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Year Ender 2022: जानिए रक्षा के क्षेत्र में भारत के लिए कैसा रहा साल 2022

नए साल 2023 का आगाज होने में केवल दिन दिन बाकी हैं. साल 2022 कई मायनों में खराब गुजरा तो कुछ लिहाज से काफी अच्छा साबित हुआ. डिफेंस सेक्टर में भी भारत ने कई उपलब्धियां हासिल की है.

जानिए रक्षा के क्षेत्र में भारत के लिए कैसा रहा साल 2022 जानिए रक्षा के क्षेत्र में भारत के लिए कैसा रहा साल 2022
हाइलाइट्स
  • अग्नि-3, अग्नि-4 और अग्नि-5 का सफल टेस्ट

  • तवांग में चीन को मुंहतोड़ जवाब

साल 2022 खत्म होने वाला है. नए साल 2023 का आगाज होने में बस दो दिन बाकी हैं. साल 2022 कई मायनों में खराब गुजरा तो कुछ लिहाज से काफी अच्छा साबित हुआ. डिफेंस सेक्टर में भारत ने कई उपलब्धियां हासिल की है. तो चलिए आज आपको साल 2022 में भारत को डिफेंस सेक्टर में मिली उपलब्धियों के बारे में बताते हैं.

1. आ गया विक्रांत
भारतीय नौसेना के लिए साल 2022 उपलब्धियों भरा रहा. इंडियन नेवी को सितंबर महीने में अपना पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत मिला. जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने कोच्चि में नौसेना का सौंपा तो ये गौरवशाली पल इतिहास के पन्नों में सदा के लिए दर्ज हो गया. करीब 20 हजार करोड़ की लागत से बने विक्रांत का 80 फीसदी से ज्यादा हिस्सा भारत में ही बनाया गया है. जो रक्षा के क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भर बनने की सबसे बड़ी मिसाल है. मौजूद समय में देश के पास दो विमानवाहक पोत हैं. जिनमें रूस में बना INS विक्रमादित्य और देश में ही बना INS विक्रांत है. INS विक्रांत को बनाकर हिंदुस्तान भी उन देशों के एलीट समूह में शामिल हो गया है. जो एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की क्षमता रखते हैं.

2. नेवी को मिला नया निशान
दो सितंबर 2022 की तारीख नौसेना के लिए बेहद खास रही. इस दिन भारतीय नौसेना के नए ध्वज का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया और अंग्रेजी हुकूमत के गुलामी के प्रतीक से आजादी दिलाई. नौसेना के नए ध्वज से ब्रिटिश सेंट जॉर्ज क्रॉस की जगह. अब भारत की समृद्ध विरासत की निशानी तिरंगे और अशोक चिह्न ने ली. वहीं आधे भाग में नेवी का क्रिस्ट है. नीले रंग का ये प्रतीक अष्टकोण की आकृति में है. जिसे महान मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी की शील्ड से प्रेरित होकर लिया गया है. इस अष्टकोणीय प्रतीक के नीचे देवनागरी में नौसेना के सूत्रवाक्य ''शं नो वरुण:'' अंकित है. इस सूत्रवाक्य का मतलब है. जल के देवता वरुण हमारे लिए मंगलकारी रहें.

3. विध्वंसक युद्धपोत मोरमुगाओ
INS विक्रांत ही नहीं, देश में बना शक्तिशाली युद्धपोत INS मोरमुगाओ को 18 दिसंबर को नौसेना के सुपुर्द किया गया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मुंबई में आधुनिक सेंसर और रडार से लैस इस युद्धपोत को नेवी को सौंपा. इस विध्वंसक युद्धपोत को भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है. जबकि इसका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने किया है. ये युद्धपोत भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 15B का हिस्सा है. जिसके तहत INS विशाखापट्टनम को पिछले साल भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था और अब INS मोरमुगाओ भी कमीशन किया जा चुका है. जबकि इम्फाल और सूरत युद्धपोत का निर्माण चल रहा है. साल 2024 तक इन जंगी जहाजों को नौसेना के बेड़े में शामिल किए जाने की योजना बनाई गई है.

