चिनूक हेलिकॉप्टर की कमान संभालने वाली जिन दो महिला अधिकारियों का नाम सामने आ रहा है, वो स्क्वाड्रन लीडर पारुल भारद्वाज और स्वाति राठौर हैं. दोनों का तबादला चंडीगढ़ और असम के मोहनबाड़ी स्थित CH-47F चिनूक इकाइयों में किया गया है.
बता दें कि Chinook हेलिकॉप्टर को एक और नाम से जाना जाता है, और वो नाम है CH-47. CH का मतलब होता है Cargo Helicopter. जो सैनिकों से लेकर सेना के हथियार, तोप और दूसरी चीज़ों को एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचाने में काम आता है और चिनूक ये काम कई दशकों से कर रहा है.
भारत अकेला देश, जो ऊंचे पहाड़ी इलाकों में कर रहा इसका इस्तेमाल
साल 2020 में गलवान में हुई हिंसक झड़प के बाद भारतीय वायुसेना ने ऊंचाई वाले इलाकों में अपनी M-777 होवित्ज़र तोप और सैनिकों को पहुंचाने के लिए इन्हीं चिनूक हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल किया था. इस समय भारत दुनिया का अकेला ऐसा देश है, जो High Altitude यानी ऊंचे पहाड़ी इलाकों में इसका इस्तेमाल कर रहा है. बता दें कि लद्दाख में समुद्र तल से लगभग 15 हज़ार की फीट की ऊंचाई पर और अरुणाचल में लगभग 15 से 16 हजार फीट की ऊंचाई पर अभी Chinook का इस्तेमाल हो रहा है.
जानिए, कौन हैं दोनों महिला पायलट?
जिन दो महिला पायलटों को चिनूक की कमान मिल रही हैं, पहली स्क्वाड्रन लीडर पारुल भारद्वाज हैं और दूसरी स्वाति राठौर हैं. पारुल भारद्वाज की बात करें तो साल 2019 में भारतीय वायुसेना के एक कार्यक्रम के तहत एमआई-17 वी 5 हेलीकॉप्टर की उड़ान भरने के बाद पारुल भारद्वाज देश की पहले ऑल वुमन क्रू में शामिल हो गईं. पारुल भारद्वाज के घर की बात करें तो वो पंजाब के मुकेरियन से हैं और एमआई 17 वी5 उड़ाने वाली पहली महिला पायलट हैं.
वहीं स्वाति राठौर ने साल 2021 गणतंत्र दिवस परेड में भाग लिया था. स्वाति गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने वाली पहली महिला हेलिकॉप्टर पायलट थीं. स्वाति राजस्थान के अजमेर की रहने वाली हैं. साल 2015 में स्वाति राठौर वायु सेना में भर्ती हुईं और साल 2012 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय एयर कैडेट एक्सचेंज प्रोग्राम सिंगापुर में भारत का प्रतिनिधित्व किया.
चिनूक हेलिकॉप्टर की खासियत क्या है?
भारत के पास चिनूक हेलिकॉप्टर का जो वैरिएंट है, उसे CH-47F कहते हैं, और ये इस सीरीज़ का सबसे नया और आधुनिक हेलिकॉप्टर हैं. भारत के पास करीब 15 CH-47 चिनूक हेलिकॉप्टर हैं.
CH-47 एफ चिनूक एक एडवांस्ड मल्टी-मिशन हेलिकॉप्टर है. जो रफ्तार के मामले में दुनिया का सबसे तेज़ हेलिकॉप्टर माना जाता है.इसकी अधिकतम स्पीड 315 किलोमीटर प्रति घंटा है. ये करीब 10 हज़ार किलोग्राम वज़न उठा सकता है. इसमें अधिकतम 55 सैनिक एक बार में बैठ सकते हैं.इसे ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में भी बहुत आसानी से ऑपरेट किया जा सकता है.
ओसामा को मारने में Chinook का अमेरिका ने किया था इस्तेमाल
बता दें कि, चिनूक की सबसे एक और ख़ासियत ये है कि इस हेलिकॉप्टर को छोटे हेलीपैड और घनी घाटियों में भी उतर सकता है. साल 2011 में जब अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए अपने सैनिक पाकिस्तान भेजे थे, तब Chinook हेलिकॉप्टर्स का ही इस्तेमाल किया गया था.
हर मुश्किल से मुश्किल हालात में अपनी ताकत का लोहा मनवाने वाले ये हेलिकॉप्टर आज भारतीय सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से अलर्ट मोड पर रहता है. फरवरी 2019 में चिनूक हेलिकॉप्टरों का पहला बैच मिला था. पिछले कुछ साल में ये लद्दाख और सियाचिन ग्लेशियरों जैसी जगहों में तैनात भारतीय सेना की मदद के लिए एयरलिफ्ट ऑपरेशन जैसी अहम भूमिका निभा रहे हैं.