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फ्रीलांसर, उद्यमियों और वर्किंग मदर्स के लिए कोलकाता में शुरू हुआ Happy Works,जहां काम करने के लिए रेंट पर मिलती है सीट

हैप्पी वर्क्स एक तरह का ओपन वर्क स्पेस है जिसमें ओपन पॉड्स रखे गए हैं. ये आपको एक तरीके का केबिन प्रदान करते हैं जो लोग ऑफिस नहीं जाते हैं और उन्हें कुछ समय के लिए एक ऐसा वर्किंग स्पेस चाहिए होता है जहां वो अपना काम निपटा सकें.

Working Pod (Representative Image) Working Pod (Representative Image)
हाइलाइट्स
  • रेंट पर मिलता है केबिन

  • 20 वर्किंग डेस्क हैं

कोलकाता की रहने वाली पूजा मैत्रा को रोज अपनी चार साल की बेटी को स्कूल छोड़ने जाना होता था. इसके बाद पूजा वहीं कार में बेटी का इंतजार करती थीं. इस दौरान वो कार को अपने ऑफिस के काम के लिए इस्तेमाल करती थीं. पूजा पेशे से एक मीडिया प्रोफेशनल हैं. उन्होंने अपनी कार को मोबाइल ऑफिस का नाम दिया है. इस बीच कई बार पूजा की कार बहुत ज्यादा गर्म हो जाती थी और वो अपना लैपटॉप चार्ज नहीं कर पाती थी. इस वजह से उन्हें कई बार कैफे में बैठकर काम करना पड़ता था. लेकिन रोज-रोज कैफे से काम करना काफी महंगा था.

यहीं से Happy Works की शुरुआत हुई. यह एक को-वर्किंग स्पेस था जिसे पश्चिम बंगाल हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन या हिडको द्वारा शुरू किया गया था. यह शहर के न्यू टाउन क्षेत्र में एक पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग था.

रेंट पर मिलता है केबिन
हैप्पी वर्क्स स्पेस में वर्किंग पॉड्स शामिल हैं, जो लोगों को काम करने के लिए मिनिमल रेट में एक आरामदायक सेटिंग प्रदान करते हैं. पहले डेढ़ घंटे (90 मिनट) के लिए शुल्क 30 रुपये है, जिसके बाद प्रत्येक अतिरिक्त घंटे के लिए 20 रुपये का भुगतान करना होगा. कई कस्टमर महीने की शुरुआत में एकमुश्त शुल्क देकर मासिक आधार पर पॉड भी बुक करते हैं.

इन पॉड्स को न्यू टाउन में तीन स्थानों पर स्थापित किया गया है और ये तेजी से फ्रीलांसरों, इंटरप्रेन्योर और निश्चित रूप से कामकाजी माताओं को आकर्षित कर रहे हैं. इन पॉड्स का उपयोग करने वाले अधिकांश लोगों ने महामारी के दौरान अपने किराए के ऑफिसों को छोड़ दिया था. पॉड का इस्तेमाल कर रही यूजर सुकन्या गुहा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'मैं बहुत खुश हूं कि सरकार ऐसा कुछ लेकर आई है. सुकन्या खुद भी एक पांच साल के बच्चे की मां हैं और अपना स्टार्टअप बनाने का काम कर रही हैं.

20 वर्किंग डेस्क हैं
चमकीले पीले रंग में रंगे हुए वर्किंग पॉड्स को 800 से अधिक वर्ग फुट क्षेत्र में बनाया गया है. इसमें लगभग 20 वर्किंग डेस्क हैं. प्रत्येक में नंबर पड़ा हुआ है और एक बुक शेल्फ़ के साथ आता है. यह निःशुल्क हाई स्पीड वाई-फाई के साथ एयर कंडीशन वाली जगह है. लोगों के पास सर्दियों में छत से काम करने का विकल्प भी होता है.कई कस्टमर्स के लिए विशेष रूप से यंग मदर्स के लिए घर से काम करना हमेशा सबसे सुविधाजनक विकल्प नहीं होता है. एक तो कई परिवार महिलाओं के करियर को गंभीरता से नहीं लेते हैं. इसके अलावा घर में रहो तो परिवार के सदस्य भी कुछ न कुछ मांगते रहते हैं जिससे ध्यान भंग होता है. वर्किंग पॉड सभी सात दिनों में सुबह 9 बजे से शाम 8 बजे तक खुले रहते हैं. मैत्रा ने कहा, "आज हमारे शहर में वर्किंग पॉड्स सबसे अच्छी चीज हैं."

कैफे में काम करना होता था महंगा
यहां लोगों को कई अलग-अलग विचारों, संस्था के लोगों के साथ काम करने का मौका मिलेगा. 44 वर्षीय अभिनव विश्वास महिलाओं की स्वच्छता पर काम करने वाले एक स्टार्ट-अप के प्रमुख हैं कहते हैं,“मैं हर महीने मीटिंग करने और अपने साथियों से मिलने आता हूं. पहले मैं कोलकाता में बुकिंग करता था लेकिन अब मैं ऐसी मीटिंग के लिए इन वर्किंग पॉड्स के कॉनफ्रेस रूम बुक करता हूं. वे मुझसे 200 रुपये प्रति घंटे का शुल्क लेते हैं.”

अगस्त 2021 में राज्य के मंत्री फिरहाद हाकिम और हिडको के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक देबासिस सेन ने पहले तीन वर्किंग पॉड्स का उद्घाटन किया था. सेन ने कहा, "ये पॉड्स हर गुजरते दिन के साथ लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं, न केवल इसलिए कि वे बहुत सस्ती हैं बल्कि इसलिए भी कि ये बहुत कम्फर्टेबल हैं." इन पॉड्स के लिए कुछ पैसे चार्ज करने के पीछे का विचार सिर्फ इतना था वाईफाई और बिजली का खर्च वसूल करें, मुनाफा कमाने के लिए नहीं.”

आगे की क्या है प्लानिंग
इन वर्किंग पॉड्स को अब स्वयं सहायता समूहों को सौंप दिया गया है. न्यूटाउन में करीब 20-25 महिलाएं बारी-बारी से तीन वर्किंग पॉड्स चलाती हैं. अगले फेज में HIDCO बड़ा को-वर्किंग स्पेस बनाने पर विचार कर रही है जिसमें को-लिविंग का ऑप्शन भी होगा.