4- INS वागशीर लॉन्च
स्वदेशी एयरक्राफ्ट और युद्धपोत के अलावा समुद्री सरहदों को सुरक्षित रखने के लिए 20 अप्रैल 2022 को स्कॉरपीन यानी कलवारी क्लास की सबमरीन वागशीर को लॉन्च किया गया. ये लॉन्चिंग प्रोजेक्ट-75 के तहत मुबंई के मझगांव डॉक्स से की गई. सबमरीन वागशीर एक डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन है, जो आधुनिक नेविगेशन और ट्रैकिंग सिस्टम से लैस है. प्रोजेक्ट-75 के तहत अभी तक 5 आधुनिक पनडुब्बियों को समुद्री सरहदों की रक्षा में तैनात किया गया है. सबमरीन वागशीर इस प्रोजेक्ट की आखिरी पनडुब्बी है. जिसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है. हालांकि, अभी इसका समुद्र में परीक्षण चल रहा है और अगर सब कुछ सही रहा तो इसे जल्द ही नेवी में शामिल कर दिया जाएगा. जिसके बाद भारतीय नौसेना के पास कलवारी क्लास की 6 अटैक सबमरीन हो जाएगी.

5. अग्नि-3, अग्नि-4 और अग्नि-5 का सफल टेस्ट
जून के शुरुआत में परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मीडियम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-4 का सफल परीक्षण किया गया. चार हजार किलोमीटर तक वार करने में सक्षम ये मिसाइल जमीन से जमीन पर प्रहार करती है. जो 20 मिनट में चीन और पाकिस्तान के किसी भी शहर को ध्वस्त कर सकती है. 20 मीटर लंबी, डेढ़ मीटर चौड़ी और 17 टन वजनी अग्नि-4 मिसाइल एक हजार किलो वजन तक विस्फोटक ले जाने की क्षमता रखती है. जबकि नवंबर महीने में इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-3 का सफल परीक्षण किया. 3 हजार किलोमीटर रेंज वाली इस मिसाइल को ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से लॉन्च किया गया. जो टेस्ट के दौरान सभी पैमानों पर खरी उतरी. हालांकि, अग्नि-3 मिसाइल पहले ही सेना में शामिल की जा चुकी है. इसके अलावा देश की सबसे लंबी दूरी की परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 की रेंज को बढ़ाने में भी सफलता मिली. पहले इसकी रेंज 5 हजार किलोमीटर थी, जो अब 7 हजार किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक मार कर सकती है. DRDO ने इस मिसाइल में लगे स्टील को हटाकर कंपोजिट मटेरियल लगा दिया. जिससे मिसाइल का वजन करीब 20 फीसदी से ज्यादा कम हो गया है.

6. सुखोई से ब्रह्मोस सफल टेस्ट 
भारतीय वायु सेना ने 19 अप्रैल को पूर्वी समुद्र तट पर सुखोई लड़ाकू विमान से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया. इस टेस्ट में मिसाइल ने पूरी सटीकता के साथ टारगेट को ध्वस्त कर दिया. खास बात ये रही कि टेस्ट के दौरान भारतीय नौसेना ने वायुसेना का पूरा साथ दिया. सुखोई-30 फाइटर जेट में लगाई गई ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल को पूरी तरह से देश में ही विकसित किया गया है. इसमें रैमजेट इंजन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. ताकि इसकी गति और सटीकता और ज्यादा घातक हो जाए. इससे पहले ब्रह्मोस मिसाइल के एयर वर्जन का सफल परीक्षण जुलाई 2021 में किया गया था. भारतीय वायुसेना के 40 सुखोई-30 MKI फाइटर जेट पर ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलें तैनात हैं.

