उत्तरकाशी में सिल्क्यारा-बारकोट सुरंग के अंदर एक हफ्ते से भी ज्यादा समय से फंसे 41 लोग अलग-अलग तरीकों से खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं. इनमें रेगुलर वॉक, अपने परिवारजनों के साथ नियमित बातचीत, और एक सीमांकित एरिया में शौच आदि जाना शामिल हैं. फंसे हुए श्रमिकों के मानसिक स्वास्थ्य की देखरेख सरकार द्वारा नियुक्त मनोचिकित्सक डॉ अभिषेक शर्मा कर रहे हैं.
डॉ. शर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि लोगों से उन्होंने निरंतर संपर्क बनाए रखा है, उनके मनोबल बनाए रखने के लिए योग, वॉक कने जैसी गतिविधियों का सुझाव दिया है और उन्हें आपस में बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित किया है. अंदर फंसे लोगों में एक गब्बर सिंह नेगी भी हैं, जिनकी पहले भी ऐसी ही हालत हो चुकी है. उनमें से सबसे बुजुर्ग होने के नाते, वह सुनिश्चित कर रहे हैं कि सभी का आत्मविश्वास बना रहे.
वर्कर्स तक पहुंचाए जाएंगे फोन
अब तक इन वर्कर्स को मुरमुरे, चना और सूखे मेवों जैसे आहार दिए जा रहे थे. लेकिन सोमवार को मलबे के माध्यम से 6 इंच की आपूर्ति पाइप उन तक पहुंचने के साथ, प्रशासन ने केले, सेब के स्लाइस, दलिया और खिचड़ी आदि पहुंचाई है. जल्द ही कर्मचारियों को खुद को व्यस्त रखने के लिए मोबाइल फोन और चार्जर भी मिलने की उम्मीद है. प्रशासन पाइप के माध्यम से विजुअल कनेक्शन स्थापित करने के लिए एंडोस्कोपी में उपयोग किए जाने वाले कैमरे भी ला रहा है.
अब तक श्रमिकों को जो आहार दिया गया था, उससे पाचन संबंधी परेशानी और चक्कर आने की शिकायत हुई थी, जिसके लिए उन्हें उपचार दिया गया था. अधिकारियों ने कहा कि फंसे हुए श्रमिकों ने अपनी स्वच्छता संबंधी जरूरतों के लिए मलबे से लगभग एक किलोमीटर दूर एक निर्दिष्ट क्षेत्र भी बनाया है.
सुरंग के अंदर है नेचुरल वाटर सोर्स
इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद, ये लोग भाग्यशाली हैं कि उनके पास सुरंग के भीतर एक प्राकृतिक जल स्रोत है. ये लोग साधन संपन्न हैं और इस पानी को पीने और अन्य जरूरतों के लिए स्टोरेज और इस्तेमाल करने के लिए कंटेनरों का उपयोग कर रहे हैं. पानी को सुरक्षित करने के लिए क्लोरीन की गोलियां इन लोगों तक पहुंचा दी गई हैं.
मजदूर उस 2 किमी बफर स्पेस का भी उपयोग कर रहे हैं जिसमें वे फंसे हुए हैं. कुछ दिन पहले, जब ओडिशा के कुछ सरकारी अधिकारी अपने राज्य के पांच श्रमिकों से बात करने के लिए पहुंचे, तो उन्हें सूचित किया गया कि वे लोग लंबी पैदल यात्रा पर गए थे. सुरंग के अंदर दूसरे छोर तक. राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड के निदेशक, अंशू मनीष खलखो ने बताया कि फंसे हुए लोगों को हर आधे घंटे में भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है और हर 2-3 घंटे में कम्यूनिकेशन किया जा रहा है. विभिन्न राज्यों के अधिकारी, रिश्तेदार और मेडिकल प्रोफेशनल भी नियमित रूप से उनके साथ जुड़ रहे हैं.
अधिकारियों ने कहा कि बंद जगह होने के कारण यहां ठंडे तापमान या मच्छरों से संबंधित कोई समस्या नहीं है. हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि नहाना या कपड़े बदलना शायद इन लोगों के दिमाग में आखिरी चीज होगी. प्रशासन की कोशिश है कि इन लोगों को जल्द से जल्द बाहर निकाला जाए.