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Law of Renaming: केंद्र सरकार ने चार गांवों का नाम बदलने को दी मंजूरी, जानें आखिर कैसे बदला जाता है किसी भी जगह का नाम

किसी गांव या कस्बे या स्टेशन का नाम बदलने के लिए कार्यकारी आदेश की जरूरत होती है. हालांकि, भारत में प्रमुख शहरों या स्थानों के नाम बदलना कोई बड़ी चीज नहीं है. ऐसे परिवर्तन होते रहते हैं और इसके लिए एक प्रक्रिया बनाई गई है. 

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हाइलाइट्स
  • केंद्र सरकार ने चार गांवों का नाम बदलने को दी मंजूरी

  • नाम बदलने के लिए बनाई गई है पूरी प्रक्रिया 

केंद्र सरकार ने उड़ीसा में एक रेलवे स्टेशन और चार गांवों का नाम बदलने को मंजूरी दे दी है. इनमें से तीन गांव राजस्थान के हैं. उदयपुर जिले की कानोड़ तहसील के राजस्व ग्राम "खिमावतों का खेड़ा" का नाम "खिमसिंहजी का खेड़ा", जोधपुर की फलौदी तहसील के "बेंगती कला" गांव का नाम "बेंगती हरबूजी" करने के लिए एनओसी दे दिया गया है. जिला और जालोर जिले की सायला तहसील में "भुंडवा" गांव को "भांडवपुरा" के रूप में जाना जाएगा. उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के 'अमानुल्लापुर' गांव का नाम बदलकर जमुना नगर करने के लिए भी एनओसी दे दिया गया है.

नाम बदलने के लिए बनाई गई है पूरी प्रक्रिया 

नाम बदलने के प्रोसेस के बारे में बात करें, तो किसी राज्य का नाम बदलने के लिए संसद में साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है. किसी गांव या कस्बे या स्टेशन का नाम बदलने के लिए कार्यकारी आदेश की जरूरत होती है. हालांकि, भारत में प्रमुख शहरों या स्थानों के नाम बदलना कोई बड़ी घटना नहीं है. ऐसे परिवर्तनों के लिए एक प्रक्रिया बनाई गई है. 

कैसे बदलता है किसी भी जगह का नाम?

स्थानों के नाम बदलने के लिए गृह मंत्रालय जिम्मेदार होता है. राज्य सरकारें गृह मंत्रालय के भेजे गए पत्र में सूचीबद्ध मानदंडों के हिसाब से नाम बदलने के लिए प्रस्ताव भेजती हैं. हालांकि, कुछ सिद्धांत भी हैं जिन्हें जब राज्य सरकारें नाम परिवर्तन का प्रस्ताव करती हैं तो ध्यान में रखती हैं - 

-उन नामों को बदलने से बचें जिनसे लोग पहले से परिचित हैं, जब तक कि परिवर्तन के लिए बाध्यकारी कारण न हों. 

-गांवों या कस्बों के ऐतिहासिक संबंध को सुरक्षित रखें, और भाषाई या स्थानीय देशभक्ति के आधार पर नाम बदलने से बचें.

-अगर उनकी राष्ट्रीय भूमिका की सामान्य मान्यता है तो शहीदों के नाम पर स्थानों का नाम बदलने का अपवाद बनाया जा सकता है.

-राज्य या पड़ोसी क्षेत्रों में मिलते-जुलते नामों से भ्रम की स्थिति न हो, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए. 

-नाम परिवर्तन प्रस्ताव और नए नाम के चयन के लिए विस्तृत कारण दिए जाने चाहिए.

क्यों बदले जाते हैं नाम? 

दरअसल, सरकार उन प्राचीन जगहों के नामों को लेकर काफी सजग रहती है जो समय के साथ नष्ट हो गए हैं और लुप्त हो गए हैं. अगर  किसी प्राचीन स्थान ने अपना मूल नाम खो दिया है, तो उसे पुनर्स्थापित करना जरूरी कदम माना जाता है. ताकि उस जगह का ऐतिहासिक महत्व बचा रहे. 

यह प्रक्रिया गांवों, कस्बों, शहरों, रेलवे स्टेशनों और यहां तक कि शहरों की सड़कों पर भी लागू होती है. राज्य का नाम बदलने के लिए संसद में कानून बनाना जरूरी है.

एनओसी किया जाता है जारी 

एक बार जब राज्य सरकारें नाम बदलने के लिए प्रस्ताव रखती हैं, तो गृह मंत्रालय दूसरी एजेंसियों के परामर्श से उनकी समीक्षा करता है. अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है, तो 'अनापत्ति' या एनओसी जारी की जाती है, और संबंधित राज्य सरकार परिवर्तन को लागू करने के लिए एक राजपत्र अधिसूचना जारी करती है.