7. अब तक के सबसे बड़े डिफेंस एक्सपो  
गुजरात के गांधीनगर में 18 से 22 अक्टूबर तक, अब तक के सबसे बड़े डिफेंस एक्सपो का सफल आयोजन किया एशिया के इस सबसे बड़े रक्षा आयोजन के 12वें एडिशन की थीम 'पाथ टू प्राइड' रखी गई थी. जिसमें स्वदेशी हथियारों, रक्षा उपकरणों और तकनीकों का प्रदर्शन किया गया. 5 दिनों के इस डिफेंस एक्सपो के उद्घाटन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शिरकत की. जिन्होंने इस मौके पर गुजरात के बनासकांठा के पास मौजूद भारतीय वायु सेना के डीसा एयरफील्ड का वर्चुअली शिलान्यास किया. ।इस बार के डिफेंस एक्सो में अब तक की सबसे ज्यादा 1,340 इंडियन कंपनियां शामिल हुईं. जबकि 10 राज्यों के पवेलियन भी देखने को मिले. ।
 
8. तवांग में चीन को मुंहतोड़ जवाब
लद्दाख से अरुणाचल तक भारत की जमीन पर नजर गड़ाए बैठे चीन को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी.   इस बार अरुणाचल प्रदेश के तवांग में 9 दिसंबर को करीब 300 चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की. बताया गया कि चीनी सैनिकों के पास कंटीली लाठी और डंडे थे. लेकिन, भारतीय फौज की मुस्तैदी के आगे चीनी सेना की एक नहीं चली. हालात ये हो गए थे कि चीनी सैनिकों को अपना बोरिया-बिस्तर तक छोड़कर वहां से भागना पकड़ा था. ख़बर है कि इस झड़प में कई चीनी सैनिक घायल हो गए थे. LAC पर मौजूदा तनाव को देखते हुए थल सेना और वायु सेना अलर्ट पर है. इससे पहले साल 2020 में लद्दाख के गलवान में दोनों सेनाओं के बीच झड़प हुई थी. जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे. जबकि चीन के 30 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे.
 
9. BRO ने बढ़ाया सड़कों का जाल
चीन और पाकिस्तान की साजिशों का देखते हुए बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन यानी BRO तेजी से सड़कों का जाल बिछा रही है. .वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी LAC से सटे सीमावर्ती इलाकों में सबसे ज्यादा रोड तैयार की जा रही हैं. रणनीतिक रूप से अहम अरुणाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और लद्दाख में सड़कों का खास ध्यान दिया जा रहा है। संसद में सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक पिछले तीन सालों के दौरान BRO ने सबसे ज्यादा केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में सड़कों का निर्माण किया है. वहां करीब 464 किलोमीटर सड़क बनाई गई है. इसके बाद अरुणाचल प्रदेश में 417 किलोमीटर, जम्मू-कश्मीर में 368 किलोमीटर, और उत्तराखंड में सरहद पर 332 किलोमीटर सड़क निर्माण किया गया है। इतना ही नहीं, सीमावर्ती इलाकों में पुल और सड़क बनाने के लिए सरकार ने BRO का बजट भी 40 प्रतिशत बढ़ाया है.
 
10. आत्मनिर्भरता की तरफ तेजी से बढ़े कदम
मोदी सरकार बीते कुछ सालों से लगातार आत्मनिर्भर भारत पर जोर दे रही है. हर क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है. खासकर रक्षा क्षेत्र में। सेना के तीनों अंगों को हाईटेक बनाने के लिए ज्यादातर हथियार अब देश में ही बनाएं जा रहे हैं. चाहे फाइटर जेट हों, ड्रोन हों, जंगी जहाज हों, मिसाइल हों, तोप हों या फिर टैंक हों। सेना के लिए बने कुछ हथियारों का परीक्षण चल रहा है. जबकि कुछ को आने वाले वक्त में सेना में शामिल करने की तैयारी चल रही है. गांधीनगर में हुए डिफेंस एक्सपो के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने भी कहा था कि पिछले 5 सालों में हमारा रक्षा निर्यात 8 गुना बढ़ा है.