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सुप्रीम कोर्ट में भी मुकदमों की सुनवाई का LIVE प्रसारण हो सकता है शुरू!

ई-कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र के ऐसे ही एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हम मुकदमों की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग यानी सीधा प्रसारण करना तो चाहते हैं लेकिन इस मुद्दे पर खुली अदालत में अभी विचार विमर्श नहीं किया जा सकता. हां, लाइवस्ट्रीमिंग डाटा को होस्ट करने के लिए क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की जरूरत है. ऐसा इसलिए क्योंकि हम यह नहीं चाहते कि कोई तीसरा पक्ष इस डाटा को होस्ट करे.

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मुमकिन है कि आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट्स में होने वाली सुनवाई का लाइव प्रसारण हो. अभी तो वर्चुअल सुनवाई को ऑनलाइन देखने का अधिकार चुनिंदा लोगों को ही है. लेकिन, अब कोविड संकट की आपदा के दौरान सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सिस्टम के विस्तार और अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग किए जाने पर विचार कर रही है.

ई-कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र के ऐसे ही एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हम मुकदमों की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग यानी सीधा प्रसारण करना तो चाहते हैं लेकिन इस मुद्दे पर खुली अदालत में अभी विचार विमर्श नहीं किया जा सकता. हां, लाइवस्ट्रीमिंग डाटा को होस्ट करने के लिए क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की जरूरत है. ऐसा इसलिए क्योंकि हम यह नहीं चाहते कि कोई तीसरा पक्ष इस डाटा को होस्ट करे.

ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण के लिए विजन डॉक्यूमेंट को जनता के सुझावों के लिए ऑनलाइन रखा जा चुका है. जिसमें कई सुझाव भी आए है. इसमें जजों की सहमति सहित सभी पक्षकारों की राय जानना भी जरूरी है. इसके लिए बजट तैयार किया जा रहा है. एक बार प्रस्ताव तैयार हो जाए तो फिर उसे कानून मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाएगा.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट घनश्याम उपाध्याय की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें उन्होंने मुंबई हाई कोर्ट की ओर से मुकदमों की सुनवाई के लिए जारी SOP को चुनौती दे रखी है. याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए ही मुकदमों की सुनवाई का तरीका जारी रखने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट को आदेश दे. साथ ही जिला और सत्र अदालतों में भी ऐसा ही सिस्टम जारी रखने का आदेश दिया जाए. इस दलील को सिरे से खारिज करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम इस मामले में उच्च न्यायालय को आदेश नहीं देंगे. हरेक उच्च न्यायालय अपनी कार्यवाही के सिस्टम तय करने को स्वतंत्र है.


हालांकि, गुजरात और कर्नाटक हाईकोर्ट ने पिछले साल महत्वपूर्ण मुकदमों की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि ये वहां के प्रशासन और मुख्य न्यायाधीश और अन्य जजों का साझा फैसला था. सुप्रीम कोर्ट ने कोई दखल नहीं दिया था.