साल 1964 में 9 जून को लाल बहादुर शास्त्री ने देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. यह वह समय था जब देश गरीबी से जूझ रहा था. साल 1962 में चीन से युद्ध में हार के बाद देश का आत्म-विश्वास टूटा हुआ था. जिस वापस जोड़ने का काम किया लाल बहादुर शास्त्री ने. साल 1965 में शास्त्री के नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान से युद्ध जीता.
युद्ध में जीत उनकी एकमात्र उपलब्धि नहीं थी, बल्कि उनकी हरित क्रांति और श्वेत क्रांति जैसी पहलों ने भारत को अन्नदाता बनाया. शास्त्री जी का कद भले ही छोटा था लेकिन उनकी शख्सियत के आगे ताशकंद में अभिमानी सेना के जनरल अयूब खान बौने हो गए थे. यह लाल बहादुर शास्त्री थे जो अपने परिवार के लिए संपत्ति के रूप में केवल एक धोती-कुर्ता और कुछ किताबें छोड़कर गए थे.
आज हम आपको बता रहे हैं शास्त्री जी से जुड़ी कुछ ऐसी दिलचस्प बातें जो कम ही लोगों को पता हैं.
1. लाल बहादुर को 1926 में काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय में 'शास्त्री' की उपाधि मिली थी. दरअसल, यह एक डिग्री थी न कि उनका सरनेम.
2. स्कूल के दिनों में, शास्त्री जी दिन में दो बार गंगा में तैरते थे और उनके सिर पर किताब बंधी होती थी क्योंकि उनके पास नाव से गंगा पाार करने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं होते थे.
3. भारत की स्वतंत्रता के बाद, गोविंद बल्लभ पंत ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला और उन्होंने शास्त्री को पुलिस और परिवहन नियंत्रण मंत्री नियुक्त किया. परिवहन विभाग के प्रभारी के रूप में, शास्त्री ने पहली बार महिलाओं को कंडक्टर के रूप में नियुक्त करके एक सार्थक बदलाव लाया.
साथ ही, पुलिस मंत्री के रूप में वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने लाठी चार्ज के बजाय भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पानी के जेट का इस्तेमाल किया.
4. अपनी शादी के समय उन्होंने दहेज का विरोध किया और कुछ भी लेने से इंकार कर दिया. लेकिन अपने ससुर के बहुत आग्रह करने पर सिर्फ कुछ मीटर खादी का कपड़ा और चरखा लिया. बताया जाता है कि धोती-कुर्ता पहनने के कारण नेहरू ने उन्हें एक बार आधा सभ्य कहा था.
5. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जब वह जेल में थे, तब शास्त्री की पत्नी को 50 रुपये प्रति माह पेंशन मिलती थी. शास्त्री की पत्नी ने एक बार उन्हें बताया कि उन्होंने पेंशन में से 10 रुपये बचाए हैं. इस बात से नाराज शास्त्री ने पीपुल्स सोसाइटी के सेवकों से अपनी पेंशन 10 रुपए कम करने और इस पैसे को किसी जरूरतमंद को देने के लिए कहा.
6. जब उनके बेटे को उनकी नौकरी में अनुचित पदोन्नति मिली, तो इससे लाल बहादुर शास्त्री चिढ़ गए और उन्होंने तुरंत पदोन्नति को उलटने का आदेश जारी कर दिया.
7. देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद भी शास्त्री के पास एक कार भी नहीं थी. परिवार के सदस्यों कहने पर, शास्त्री ने आखिरकार अपने सचिव से फिएट कार की कीमत का पता लगाने के लिए कहा. लागत 12,000 रुपये निकली. और शास्त्री के बैंक अकाउंट में सिर्फ 7000 रुपये थे. उन्होंने 5000 रुपए के एक कार लोन के लिए आवेदन किया जो एक पल में उन्हें मिल गया.
लेकिन शास्त्री ने बैंक अधिकारी को तुरंत तलब किया और पूछा कि क्या बैंक अन्य ग्राहकों को भी इतनी आसानी से लोन मिल जाता है. दिलचस्प बात यह है कि शास्त्री जी की मौत के बाद कार के लोन को उनकी पत्नी ने चुकाया.
8. साल 2004 में उनकी जन्मशती के अवसर पर, आरबीआई ने उनके जीवन की स्मृति में उनके चित्र के साथ 100 रुपये का सिक्का जारी किया. यह सिक्का नॉन सर्कुलेटिंग है और सिर्फ ऑर्डर पर उपलब्ध है.