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Election Commissioner Selection Process: जो देश में सभी Election कराता है... उसका चुनाव कौन करता है... जानें कैसे होती है चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और क्या-क्या मिलती हैं सुविधाएं

CEC-EC Appointment: Election Commission of India एक स्थायी संवैधानिक एवं स्वतंत्र निकाय है. 25 जनवरी 1950 को इसकी स्थापना की गई थी. जब इस आयोग का गठन किया गया था, उस समय सिर्फ एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त का पद था. बाद में इसमें दो चुनाव आयुक्त के पद कर दिए गए. इस तरह से चुनाव आयोग में कुल तीन सदस्य हो गए.

Election Commission of India Election Commission of India
हाइलाइट्स
  • मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों को सुप्रीम कोर्ट के जजों के बराबर मिलती है सैलरी 

  • लोकसभा से लेकर विधानसभा के चुनावों को कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग के पास 

Election Commissioners Appointment: लोकसभा चुनाव 2024 के कार्यक्रमों की घोषणा से पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल (Arun Goel) ने अपने पद से इस्तीफा (Resign) दे दिया है. गोयल का कार्यकाल दिसंबर 2027 तक था. 14 फरवरी को चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे की सेवानिवृत्ति होने और अब अरुण गोयल के इस्तीफे के बाद इन रिक्तियों के जल्द भरने की संभावना है. आइए जानते हैं कैसे चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की जाती है और इनको क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं?

इस दिन हुई थी चुनाव आयोग की स्थापना 
भारत निर्वाचन आयोग यानी चुनाव आयोग (Election Commission of India) एक स्थायी संवैधानिक एवं स्वतंत्र निकाय है. 25 जनवरी 1950 को इसकी स्थापना की गई थी. जब इस आयोग का गठन किया गया था उस समय सिर्फ एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त का पद था. इसके बाद 16 अक्टूबर 1989 से 1 जनवरी 1990 तक इसमें दो चुनाव आयुक्त के पद कर दिए गए. इस तरह इसमें तीन सदस्य हो गए. इसके बाद 2 जनवरी 1990 से 30 सितंबर 1993 तक फिर इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त का ही पद रहा. 1 अक्टूबर 1993 को कानून में फिर संशोधन किया गया और दो चुनाव आयुक्त के पद बनाए गए. उस समय से लेकर अभी तक चुनाव आयोग में तीन सदस्य हैं. 

राष्ट्रपति को दी गई हैं शक्तियां
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-324(2) के तहत राष्ट्रपति को मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों को नियुक्त करने की शक्तियां दी गई हैं. इनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 साल की आयु, जो भी पहले हो तक होता है.राज्य में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं. मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्त (EC) की नियुक्ति (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम 2023 के प्रावधानों के तहत  की जाती है. इस अधिनियम ने चुनाव आयोग (चुनाव आयुक्तों की सेवा की शर्तें और कामकाज का संचालन) अधिनियम 1991 की जगह ली है. 

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पीएम करते हैं चयन समिति की अध्यक्षता
राष्ट्रपति चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करते हैं. चयन समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री (PM) करते हैं. लोकसभा में विपक्ष के नेता और पीएम की ओर से नामित केंद्रीय कैबिनेट के एक मंत्री चयन समिति में शामिल होते हैं. पहले मुख्य न्यायाधीश (CJI) भी समिति में शामिल थे. सरकार की ओर से पिछले साल दिसंबर में लाए गए नए कानून के मुताबिक चयन प्रक्रिया के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली एक सर्च कमेटी चयन समिति को पांच नामों को सुझाती है.चयन समिति सर्च कमेटी की ओर से सुझाए गए नामों के अलावा किसी अन्य नाम पर भी विचार कर सकती है.
 
कौन आयोग के अधिकारी और कर्मचारियों का करता है चयन
चुनाव आयोग में दो या तीन उप निर्वाचन आयुक्त और महानिदेशक होते हैं. ये भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों में से नियुक्त किए जाते हैं. निर्वाचन आयोग की ओर से इनका चयन व कार्यकाल निर्धारण किया जाता है. इसी तरह से निदेशक, प्रधान सचिव, सचिव, अवर सचिव और उप निदेशक के पदों पर नियुक्तियां होती हैं.

मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की शक्तियां
1.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों के पद का दर्जा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश स्तर का होता है. 
2. सुप्रीम कोर्ट के जजों के बराबर मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों को वेतन मिलता है. 
3. देश में लोकसभा, राज्यसभा से लेकर विधानसभा और विधान परिषद के चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग के पास होती है.
4. मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त के पास चुनाव की तारीखों का ऐलान करने का अधिकार होता है.
5. मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त ही मतदान केंद्रों का चयन करते हैं.
6. चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति से लेकर वेटिंग और वोटों की गिनती कराने तक कार्य चुनाव आयोग करता है.
7. आचार संहिता के दौरान कोई यदि चुनाव आयोग के नियमों का पालन नहीं करता है तो चुनाव आयुक्त के पास कार्रवाई करने का अधिकार है.
8. मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद में महाभियोग के जरिए ही पद से हटाया जा सकता है.
9. आयोग और आयुक्तों के निर्णयों को उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में उचित याचिका द्वारा चुनौती दी जा सकती है.