दिल्ली में फैले प्रदूषण को लेकर सरकार हर रोज नए इंतजामात कर रही है. हर साल अक्टूबर से नवंबर के बीच दिल्ली में प्रदूषण बढ़ जाता है और एयर क्वालिटी अपने न्यूनतम स्तर पर चली जाती है. पिछले काफी समय पहले दिल्ली सरकार ने एक फरमान जारी किया था कि वह पुराने वाहनों को सड़क पर उतरने नहीं देगी. इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए दिल्ली सरकार ने प्रदूषण फैलाने वाले पुराने वाहनों पर 1 जनवरी, 2022 से रोक लगाने का फैसला किया है. सरकार का कहना है कि जो भी वाहन 10 साल पुराने हो चुके हैं या 1 जनवरी को 10 साल पूरे कर लेंगे उन सभी डीजल वाहनों का रिजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा. यह कदम राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के अनुपालन में है.
जारी किया जाएगा एनओसी
इस सप्ताह के शुरू में जारी एक आदेश में परिवहन विभाग ने कहा कि इन वाहनों के मालिकों को नो ऑबजेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) जारी किया जाएगा ताकि इन्हें अन्य स्थानों पर फिर से पंजीकृत किया जा सके. हालांकि, विभाग उन वाहनों के लिए एनओसी जारी नहीं करेगा जिन्होंने एनओसी के लिए आवेदन करने की तिथि पर 15 वर्ष या उससे अधिक समय पूरा कर लिया है.
29 अक्टूबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहनों के चलने पर रोक लगा दी थी. एनजीटी के 2014 के एक आदेश ने किसी भी सार्वजनिक स्थान पर 15 साल से अधिक पुराने वाहनों की पार्किंग पर भी प्रतिबंध लगा दिया था.
एक लाख वाहनों का पंजीकरण हुआ रद्द
दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने कहा,“हम पुराने डीजल वाहनों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं.अब तक लगभग 1 लाख ऐसे वाहनों का पंजीकरण रद्द कर दिया गया है. अब ऐसे सभी वाहनों का 1 जनवरी, 2022 से कड़ाई से पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा. लगभग 2 लाख डीजल वाहन जो कम से कम 10 साल पुराने हैं, 1 जनवरी से डी-रजिस्टर्ड हो जाएंगे."
उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग बार-बार इन वाहनों की कानूनी स्थिति की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए कई सार्वजनिक नोटिस जारी कर रहा है. अधिकारी ने कहा, "10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहन और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहन, विभाग द्वारा अधिसूचित मोटर वाहनों के स्क्रैपिंग के दिशानिर्देशों के अनुसार दिल्ली में नहीं चल सकते हैं."
दिल्ली में पुराने वाहनों की संख्या 38 लाख
अधिकारियों का अनुमान है कि दिल्ली में पुराने वाहनों की संख्या 38 लाख है. उन्होंने कहा, “इसमें 3 लाख डीजल वाहन शामिल हैं जो 10 साल से अधिक पुराने हैं और लगभग 35 लाख पेट्रोल वाहन जो 15 साल से अधिक पुराने हैं.”
ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जुलाई 2016 में एक आदेश जारी किया था जिसमें उसने कहा था कि 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों के डी-रजिस्ट्रेशन के निर्देश का प्रभावी ढंग से बिना फेल हुए अनुपालन किया जाए. परिवहन विभाग ने अपने आदेश में कहा,“15 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों का पंजीकरण पहले किया जाना था. एनजीटी के निर्देश के अनुपालन में परिवहन विभाग ने कई वाहनों का पंजीकरण रद्द कर दिया. अब दिल्ली में 10 साल से अधिक समय पूरा कर चुके डीजल वाहनों का एक नया सेट डीरजिस्ट्रेशन के लिए तैयार है.”
इलेक्ट्रिक वाहन में बदलने का है विकल्प
देश में किसी भी स्थान के लिए 10 साल तक के डीजल वाहनों और 15 साल से कम के पेट्रोल वाहनों के लिए एनओसी जारी की जा सकती है. आदेश ने कहा,“यह इस शर्त के अधीन होगा कि एनजीटी के आदेश को ध्यान में रखते हुए राज्यों द्वारा प्रतिबंधित क्षेत्रों के रूप में पहचाने जाने वाले स्थानों के लिए ऐसी एनओसी जारी नहीं की जाएगी, जिसने राज्यों को उन क्षेत्रों की पहचान करने का निर्देश दिया था जहां हवा का फैलाव ज्यादा है और सवारी गाड़ियों की संख्या कम है. ”
विभाग ने वाहन मालिकों को कुछ राहत देते हुए कहा कि अगर वो अपने वाहन को दिल्ली में चालू रखना चाहते हैं तो उन्हें अपने 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहन में बदलने का विकल्प दिया जाता है. आदेश में कहा गया है, "परिवहन विभाग द्वारा अनुमोदित एजेंसियों के माध्यम से ऐसे वाहनों की रीट्रोफिटिंग इलेक्ट्रिक किट के साथ की जानी चाहिए." इलेक्ट्रिक किट के लिए पैनल बनाने की प्रक्रिया चल रही है.