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Whip: संसद में मोदी सरकार के खिलाफ No Confidence Motion लाने के लिए कांग्रेस ने अपने सांसदों के लिए जारी किया है व्हिप, जानें क्या होता है यह

किसी पार्टी की ओर से व्हिप जारी होने के बाद जब कोई सदस्य इसका पालन नहीं करता है तो उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है. सांसद या विधायक की सदस्यता खतरे में पड़ सकती है. 

कांग्रेस एमपी सोनिया गांधी और लोकसभा में कार्यवाही के दौरान मौजूद एमपी (फोटो पीटीआई) कांग्रेस एमपी सोनिया गांधी और लोकसभा में कार्यवाही के दौरान मौजूद एमपी (फोटो पीटीआई)
हाइलाइट्स
  • अविश्वास प्रस्ताव को स्पीकर ने किया स्वीकार 

  • मणिपुर मुद्दे पर संसद में पक्ष-विपक्ष में गतिरोध जारी

मणिपुर हिंसा को लेकर संसद में बुधवार को भी हंगामा जारी रहा. विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है. लोकसभा में कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जिसे बाद में स्पीकर ने स्वीकार कर लिया. अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार करने के बाद लोकसभा स्पीकर ने कहा कि वो सभी दलों से बात करने के बाद चर्चा के लिए समय तय करेंगे.

इससे पहले कांग्रेस ने अपने लोकसभा सांसदों को संसद में उपस्थित रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप भी जारी किया है. बता दें कि सदन में केंद्र के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 50 सांसदों की जरूरत होती है. इसी को लेकर कांग्रेस ने व्हिप जारी किया है. लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के दो नोटिस दिए गए थे. एक नोटिस कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने दिया जबकि दूसरा नोटिस नौ सांसदों वाली BRS के नमा नागेश्वर राव ने दिया था. आइए आज जानते हैं क्या होता है व्हिप, कौन इसे जारी करता है और कैसे इससे सांसद-विधायक बंधे होते हैं.

क्या होता है व्हिप 
व्हिप का काम पार्टी में अनुशासन को बनाए रखना है. यह एक प्रकार से लिखित आदेश होता है. व्हिप किसी पार्टी की ओर से अपने विधायकों या सांसदों को जारी किया जाता है. व्हिप जारी होने के बाद इसका उल्लंघन करने पर विधायक या सांसद की सदस्यता खतरे में पड़ सकती है. व्हिप जारी होने के बाद सदस्यों को इसका पालन करना अनिवार्य हो जाता है. साधारण शब्दों में जब सदन में फ्लोर टेस्ट की स्थिति बनती है तो पार्टी व्हिप जारी करती है. व्हिप जारी करने का उद्देश्य विधायकों या सांसदों को क्रॉस वोटिंग करने से रोकना होता है. व्हिप जारी करने का मकसद अपने सदस्यों को एकजुट करना होता है. 

कौन जारी करता है 
व्हिप जारी करने का अधिकार किसी भी राजनीतिक दल के एक अधिकारी के पास होता है, जिसे मुख्य सचेतक या मुख्य व्हिप अधिकारी कहा जाता है. मुख्य सचेतक का कार्य पार्टी में अनुशासन सुनिश्चित करना होता है. मुख्य सचेतक के पास यह अधिकार होता है कि वह पार्टी नेता को अपनी व्यक्तिगत विचारधारा के बदले पार्टी के नियमों या विचारधारा पालन करने के लिए निर्देश जारी कर सकता है.

इतने प्रकार के होते हैं व्हिप
1. एक लाइन का व्हिप का अर्थ अपनी पार्टी के सदस्यों को मतदान करने के लिए जानकारी देने के लिए किया जाता है. एक लाइन के व्हिप में सदस्यों के पास इसे पालन करने या न करने का अधिकार होता है.
2. दो लाइन के व्हिप के तहत सदस्यों को वोटिंग के समय सदन में मौजूद रहने के लिए निर्देश दिया जाता है. इसका पालन करना सदस्यों के लिए अनिवार्य होता है.
3. तीन लाइन का व्हिप सबसे सख्त होता है. इसे सबसे महत्वपूर्ण व्हिप माना जाता है. तीन लाइन का व्हिप महत्वपूर्ण परिस्थिति में ही जारी किया जाता है. इसका पालन नहीं करने पर सदस्यों के खिलाफ दल बदल रोधी कानून लागू हो सकता है और उसकी सदस्यता जा सकती है.

की जा सकती है अनुशासनात्मक कार्रवाई
पार्टी की ओर से व्हिप जारी होने के बाद जब कोई सदस्य इसका पालन नहीं करता है तो उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है. यदि सदन में पार्टी के मुख्य सचेतक व्हिप जारी करता है और पार्टी के सदस्य व्हिप के खिलाफ चला जाता है तो उस पर कठोर कार्रवाई की जा सकती है. ऐसी परिस्थिति में सदन की सदस्यता भी खतरे में पड़ सकती है.  

मणिपुर मुद्दे पर अपनी मांग पर अड़ा है विपक्ष
लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष मणिपुर की स्थिति पर विस्तृत चर्चा की मांग कर रहा है. साथ ही विपक्ष की मांग है कि मणिपुर मुद्दें पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद बयान दें. विपक्ष की मांग पर लोकसभा और राज्यसभा में जबरदस्त हंगामा देखा गया है और बार-बार स्थगित करना पड़ा.

सरकार चर्चा को तैयार
सरकार का कहना है कि वह मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन केंद्र का कहना है कि इस मुद्दे पर पीएम मोदी नहीं गृहमंत्री अमित शाह सदन में बयान देंगे. उधर, विपक्षी दल एक नियम के तहत चर्चा के लिए दबाव डाल रहे हैं, जिसमें मतदान भी शामिल है. वह पीएम मोदी से बयान देने की मांग कर रहे हैं. 

इन दो विपक्षी दलों का अलग रहा स्टैंड
स्पीकर के साथ सर्वदलीय बैठक में बहुजन समाज पार्टी और ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का स्टैंड बाकी विपक्षी दलों से अलग रहा है. इन दोनों दलों ने कहा कि प्रधानमंत्री जवाब दें या न दें लेकिन मणिपुर पर चर्चा के दौरान वो सदन में मौजूद रहें. पीएम को अगर लगे कि कुछ बोलना चाहिए तो बोलें, यदि नहीं लगे तो न बोलें. 

आप सांसद संजय सिंह कर रहे विरोध प्रदर्शन
राज्यसभा से पूरे सत्र के लिए सस्पेंड किए गए आप सांसद संजय सिंह संसद परिसर में ही विरोध प्रदर्शन के दौरान बैठे हुए हैं. संजय सिंह ने कहा, प्रधानमंत्री मणिपुर मुद्दे पर चुप क्यों हैं? हम केवल संसद में आकर इस पर बोलने की मांग कर रहे हैं. संसद में मणिपुर का मुद्दा उठाना हमारी जिम्मेदारी है.