पहली बार तीनों सेनाओं आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के उप प्रमुखों ने एक साथ स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस में उड़ान भरी. जोधपुर में चल रहे तरंग शक्ति युद्धाभ्यास के दौरान तेजस में तीनों वाइस चीफ की उड़ान रणनीतिक तौर पर काफी अहम मानी जा रही है. इसके साथ ही भारत ने संदेश दिया कि क्यों दुनिया भारत के इस लड़ाकू विमान की मुरीद है. तेजस मार्क वन को खरीदने में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देश रूचि दिखा चुके हैं. कुछ देशों के साथ भारत करार भी कर चुका है.
तेजस मार्क 2 के निर्माण के बाद भारत ना सिर्फ उन्नत लड़ाकू विमानों के उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा. बल्कि हथियार बेचने वाले दुनिया के ताकतवर मुल्कों की फेहरिस्त में अपनी उपस्थिति और भी मजबूत कर सकेगा.
कैसे बना फाइटर जेट तेजस-
लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट के तहत साल 1983 में तेजस का निर्माण शुरू हुआ. तेजस ने 4 जनवरी 2001 को पहली बार उड़ान भरी. इस लड़ाकू विमान को डॉ. कोटा हरिनारायण और उनकी टीम ने विकसित किया. साल 2003 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसे तेजस नाम दिया था. तेजस को एयरोनॉटिकल डिजाइन एजेंसी (ADA) ने डिजाइन किया और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने इसे एयरफोर्स और नेवी के लिए बनाया.
तेजस सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों की कैटेगरी में सबसे छोटा और हल्का विमान है. इसमें हवा में ईंधन भरने की क्षमता है.
कितना पावरफुल है तेजस-
फाइटर जेट तेजस में कई अहम खासियत हैं. तेजस में डिजिटल फ्लाई बाय वायर फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर (DFCC) लगाया गया है. इसका मतलब है कि ये कंप्यूटर विमान को उड़ाते समय पायलट के मुताबिक संतुलित रखता है. तेजस ध्वनि की गति यानी मैक 1.6 से लेकर 1.8 तक की तेजी से उड़ान भरने में सक्षम है. 52 हजार फ़ीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है. एक बार टेकऑफ करने के बाद 3000 किलोमीटर की दूरी तक उड़ान भर सकता है. सभी हथियारों के साथ इसका वजन 13,500 किलोग्राम है.
तेजस में कुल मिलाकर 9 हार्ड प्वाइंट्स हैं. इसके अलावा 23 मिलिमीटर की ट्विन-बैरल कैनन लगी है. तेजस हवा से हवा में और हवा से जमीन पर मिसाइल दाग सकता है. ये 6 तरह की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस हो सकता है. इसमें डर्बी, पाइथन-5, आर-73, अस्त्र, असराम और मेटियोर का इस्तेमाल हो सकता है. इसके अलावा हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल ब्रह्मोस-एनजी और ब्रह्मोस-एनजी एंटी शिप मिसाइल भी इसकी ताकत को बढ़ा देती है. इस पर लेजर गाइडेड बम, ग्लाइड बम और क्लस्टर वेपन भी लगाए जा सकते हैं.
तेजस में दुनिया की दिलचस्पी क्यों-
भारत के फाइटर जेट तेजस में दुनिया के कई देश दिलचस्पी दिखा रहे हैं. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, नाइजीरिया, अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, फिलीपींस समेत कई देश तेजस मार्क वन को खरीदने में रूचि दिखा चुके हैं. कुछ देशों के साथ भारत का करार भी हो चुका है. तमाम देश इसलिए तेजस में दिलचस्पी दिखा रहे हैं, क्योंकि ये फाइटर जेट हल्के वजन में बहुत कारगर है. यह 1.6 मैक की स्पीड से उड़ता है और एयर-टू-एयर और एयर-टू-सरफेस मिसाइल दाग सकता है. तेजस आकार में छोटा होने की वजह से दुनिया का कोई भी रडार सिस्टम इसे फाइटर जेट की कैटेगरी में रखा ही नहीं है. इसलिए यह पकड़ में नहीं आता है. इसके अलावा भी तेजस की कई और भी विशेषताएं है, जिसकी वजह से दुनिया के तमाम देश इस फाइटर जेट में रूचि दिखा रहे हैं.
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