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Lokmanya Tilak Jayanti 2022: आजादी की चिंगारी को जन-जन तक पहुंचाने वाले बाल गंगाधर तिलक, जिन्होंने उठाई थी पूर्ण स्वराज की मांग

Lokmanya Tilak Jayanti 2022: हर साल 23 जुलाई को बाल गंगाधर तिलक की जयंती मनाई जाती है. देशभर में इसबार उनकी 166वीं जयंती मनाई जा रही है. उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता के रूप में भी जाना जाता है.

Bal Gangadhar Tilak (Photo: India Today) Bal Gangadhar Tilak (Photo: India Today)
हाइलाइट्स
  • लोगों के हितों को लेकर किया काम

  • स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है

देश की आजादी में कई लोगों का हाथ है. हालांकि, कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने आजादी की चिंगारी को जन जन तक पहुंचाया और लोगों के दिलों में उम्मीद जगाई कि वे भी आजाद भारत का सपना देख सकते हैं. उन्हीं में से एक हैं बाल गंगाधर तिलक. अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिलाने वालों में लोकमान्य तिलक का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाता है. बाल गंगाधर तिलक ने अपना सारा जीवन समाज की कुरीतियों को दूर करने और जागरूकता फैलाने में लगा दिया. हालांकि, उनका प्रारंभिक नाम केशव गंगाधर था, लेकिन बाद में उन्हें लोकमान्य तिलक के नाम से ज्यादा जाना जाने लगा. 

बता दें, इस साल बाल गंगाधर तिलक की 166वीं जयंती मनाई जा रही है.

कुछ ऐसा रहा जीवन का शुरुआती सफर 

दरअसल, बाल गंगाधर के पिता एक स्कूली शिक्षक थे और उनका जन्म रत्नागिरी के कोंकण जिले में हुआ था. उन्होंने पुणे के डेक्कन कॉलेज में दाखिला लिया, जहां से उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की.  कॉलेज खत्म होने के बाद, उन्होंने पुणे में गणित पढ़ाया. इसके बाद उन्होंने 1805 की शुरुआत में दो राष्ट्रवादी समाचार पत्रों की स्थापना की. ये अखबार थे अंग्रेजी भाषा के महरत्ता और मराठी भाषा में केसरी. उन्हें उनके तार्किक लेखन के  लिया जाना जाता था. 

लोगों के हितों को लेकर किया काम 

बाल गंगाधर ने लोगों के हितों के जमकर काम किया. उन्होंने विद्रोह करने के अलग अलग तरीके खोजे.   काउंसिल हॉल में भाषण देने और अंग्रेजों के लिए अंतहीन याचिकाएं लिखने के बजाय, उन्होंने ऐसे अभियान विकसित किए जो कांग्रेस को लोगों के बीच ले गए. इन अभियानों का उद्देश्य कांग्रेस पार्टी के प्रोफाइल को ऊपर उठाना था. 

उदाहरण के लिए, 1893 में, उन्होंने लोकप्रिय गणपति उत्सव में एक राजनीतिक आयाम जोड़ने का प्रयास किया. 1895 में, उन्होंने 17वीं सदी के महान महाराष्ट्रीयन नेता, शिवाजी के सम्मान में एक आंदोलन का आयोजन किया. 

स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है
 
बताते चलें कि बल गंगाधर तिलक को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता के रूप में जाना जाता है. उन्होंने सबसे पहले पूर्ण स्वराज की मांग उठाई थी. जब अंग्रेजों ने उन्हें सबक सिखाने के लिए 1897 में 18 महीने के लिए जेल में डाल दिया था, तब जब वे बाहर निकले उन्होंने अपना नारा दिया कि "स्वराज (स्व-शासन) मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा”. 

1908 में उन पर फिर से देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया.  जब अदालत द्वारा उन्हें उनके पक्ष में बोलने के लिए राजनीतिक रंगमंच प्रदान किया तब उन्होंने अपने बचाव में 21 घंटे का भाषण दिया. बाल गंगाधर तिलक को उनकी तेज आवाज और बेहतरीन वक्ता के रूप में जाना जाता था. 

उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब 1920 में तिलक की मृत्यु हो गई थी तब उनके दाह संस्कार के लिए बॉम्बे में लगभग 200,000 शोक मनाने वालों में शामिल हुए थे. इतना ही नहीं बल्कि महात्मा गांधी ने उनके लिए कहा था कि तिलक आधुनिक भारत के निर्माता थे.