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पीएम नरेंद्र मोदी ने COP26 सम्मेलन के मंच से दुन‍िया को दी 'पंचामृत' की सौगात, जानें इसके बारे में

पीएम मोदी ने कहा, "मैं वन वर्ड मूवमेंट का प्रस्ताव रख रहा हूं. यह एक शब्द, जलवायु के संदर्भ में एक शब्द है, ‘वन वर्ड' दुनिया का मूल आधार बन सकता है, यह संकल्प बन सकता है। यह शब्द है- लाइफ (LIFE)...एल, आई, एफ, ई, यानी लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट.” इसके साथ समिट में प्रधानमंत्री ने 5 अमृत तत्व भी बताये जिनपर आने वाले समय में भारत काम करने वाला है

Photo: ANI Photo: ANI
हाइलाइट्स
  • पीएम ने कहा COP26 समिट नहीं, सेंटीमेंट था

  • 'लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट' को एक आंदोलन बनना चाहिए

  • क्लाइमेट चेंज पर वैश्विक मंथन के बीच दिया पंचामृत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को COP26 शिखर सम्मेलन में "वन-वर्ड मूवमेंट" (One-Word Movement) का प्रस्ताव रखा है. ग्लासगो में आयोजित इस समिट में संबोधित करते हुए पीएम 'पर्यावरण के लिए जीवन शैली' (Lifestyle for Environment) पर भी जोर दिया. 

पीएम मोदी ने कहा, "मैं वन वर्ड मूवमेंट का प्रस्ताव रख रहा हूं. यह एक शब्द, जलवायु के संदर्भ में एक शब्द है, ‘वन वर्ड' दुनिया का मूल आधार बन सकता है, यह संकल्प बन सकता है। यह शब्द है- लाइफ (LIFE)...एल, आई, एफ, ई, यानी लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट.”

सभी के साथ की है जरूरत 

उन्होंने सामूहिक भागीदारी का आह्वान करते हुए कहा कि 'लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट' को एक आंदोलन बनना चाहिए. पीएम ने कहा,"आज की जरूरत है कि हमें नासमझ और विनाशकारी खपत के बजाय दिमागी उपयोग पर ध्यान देने की जरूरत है. एकीकृत दृष्टिकोण के साथ यह मूवमेंट मछली पकड़ने, कृषि कल्याण, डायट्री चॉइस आवास, पैकेजिंग, हॉस्पिटैलिटी, पर्यटन, कपड़े, फैशन, जल प्रबंधन और ऊर्जा जैसे विविध क्षेत्रों में लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है. यह एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है.”

प्रधानमंत्री ने कहा कि ये ऐसे मुद्दे हैं जिनके लिए हर दिन हर किसी के द्वारा दिए गए सचेत विकल्प (Conscious choice) की जरूरत है. लाखों, अरबों लोगों द्वारा दिये गये ये विकल्प हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करेंगे. मेरा मानना ​​है कि यह आंदोलन हर परीक्षा में खड़ा होगा." .

COP26 समिट नहीं, सेंटीमेंट था

COP26 समिट को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पेरिस में हुआ मेरे लिए एक सेंटीमेंट था, एक कमिटमेंट था. उन्होंने आगे कहा, “भारत ने जो भी वादे वहां किये वे विश्व से नहीं बल्कि भारतवासी अपने आप से कर रहे थे. आज दुनिया की आबादी का 17 प्रतिशत होने के बावजूद भी जिसकी कार्बन इमिशन में सिर्फ 5 प्रतिशत तक ही रहा है, उस भारत ने अपना कर्तव्य पूरा करके दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.

संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम् का दिया मंत्र 

पीएम मोदी ने कहा, “आज मैं आपके समक्ष ऐसी भूमि का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं, जिसने हजारों वर्ष पहले ये मंत्र दिया था, ‘'संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्'. आज 21वीं सदी में ये मंत्र और ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है. ‘संगच्छध्वं  यानि सभी साथ मिलकर चलें, संवदध्वं यानि सबलोग आपस में मिलकर संवाद करें और मनांसि जानताम् का मतलब सभी के मन भी आपस में मिले रहें.”

क्या हैं 5 अमृत तत्व? 

समिट में प्रधानमंत्री ने 5 अमृत तत्व भी बताये जिनपर आने वाले समय में भारत काम करने वाला है. पीएम मोदी ने कहा, “क्लाइमेट चेंज पर वैश्विक मंथन के बीच मैं भारत की ओर से इस चुनौती से निपटने के लिए 5 अमृत तत्व रखना चाहता हूं. पंचामृत की सौगात देना चाहता हूं. पहला, भारत 2030 तक अपनी नॉन फॉसिल एनर्जी कैपेसिटी को 500 गीगावॉट तक पहुंचायेगा. दूसरा, भारत 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत एनर्जी रिक्वायरमेंट रिन्यूएबल एनर्जी से पूरी करेगा. तीसरा, भारत अब से लेकर 2030 तक कार्बन एमिशन प्रोजेक्ट में 1 बिलियन टन की कमी करेगा. चौथा, भारत अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेंसिटी को 45 परसेंट से भी कम करेगा और पांचवा 2070 तक भारत नेट जीरो (Net Zero) का लक्ष्य हासिल करेगा.”