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लालू, मुलायम, शशिकला, जयललिता समेत कई लीडर आय से अधिक संपत्ति के मामले में फंस चुके हैं, जानिए पूरा मामला

Disproportionate Assets Case: आय से अधिक संपत्ति के मामले में हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला को चार साल की सजा सुनाई गई है. इससे पहले भी आय से अधिक संपत्ति के मामले में कई राजनेताओं को सजा सुनाई जा चुकी है. जिसमें सुखराम से लेकर जयललिता और शशिकला तक शामिल हैं. देश के कई राजनेताओं पर अभी भी आय से अधिक संपत्ति का मामला कोर्ट में चल रहा है.

आय से अधिक संपत्ति में फंसे राजनेता आय से अधिक संपत्ति में फंसे राजनेता
हाइलाइट्स
  • आय से अधिक संपत्ति मामले में शशिकला को हो चुकी है 4 साल की सजा

  • पूर्व मंत्री सुखराम को भी हुई थी सजा

  • मायावती, मुलायम, लालू यादव पर चल रहा केस

आय से अधिक संपत्ति के मामले में हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला को चार साल की सजा सुनाई गई है. सीबीआई कोर्ट ने 50 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने चौटाला की रेली रोड, पंचकूला, गुरुग्राम और असोला की चार संपत्तियों को जब्त किया है. 
देश में कई ऐसे मुख्यमंत्री, मंत्री और बड़े नेता हुए हैं, जो आय से अधिक संपत्ति के मामले में फंस चुके हैं. कई नेताओं पर आज भी केस चल रहा है. चलिए हम आपको बताते हैं कि देश के किन राजनेताओं को आय से अधिक संपत्ति के मामले का सामना करना पड़ा है.

जयललिता और शशिकला नटराजन को सजा-
तमिलनाडु की पूर्व सीएम जयललिता और एआईएडीएमके की महासिचव शशिकला नटराजन को आय से अधिक संपत्ति के मामले में एक स्थानीय अदालत ने चार-चार साल की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने भी शशिकला की सजा को बरकरार रखा. इस मामले में जयललिता और शशिकला समेत चार लोग दोषी पाए गए थे.  साल 1991 से 1996 के बीच 66 करोड़ की अप्रमाणिक संपत्ति होने का दोषी पाया गया था.

लालू यादव और राबड़ी देवी पर केस-
साल 1990 से 1997 के बीच लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे. इस दौरान लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी पर आय से 46 लाख रुपए की अधिक संपत्ति रखने का पता चला था. इसको लेकर सीबीआई ने 19 अगस्त 1998 को केस दर्ज किया था. इस मामले में लालू यादव के साथ राबड़ी देवी को भी आरोपी बनाया गया था. हालांकि साल 2006 में सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी को आय से अधिक संपत्ति के मामले में बरी कर दिया था.

मुलायम परिवार पर केस-
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विश्वनाथ चुतर्वेदी ने साल 2005 में यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव, बेटे अखिलेश यादव, बहू डिंपल यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति होने का आरोप लगाया था. इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी. साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. याचिकाकर्ता का कहना है कि साल 2013 में सीबीआई ने मामला बंद कर दिया था. लेकिन सीबीआई की तरफ से अब तक कोई रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई गई है. अभी भी मामला कोर्ट में है.

मायावती के खिलाफ केस-
यूपी की पूर्व सीएम मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला साल 1995 से 2003 के बीच का है. इस दौरान मायावती की आयकर रिटर्न और आमदनी में फर्क की वजह से जांच शुरू हुई. 18 सितंबर 2003 को सीबीआई ने मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया. साल 2007 में सीबीआई ने कोर्ट में बताया कि साल 2003 तक मायावती की संपत्ति 50 करोड़ से ज्यादा थी. इस दौरान सीबीआई ने 96 प्लॉट, मकान और बगीचों की जानकारी कोर्ट के सामने रखी. इस मामले में साल 2011 में दिल्ली हाईकोर्ट ने मायावती को क्लीनचिट दे दी. लेकिन साल 2014 में कमलेश वर्मा नाम से शख्स ने नए सिरे से एफआईआर दर्ज करने की मांग की. साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को मंजूर कर लिया. लेकिन साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सीबीआई को केस दर्ज करने की जरुरत नहीं है.

पूर्व मंत्री सुखराज को सजा-
पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री सुखराम पर साल 1991 से 1996 के दौरान साढ़े 5 करोड़ रुपए की संपत्ति अर्जित की थी. सीबीआई ने 27 अगस्त 1996 को सुखराम के खिलाफ करप्शन का मामला दर्ज किया और साल 1997 में चार्जशीट दायर की गई थी. साल 2009 में दिल्ली की एक अदालत ने  तीन साल की सजा और 2 लाख का जुर्माना लगाया था. हालांकि उनको सीबीआई की विशेष अदालत से जमानत मिल गई थी. 

सोरेन परिवार पर आय से अधिक संपत्ति का साया-
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन परिवार पर आय से अधिक संपत्ति का साया मंडरा रहा है. झारखंड हाईकोर्ट ने ईडी को जांच के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने उन सभी 28 कंपनियों की जांच के आदेश दिए हैं, जिसमें हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन निवेश किए हैं. याचिकाकर्ता शिवशंकर  शर्मा ने याचिका दायर की थी. जिसमें आरोप लगाया गया था कि सीएम हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन के पैसे को ठिकाने लगाने के लिए रांची के बिजनेसमैन रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवाल और दूसरे लोगों को दिया जाता है. याचिकाकर्ता ने मामले की जांच की मांग की थी.

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