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कोलकाता के इस दुर्गा पंडाल में इस बार महाष्टमी पर होगी मुस्लिम लड़की की पूजा...क्यों लिया गया ये फैसला? किससे है प्रेरित, जानिए

कलकत्ता न्यू टाउन में हो रही दुर्गा पूजा ने एक अनोखी परंपरा की शुरुआत की है. इस बार यहां महाष्टमी की पूजा में एक ब्राह्मण लड़की की जगह एक मुस्लिम लड़की की पूजा की जाएगी. लड़की का नाम नफीसा है और वो एक हाउस हेल्प की लड़की है.

Durga Puja (Pexels) Durga Puja (Pexels)

वैसे तो आपने हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का संदेश देने के लिए कई कहानियां सुनी होंगी लेकिन ये पहले आपको वाकई आश्चर्य में डाल देगी. कोलकाता के न्यू टाउन में हो रही दुर्गा पूजा में इस बार आयोजकों ने सांप्रदायिक सद्भाव के संदेश को बढ़ावा देने के लिए महाअष्टमी पर कुमारी पूजा के दौरान पूजा करके परंपरा को तोड़ने का फैसला किया है. इसके लिए वो आठ वर्षीय नफीसा को देवी दुर्गा के रूप में पूजेंगे.

मुस्लिम लड़की की पूजा
न्यू टाउन के पथुरियाघाटा क्षेत्र की निवासी नफीसा को मृतिका क्लब की ऑल वुमन कमिटी ने पूजा के लिए इस लड़की को चुना है. महाष्टमी पर कुंवारी कन्याओं को देवी दुर्गा के रूप में पूजा करना आम बात है. वैसे पारंपरिक रूप से केवल ब्राह्मण लड़कियों को "कुमारी" के रूप में चुना जाता है जिनकी उम्र 12 साल से कम हो. नफीसा को चुनने का निर्णय समावेशिता और सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देता है, जो एक सदी पहले स्वामी विवेकानंद के कार्यों से प्रेरित है.

साल 1898 में अपनी यात्रा के दौरान, स्वामी विवेकानन्द ने एक मुस्लिम नाविक से अनुरोध किया था कि वह अपनी चार वर्षीय बेटी को श्रीनगर के खीर भवानी मंदिर में दुर्गा पूजा के लिए भेज दें. इसके बाद उस लड़की की मंदिर में पूजा की गई थी. ग्रुप का कहना है कि उनकी ये बात आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है और वह उस संदेश को दोहराने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे यहां परंपरा है कि हम बच्चियों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेते हैं.

विवेकानंद से हैं प्रेरित
मृत्तिका क्लब के कई सदस्य रामकृष्ण मठ और बेलूर मठ से संबंध रखते हैं. इसकी स्थापना स्वामी विवेकानंद ने की थी. क्लब की सचिव प्रथमा मुखर्जी ने कहा, "अगर स्वामीजी एक सदी से भी पहले एक मुस्लिम लड़की की पूजा कर सकते थे, तो हम अब ऐसा क्यों नहीं कर सकते?"इस साल की शुरुआत में, उत्तरी कोलकाता में बारानगर फ्रेंड्स एसोसिएशन ने भी ईद-अल-अधा के अवसर पर, खुटी पूजा के दौरान एक छह वर्षीय मुस्लिम लड़की की "कुमारी" के रूप में पूजा की थी. बंगाली में खुटी का मतलब खंभा होता है और पूजा पंडाल के निर्माण से पहले की जाती है.

कई मुस्लिम परिवार लेते थे पूजा में हिस्सा
नफीसा की मां सबा एक घर में नौकरानी का काम करती हैं. वो इस पूजा को लेकर काफी उत्साहित थीं. नफीसा की टीचर शताब्दी गांगुली ने बताया कि जब सबा को बताया गया कि नफीसा की पूजा की जाएगी तो  वह आश्चर्यचकित थी और शुरू में उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह कैसे प्रतिक्रिया दे. लेकिन बाद में समझाने पर उन्हें सारा मामला समझ आ गया और वह खुशी से इसके लिए सहमत हो गईं."न्यू टाउन के निवासियों ने बताया कि उन्होंने पहले भी कई मुस्लिम परिवारों को दुर्गा पूजा में सक्रिय रूप से भाग लेते देखा था, लेकिन यह पहली बार है कि वे किसी पूजा का हिस्सा हैं जहां समुदाय की एक लड़की को देवी के रूप में पूजा की जा रही है.