मनीष सिसोदिया के कामकाज की खूब तारीफ भी हुई है. लेकिन दिल्ली में आबकारी पॉलिसी को लेकर डिप्टी सीएम पर आरोप भी लगे. मनीष सिसोदिया सियासत में आने से पहले एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार थे. चलिए आपको बताते हैं कि कैसे मनीष सिसोदिया एक पत्रकार से दिल्ली में शिक्षा मंत्री बन गए और अब एक्साइज पॉलिसी को लेकर सीबीआई के फंदे में फंस गए हैं.

सिसोदिया का शुरुआती सफर-
मनीष सिसोदिया का जन्म 5 जनवरी 1972 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ में हुआ था. उनके पिता का नाम धर्मपाल सिंह है, वो पेशे से वकील थे. मनीष सिसोदिया की पत्नी का नाम सीमा सिसोदिया है. उनका एक बेटा भी है. 
मनीष की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई गांव में ही हुई. इसके बाद वो पत्रकारिता की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए. साल 1993 में भारतीय विद्या भवन से जनसंचार में डिप्लोमा किया. इसके बाद साल 1996 में उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो के लिए 'जीरो ऑवर' कार्यक्रम होस्ट किया. इसके बाद साल 1997 से 2005 तक वो एक न्यूज चैनल में प्रोड्यूसर का भी काम किया.
मनीष सिसोदिया सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर भी काम करना शुरू किया. उन्होंने 'कबीर' और 'परिवर्तन' नाम के एनजीओ के साथ काम करना शुरू किया. मनीष सिसोदिया उन 9 लोगों में शामिल थे, जिनको अरुणा रॉय ने सूचना का अधिकार अधिनियम का मसौदा तैयार करने के लिए चुना था.

अन्ना आंदोलन से जुड़े सिसोदिया-
साल 2011 में अन्ना हजारे ने जनलोकपाल बिल को लेकर आंदोलन किया. इस आंदोलन में मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल भी जुड़े. इसके बाद साल 2012 में अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी बनाई. इसमें मनीष सिसोदिया और दूसरे कई सदस्य भी शामिल हुए.

सड़क से सदन तक का सफर-
आम आदमी पार्टी बन जाने के एक साल के भीतर ही दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए. आम आदमी पार्टी ने चुनाव में हिस्सा लिया. मनीष सिसोदिया को पटपड़गंज से उम्मीदवार बनाया गया. पहले चुनाव में मनीष सिसोदिया ने बीजेपी के नकुल भारद्वाज को 11478 वोटों से हराया और विधानसभा पहुंचे. लेकिन जल्द केजरीवाल सरकार चली गई.  इसके बाद साल 2015 में फिर से विधानसभा चुनाव हुए. इस बार मनीष सिसोदिया ने एक बार फिर पटपड़गंज से बीजेपी के विनोद बिन्ना को हराया. साल 2020 के चुनाव में एक बार फिर मनीष सिसोदिया पटपड़गंज से विधायक चुने गए.

दिल्ली में शिक्षा में बेहतरीन काम के लिए अवॉर्ड-
दिल्ली में केजरीवाल सरकार में मनीष सिसोदिया को बड़ी जिम्मेदारी दी गई. मनीष सिसोदिया को डिप्टी सीएम बनाया गया. उनको शिक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई. शिक्षा क्षेत्र में उनके किए कामों की खूब तारीफ हुई. दुनियाभर के कई देशों ने शिक्षा में दिल्ली मॉडल की तारीफ की. साल 2016 में मनीष सिसोदिया को भारत के 100 प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल किया गया. साल 2019 में शिक्षा में बेहतरीन काम करने के लिए चैंपियन ऑफ चेंज पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

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