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Lal Bahadur Shastri Birth Anniversary: भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी दी जाती है शास्त्री जी की मिसाल... सादगी से जीता दुनिया का दिल

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के सादगी और सरलता से भरे सशक्त व्यक्तित्व को आज भी याद किया जाता है. उन्होंने आजादी से पहले स्वतंत्रता संग्राम में और आजादी के बाद सियासत में पूरी ईमानदारी से अपना योगदान दिया.

Lal Bahadur Shastri Birth Anniversary Lal Bahadur Shastri Birth Anniversary

भारत के दूसरे प्रधानमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री का कार्यकाल बतौर पीएम बहुत ज्यादा लंबा नहीं रहा. फिर भी छोटे से समय में उन्होंने न सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर के लोगों के दिलों में अपनी जगह बना ली. शास्त्री जी सिर्फ भारत के प्रधानमंत्री रहे  बल्कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्हें खासकर 1965 के भारत-पाक युद्ध के लिए याद किया जाता है. 

दिया 'जय जवान, जय किसान' का नारा 
दरअसल, 1962 में चीन से युद्ध के बाद देश आर्थिक रूप से कमजोर हो चुका था. इसके बाद साल 1965 में अच्छी बारिश न होने से देश में अकाल के हालात बन गए. तब ही 5 अगस्त 1965 को 30 हजार पाकिस्तानी सैनिक LOC पार करके कश्मीर में घुस आए. लेकिन भारतीय सेना ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया. देश में अनाज की कमी थी और सरहद पर जवान जान की बाजी लगा रहे थे. तब दिल्ली के रामलीला मैदान से शास्त्री जी ने पहली बार – 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया. उन्होंने लोगों से दिन में एक समय ही भोजन करने की अपील की ताकि अनाज बचाया जा सके. उन्होंने खुद इस उपवास की शुरुआत की. 

बीवी-बच्चों को भी नहीं उठाने दिया पद का फायदा 
देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की सादगी और शालीनता के कई किस्से मशहूर हैं. बताया जाता है कि उन्होंने कभी अपने बीवी बच्चों को भी अपने पद को फायदा नहीं लेने दिया. एक बार उनके बेटे सुनील शास्त्री ने उन्हें बिना बताए सरकारी कार का इस्तेमाल कर लिया था. इसके बाद शास्त्री जी ने अपने ही बेटे से किलोमीटर के हिसाब से सरकारी खाते में पैसे जमा कराए थे. यहां तक कि उन्होंने कभी अपने बेटे की नौकरी के लिए भी सिफारिश नहीं की. 

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स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जब वह जेल में थे, तब शास्त्री की पत्नी को 50 रुपये प्रति माह पेंशन मिलती थी. शास्त्री की पत्नी ने एक बार उन्हें बताया कि उन्होंने पेंशन में से 10 रुपये बचाए हैं. यह बात सुनकर शास्त्री ने पीपुल्स सोसाइटी के सेवकों से अपनी पेंशन 10 रुपए कम करने और इस पैसे को किसी जरूरतमंद को देने के लिए कहा. यहां तक कि उन्होंने गाड़ी खरीदने के लिए भी बैंक से लोन लिया था. 

पत्नी ने चुकाया कार का लोन
देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद भी शास्त्री के पास एक कार भी नहीं थी. परिवार के सदस्यों कहने पर, शास्त्री ने आखिरकार अपने सचिव से फिएट कार की कीमत पता करने के लिए कहा. लागत 12,000 रुपये निकली और शास्त्री के बैंक अकाउंट में सिर्फ 7000 रुपये थे. उन्होंने 5000 रुपए के एक कार लोन के लिए आवेदन किया जो एक पल में उन्हें मिल गया. 

लेकिन शास्त्री जी ने बैंक अधिकारी को तुरंत तलब किया और पूछा कि क्या बैंक अन्य ग्राहकों को भी इतनी आसानी से लोन मिल जाता है. दिलचस्प बात यह है कि शास्त्री जी की मौत के बाद कार के लोन को उनकी पत्नी ने चुकाया.

पाकिस्तान में भी दी जाती है शास्त्री जी की मिसाल 
भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में भी लोग शास्त्री जी की सादगी और ईमानदारी की मिसाल देते हैं. जी हां, यूट्यूब पर अक्सर पाकिस्तान के मशहूर एंकर और यूट्यूबर, जावेद चौधरी का वीडियो ट्रेंड करता है, जिसमें वह शास्त्री जी की तारीफ कर रहे हैं. उन्होंने वीडियो में कहा कि शास्त्री जी भारत के जानेमाने सियासतदान थे. शास्त्री जी 1952 में भारतीय रेलवे मंत्री बने थे. उनके दौर में एक ट्रेन दुर्घटना हुई और काफी लोगों की जान गई. इस दुर्घटना की जिम्मेदारी लेते हुए शास्त्री जी ने इस्तीफा दे दिया. 

जावेद ने कहा कि इस घटना के कुछ साल बाद इसी तरह का ट्रेन एक्सीडेंट पाकिस्तान में हुआ. इस पर असेंबली में पाकिस्तान के रेलवे मंत्री से इस्तीफा मांगा गया. लेकिन उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि क्या ट्रेन मैं चला रहा था? जावेद वीडियो में कहते हैं कि उन्हें इस बात पर शर्म आती है कि जहां भारत में छोटे-छोटे हादसों तक की भी जिम्मेदारी लेकर नेता और अफसर इस्तीफा दे देते हैं वहीं पाकिस्तान में बड़े से बड़े हादसों की जिम्मेदारीकोई नेता या अफसर नहीं लेता. पाकिस्तान में बड़े-बड़े एडमिनिस्ट्रेटिव फेलियर और बड़े-बड़े ब्लंडर्स के बाद भी छोटे-छोटे वजीर, चेयरमैन और कमिश्नर तक अपने पद पर बने रहते हैं.