लोकतंत्र की सबसे बड़ी शक्ति मतदान है. यही वजह है कि लोकतांत्रिक ढांचे को और मजबूत करने के लिए चुनाव आयोग 5 राज्यों- उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा- के मतदाताओं को नई सुविधा देने जा रहा है. इस सुविधा का नाम है- डोर स्टेप वोटिंग यानी घर बैठे वोट देने की सुविधा. दो दिन पहले पांच राज्यों के चुनाव तारीखों का ऐलान करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने खुद डोर स्टेप वोटिंग के बारे में बताया था.
डोर स्टेप वोटिंग की सुविधा क्या है?
ये सुविधा उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में रहने वाले कुछ खास तरह के मतदाताओं को ही मिलेगी. इनमें 80 साल से ऊपर के बुजुर्ग नागरिक, दिव्यांग और कोरोना संक्रमण से जूझ रहे मरीज शामिल होंगे.
इसके लिए चुनाव आयोग के बूथ स्तर के अधिकारी की तरफ से ऐसे बुजुर्गों, दिव्यांगों और कोरोना संक्रमित मतदाताओं को 12- D फॉर्म दिया जाएगा.
इस फॉर्म को चुनाव अधिकारी खुद लाभान्वित लोगों के घर तक पहुंचाएंगे.
मतदाताओं की तरफ से फॉर्म भरने के बाद पोलिंग दल उनके घर जाएगा और सीलबंद लिफाफे में फॉर्म को वापस लेगा जिसमें मतदान दर्ज होगा.
पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रहे इसके लिए फॉर्म लेते समय वीडियो रिकॉर्डिंग भी होगी.
हालांकि जो मतदाता डोर स्टेप वोटिंग की सुविधा का फायदा लेंगे तो वो मतदान केंद्र पर जाकर वोट नहीं डाल सकेंगे.
पोस्टल बैलेट की सुविधा से कैसे है अलग?
डोर स्टेप वोटिंग का फॉर्मूला पोस्टल बैलट की सुविधा पर ही आधारित है. हालांकि पोस्टल बैलट की सुविधा का फायदा सिर्फ सैन्यबल, भारत के बाहर से काम कर रहे सरकारी अफसर, उनकी पत्नियां और जिस राज्य में चुनाव हो रहे हैं, वहां ड्यूटी पर लगाए गए पुलिसकर्मी ही उठाते हैं. इसके लिए वो चुनाव आयोग की तरफ से दिए गए फॉर्म को भरकर पोस्ट से अपना वोट करते हैं.
डोर स्टेप वोटिंग यानी घर बैठे वोट की सुविधा सबसे पहले 2019 में झारखंड विधानसभा चुनाव में दी गई थी. तब इसका फायदा सिर्फ बुजुर्गों और दिव्यांगों तक ही सीमित रखा गया था. हालांकि, कोरोना महामारी के आने के बाद ये सुविधा सीमित स्तर पर बिहार में मुहैया कराई गई. जहां सिर्फ तीन फीसदी लोगों ने ही इस सुविधा का फायदा लिया. पिछले साल तमिलनाडु और पुडुचेरी में हुए विधानसभा चुनाव के लिए भी चुनाव आयोग ने यह सुविधा मुहैया कराई थी.