scorecardresearch

विदेश में नौकरी और मोटा पैकेज छोड़ शुरू किया खेती किसानी से नया  बिजनेस, आज दो दर्जन से ज्यादा लोगों को दे रहे हैं रोजगार 

मशीन द्वारा बीज तैयार करने की तकनीक को एसटीपी तकनीक कहते हैं. इससे बीज की लागत कम आती है और पैदावार ज्यादा होती है और मुनाफा भी ज्यादा होता है.

Pilibhit Farmer Pilibhit Farmer
हाइलाइट्स
  • विदेश में नौकरी छोड़ स्वदेश में शुरू किया खेती किसानी से नया व्यवसाय

  • दो दर्जन से ज्यादा लोगों को मिल रहा है रोजगार

देश के किसान अब हाईटेक हो गए हैं. अब इसी कड़ी में पीलीभीत के एक किसान गन्ने को मशीन से काटकर गन्ने की बीज तैयार कर रहे हैं. इस किसान का नाम है हरजीत सिंह. इस बीज की इतनी ज्यादा डिमांड है की गांव मे ही ऑफिस खुला बाजार बना कर इसकी बिक्री की जाती है. खरीददार किसान अपने सामने ही मशीन से बीज को कटवाकर ले जाते हैं. गन्ना भुगतान से परेशान तराई के किसान को अब ये नई तकनीक मिल गई है.

कौन हैं हरजीत सिंह?

दरअसल, साल 2008 में हरजीत आयरलैंड एमबीए की पढ़ाई करने गए थे पढ़ाई खत्म करने के बाद वहीं अच्छी सैलरी पर नौकरी करने लगे. विदेश में नौकरी, मोटा पैकेज, अच्छा लाइफस्टाइल छोड़ कर हरजीत सिंह

2016 में अपने घर वापिस आ गए थे. भाई के खेती किसानी से मिले अनुभव के चलते उन्होंने उसमें कुछ नया करने का सोचा. जिसके बाद एक नई तकनीक खोजी जिससे किसानों की जिंदगी आसान बनाई जा सके.

वैज्ञानिक तरीके से किया गन्ने का बीज तैयार

हरजीत ने 2016 में मशीन से गन्ने का बीज तैयार किया. पहले छोटे स्तर पर इस बीज का इस्तेमाल अपने खेत मे किया, जिसके बाद उन्हें फायदा होने लगा. आज 10 एकड़ के खेत मे ये बीज तैयार हो रहा है. 

हरजीत का कहना है,  “गन्ने को पैदा करने के लिये गन्ना किसान एक गन्ने के दो टुकड़े कर खेत में बो कर गन्ने के फसल तैयार करते थे, जिसने गन्ने का बहुत सारा हिस्सा खराब हो जाता था,गन्ने में जो गांठ होती है उसी से बीज बनता है. हमने मशीन द्वारा इन्ही गांठ को काट कर बीज बनाया है, जिसे हम आंख कहते हैं. छोटे छोटे टुकड़े खेत में बोन में आसान हैं. 80 प्रतिशत बीज से गन्ना उगता है,,वही पैदावार भी बढ़ जाती है, लागत भी कम आती है,गन्ना लम्बा,मोटा निकलता है वही बीमारी कम लगती है.

पहले क्या होता था?

दरअसल, पुरानी पद्धति में गन्ने के बीज के लिये  कुंतल भर समूचा गन्ना ट्राली में लाद कर ले जाना पड़ता था. फिर खेत में गन्ने के दो टुकड़े कर बोना पड़ता था, जो काफी महंगा भी पड़ता था. इसके अलावा गन्ने को लाने में दिक्कत होती है. लेकिन इस नए तरीक़े से तैयार बीज को कार में रख कर आज गुजरात, झांसी, महाराष्ट्र, बिहार और पूरे देश में कहीं भी ले जाया जा सकता है. 

मार्केटिंग में आती है हरजीत की एमबीए की डिग्री काम

तरह-तरह के गन्ने की बीज तैयार करना, बीज को नए नए तरीके से बनाना और फिर उसकी मार्केटिंग करना, ये सब खुद हरजीत करते हैं. इसके अलावा ऑनलाइन बीज बेचना, अपने उत्पाद के बारे में लोगों को सोशल मीडिया के जरिये बताना. इसके साथ में वे किसानों का समूह बनाकर लोगों को नए-नए तरीके भी समझाते हैं. आज सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सैकड़ों हजारों किसान हरजीत के फॉलोअर्स है. कई वैज्ञानिक भी हरजीत का फॉलो करते है. जिले स्तर के कृषि विभाग से जुड़े कई वैज्ञानिक व अधिकारी हरजीत को नए-नए तरीके भी बताते हैं और मदद भी करते हैं.

खुला बाजार बनाकर करते है बीज की बिक्री

गन्ना खेती से जुड़े नए-नए तरीके का प्रचार प्रसार कर हरजीत ने अपने गांव में ही एक खुला बाजार बना दिया है. हरजीत के इस कारोबार से दो दर्जन से ज्यादा परिवार जुड़े हैं, वहीं दूर दर्ज के जिले के किसान भी यहां खेतों में आते हैं और पूरा दिन रहते हैं. वे अलग अलग गन्ने के खेतों में जाते हैं, उन्हें देखते हैं और उनके बारे में जानते हैं. उसके बाद वे जांच परख कर अपने सामने बीज बनवाकर ले जाते हैं. इन सब चीजों से तराई की एक बड़ी समस्या से निजात मिल रही है. लोग अपना गन्ना, फैक्ट्रियों में न देकर बीज बनाकर हरजीत से संपर्क कर इस नए व्यवसाय से जुड़ रहे और मोटा मुनाफा कमा रहे हैं.

उपज ज्यादा लागत कम

मशीन द्वारा बीज तैयार करने की तकनीक को एसटीपी तकनीक कहते हैं. इससे बीज की लागत कम आती है  और पैदावार ज्यादा होती है और मुनाफा भी ज्यादा होता है. सामान्य तौर पर प्रत्येक 30 से 40 क्विंटल बीज बोया जाता है जिसकी लागत करीब 20,000 तक आती है. वहीं अगर मशीन द्वारा तैयार की गई बीज की बात करें तो ये प्रति एकड़ निश्चित दूरी पर खेत मे 7200 पौधे लगाए जा सकते हैं और उपज प्रति एकड़ 700 से 800 कुंटल आती है जो सामान खेती से कई ज्यादा है.

(सौरभ पांडेय की रिपोर्ट)