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IIT, IIM से की पढ़ाई... करोड़ों के पैकेज की नौकरी ठुकराई... फिर बनीं IAS! कुछ ऐसी है Divya Mittal की कहानी

दिव्या मित्तल पहली ही कोशिश में यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले चुनिंदा लोगों में से एक हैं. हालांकि 2012 में आईपीएस बनने वाली दिव्या की योजना कुछ और थी. और उन्होंने 2013 में दोबारा परीक्षा देकर आईएएस की जिम्मेदारियां हासिल कीं.

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जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम (JEE), कॉमन एडमीशन टेस्ट (CAT) और यूपीएससी (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से हैं. हर साल लाखों कैंडिडेट इन परीक्षाओं में सपने लेकर बैठते हैं लेकिन कुछ ही इन सपनों को पूरा कर पाते हैं. लेकिन क्या आप उस आईएएस अधिकारी के बारे में जानते हैं जिसने इन तीनों परीक्षाओं में सफलता हासिल करने के बाद अपनी जिन्दगी जनसेवा के हवाले कर दी है?

IIT और IIM के बाद चुना 'IAS'
यह कहानी है आईएएस दिव्या मित्तल की. जो आज देश की जानी-मानी आईएएस अधिकारियों में से एक हैं. मित्तल का जन्म दिल्ली में हुआ था लेकिन वह हरियाणा के रेवाड़ी जिले की रहने वाली हैं. साल 2005 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Indian Institute of Technology) से बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (Indian Institute of Management) से एमबीए किया. 

उन्होंने आईआईएम से निकलने के बाद लंदन में रहकर करीब एक साल जेपी मॉर्गन में काम किया. दिव्या इस नौकरी के साथ सुकून का जीवन जी सकती थीं लेकिन एक साल बाद उन्होंने भारत लौटने का फैसला किया. और यहां आकर वह यूपीएससी की तैयारी करने लगीं.

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दूसरी कोशिश में बनीं आईएएस
उन्होंने 2012 में पहली बार इस परीक्षा में हिस्सा लिया है और सफलता हासिल कर गुजरात केडर में आईपीएस अधिकारी बन गईं. लेकिन वह यहां नहीं रुकीं. दिव्या एक आईएएस अधिकारी बनना चाहती थीं और 2013 में उन्होंने अपना यह सपना पूरा कर लिया. प्रशासनिक सेवा में आने के बाद से वह मीरजापुर, बस्ती संत कबीर नगर समेत कई अन्य क्षेत्रों की डीएम रह चुकी हैं. 

इसके अलावा दिव्या मित्तल बरेली विकास प्राधिकरण की वाइस चेयरपर्सन, UPSIDA गोंडा सीडीओ और मवाना मेरठ की ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर काम कर चुकी हैं. उन्होंने नीति आयोग में सहायक सचिव के रूप में भी काम किया है. बतौर आईएएस दिव्या के करियर का वह किस्सा बहुत मशहूर है जब मिर्ज़ापुर से उनके ट्रांसफर पर लहुरियादह गांव के सभी लोग भावुक हो गए थे. 

दरअसल आईएएस मित्तल ने मिर्ज़ापुर में अपने कार्यकाल के दौरान लहुरियादह गांव में पाइपलाइन बिछवाई थी. इसी प्रोजेक्ट की बदौलत गांव में आजादी के बाद पहली बार पानी आया था. जबकि इससे पहले गांव के लोगों को पानी के लिए कई किलोमीटर चलना पड़ता था. इसी तरह के कई प्रयासों की वजह से आईएएस मित्तल इस देश के युवाओं के लिए मिसाल बन गई हैं.