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KT Rama Rao Defamation Case: कहीं आप भी तो नहीं कर रहे किसी की मानहानि, हो सकती है जेल… जानें क्या है ये?

भारत में, मानहानि सिविल अपराध और क्रिमिनल अपराध दोनों में आता है. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत मानहानि का प्रावधान धारा 222 में दिया गया है. मानहानि करने वाले व्यक्ति को दो साल तक की जेल, जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है. अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाने के लिए कुछ छापता या बोलता है, तो उसे इसके तहत सजा दी जा सकती है.

Defamation Case (Representative Image) Defamation Case (Representative Image)
हाइलाइट्स
  • पहले कानूनी नोटिस भेजा जाता है

  • इसमें मामला दायर करना जरूरी होता है

भारत राष्ट्र समिति (BRS) पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष KT रामाराव (KT Rama Rao) ने तेलंगाना की मंत्री कोंडा सुरेखा (Telangana Minister Konda Surekha) के खिलाफ 100 करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा दायर किया है. उन्होंने सोशल पर बताया कि सुरेखा ने उनके बारे में खराब बयान दिए हैं, जिसके चलते उन्होंने यह कानूनी कदम उठाया है. 

अब इसे लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है कि आखिर किन मामलों को मानहानि माना जाएगा? या फिर क्या बोलने पर सामने वाला आपके ऊपर मानहानि का मुकदमा दर्ज कर सकता है.
 
मानहानि क्या है?
मानहानि (Defamation) को किसी भी झूठे बयान के रूप में देखा जाता है, यह लिखित या मौखिक हो सकता है. ऐसा कोई भी बयान जिससे किसी व्यक्ति के मान-सम्मान को ठेस पहुंचती है, उसे मानहानि कहा जा सकता है. आसान शब्दों में समझें, तो कोई भी गलत बयान जिसमें किसी के केरैक्टर यानी चरित्र को झूठे आरोपों या बयानों के माध्यम से सार्वजनिक रूप से नुकसान पहुंचाया गया हो. मानहानि दो रूपों में हो सकती है: लिखित मानहानि (लाइबल) और मौखिक मानहानि (स्लैंडर). 

1. लिखित मानहानि (Libel): यह तब होती है जब किसी व्यक्ति या संस्था के बारे में झूठे बयान लिखित, प्रिंट या किसी विजुअल में प्रकाशित किए जाते हैं. जैसे- किताबें, अखबार, पत्रिकाएं, या तस्वीरें. 

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2. मौखिक मानहानि (Slander): यह तब होती है जब किसी व्यक्ति के बारे में झूठे आरोप मौखिक रूप से फैलाए जाते हैं, जैसे बातचीत, भाषण या अफवाहों के माध्यम से. 

भारत में सिविल और क्रिमिनल मानहानि
भारत में, मानहानि सिविल अपराध और क्रिमिनल अपराध दोनों में आता है. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bhartiya Nagrik Suraksha Sanhita, 2023) के तहत मानहानि का प्रावधान धारा 222 में दिया गया है. इसके अनुसार, अगर कोई व्यक्ति शब्दों, संकेतों, या विजुअल रिप्रेजेंटेशन के माध्यम से किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने का इरादा रखता है, और इसके लिए वह कुछ करता है, तो उसे मानहानि माना जाता है.

मानहानि करने वाले व्यक्ति को दो साल तक की जेल, जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है. अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाने के लिए कुछ छापता या पब्लिश करता है, तो उसे इसके तहत सजा दी जा सकती है. इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति ऐसा कंटेंट बेचता है या बेचने की कोशिश करता है, तो उसे भी सजा मिल सकती है.

मानहानि: दीवानी और आपराधिक
मानहानि दीवानी और आपराधिक दोनों रूपों में आती है.

-दीवानी मानहानि: इसमें व्यक्ति को नुकसान की भरपाई के रूप में मुआवजा दिया जाता है. यह कानून के तहत तब होता है जब किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता है.

-आपराधिक मानहानि: इसमें व्यक्ति को जेल या जुर्माना या दोनों की सजा दी जाती है. 

भारत में मानहानि का मुकदमा दायर करने की प्रक्रिया

1. पहला कदम: कानूनी नोटिस भेजना
मानहानि का मुकदमा दायर करने से पहले, आरोपी को कानूनी नोटिस भेजना होता है. इस नोटिस में सार्वजनिक माफी की मांग की जाती है या ऐसे बयानों को रोकने की चेतावनी दी जाती है. KT रामाराव के मामले में, उन्होंने सुरेखा को एक नोटिस भेजा, जिसमें उनसे उनके बयानों को वापस लेने और माफी मांगने का मौका दिया गया. जब सुरेखा ने माफी नहीं मांगी, तब रामाराव ने कानूनी कार्यवाही की.

2. दूसरा कदम: मामला दायर करना
 अगर आरोपित व्यक्ति माफी नहीं मांगता या उसे सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठाता है, तो पीड़ित सिविल या क्रिमिनल कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर कर सकता है. सिविल मामलों में, व्यक्ति हर्जाने (आर्थिक क्षतिपूर्ति) की मांग करेगा, जबकि आपराधिक मामलों में, वे दंडात्मक कार्रवाई की मांग कर सकते हैं.

3. तीसरा कदम: एविडेंस इकट्ठे करना 
यह वादी की जिम्मेदारी होती है कि वह यह साबित करे कि जो बयान है वह झूठा है और मानहानि के मकसद से दिया गया है. इस प्रकार के मामलों में सोशल मीडिया पोस्ट, समाचार लेख, और गवाहों की गवाही अदालत में प्रस्तुत की जा सकती हैं. इससे यह दिखाया जा सकेगा कि  पीड़ित की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया गया है.

4. चौथा कदम: कोर्ट की कार्यवाही और फैसला  
एक बार मामला दायर हो जाने के बाद, कोर्ट की कार्यवाही होती है. इसमें दोनों व्यक्ति और जो सबूत हैं, वो पेश किए जाते हैं. अदालत इन सबूतों को देखती है और दोनों पक्षों की सुनवाई करती है. फिर फैसला सुनाया जाता है.