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Bharat Ratna: BJP के दिग्गज नेता Lal Krishna Advani को मिलेगा भारत रत्न, PM Modi ने किया ऐलान, ऐसा रहा लौहपुरुष का राजनीतिक सफर

LK Advani Bharat Ratna: लालकृष्ण आडवाणी जब 14 साल के थे तभी संघ से जुड़ गए थे. वह तीन बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं. वह  4 बार राज्यसभा के और 5 बार लोकसभा के सदस्य चुने गए.

LK Advani and PM Modi LK Advani and PM Modi
हाइलाइट्स
  • 8 नवंबर 1927 को हुआ था लालकृष्ण आडवाणी का जन्म

  • 2015 में पद्म विभूषण से किया गया था सम्मानित

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दिग्गज नेता लालकृष्‍ण आडवाणी को केंद्र सरकार ने सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान भारत रत्‍न से सम्‍मानित करने का ऐलान किया है. इसकी जानकारी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए दी है. कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा और खेल के क्षेत्र में देश के लिए असाधारण योगदान देने वाले लोगों को भारत रत्‍न से नवाजा जाता है. इसको देने की शुरुआत साल 1954 में हुई थी. 

पीएम मोदी ने क्या लिखा
पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. मैंने भी उनसे बात की और इस सम्मान से सम्मानित होने पर उन्हें बधाई दी. हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक, भारत के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है. उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर हमारे उपप्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक का है. उन्होंने हमारे गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी अपनी पहचान बनाई. उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय और समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरे रहे हैं.'

सिंध प्रात में हुआ था जन्म
लालकृष्ण आडवाणी का जन्म अविभाजित भारत के सिंध प्रांत में 8 नवंबर 1927 को हुआ था. पिता का नाम था कृष्णचंद डी आडवाणी और माता का नाम ज्ञानी देवी था. लालकृष्ण पाकिस्तान के कराची में स्कूल में पढ़े और सिंध में कॉलेज में दाखिला लिया. जब देश का विभाजन हुआ तो उनका परिवार मुंबई आ गया. यहां पर उन्होंने कानून की शिक्षा ली. 

14 साल की उम्र में जुड़ गए थे संघ से
लालकृष्ण आडवाणी जब 14 साल के थे तभी संघ से जुड़ गए थे. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने आरएसएस के साथ मिलकर 1951 में जब राजनीतिक पार्टी भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी. उसमें आडवाणी सदस्य के तौर पर जुड़ गए. उन्हें राजस्थान में जनसंघ के जनरल सेक्रेटरी एसएस भंडारी का सचिव बनाया गया. उसके बाद वह 1957 में दिल्ली आ गए और जल्द ही जनसंघ की दिल्ली इकाई के जनरल सेक्रेटरी और बाद में प्रेसिडेंट बन गए. जनसंघ में विभिन्न पदों पर काम करने के बाद लालकृष्ण आडवाणी को कानपुर सेशन के दौरान पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में अध्यक्ष बनाया गया. आडवाणी 1986 तक भारतीय जनता पार्टी के महासचिव का कार्यभार संभालने के बाद साल 1986 से लेकर 1991 तक भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे.

अयोध्या आंदोलन के रहे नायक 
भारतीय जनता पार्टी के पितामह कहे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी अयोध्या आंदोलन के नायक रहे. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर 1990 में गुजरात के सोमनाथ से शुरू की गई उनकी रथ यात्रा ने भारत के सामाजिक ताने-बाने पर अंदर तक असर डाला. रथ यात्रा के दौरान आडवाणी अपने जोशीले और तेजस्वी भाषणों की वजह से हिन्दुत्व के नायक बन गए. हिन्दी पट्टी राज्यों में उनकी लोकप्रियता का ग्राफ जबर्दस्त बढ़ा. आडवाणी की रथ यात्रा 1991 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा हुआ. बीजेपी की सीटें 120 तक पहुंच गई. आडवाणी ने देश के सातवें उपप्रधानमंत्री के तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में अपनी सेवाएं भी दी. 

प्रधानमंत्री बनने का सपना नहीं हुआ पूरा
लालकृष्ण आडवाणी तीन बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं. पहली बार वह 1986 से 1990 तक अध्यक्ष रहे और उसके बाद 1993 से 1998 और फिर 2004 से 2005 तक पार्टी अध्यक्ष रहे. वह  4 बार राज्यसभा के और 5 बार लोकसभा के सदस्य बने. आडवाणी पहली बार 1977 में लोकसभा का चुनाव लड़े और जनता पार्टी का सदस्य बने. 1977 से 1979 तक इन्हें केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया. 1998 से लेकर 2004 तक अटल बिहारी बाजपेई के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत के गृहमंत्री का पदभार संभाला. 

2002 से 2004 तक प्रधानमंत्री अटल बिहारी के कार्यकाल के दौरान इन्होंने भारत के उप प्रधानमंत्री का पदभार संभाला. लेकिन इनका भारत का प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा नहीं हुआ. साल 2008 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने लोकसभा चुनाव को आडवाणी के नेतृत्व में लड़ने और जीत होने पर उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा की थी. लेकिन पार्टी यह चुनाव जीतने में सफल नहीं रही. इस तरह से आडवाणी का पीएम बनने का सपना पूरा नहीं हो पाया. लालकृष्ण आडवाणी ने 2013 में अपने सभी पदों से इस्तीफा देते हुए अपने राजनीतिक सफर को विराम दे दिया.  साल 2015 में आडवाणी को भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.