मध्य प्रदेश में बालाघाट के एक दंपत्ति ने अपनी करोड़ों की संपत्ति को छोड़ कर दीक्षा लेने का फैसला किया है. 40 साल के सराफा व्यवसाई राकेश सुराना अपनी 36 वर्षीय पत्नी लीना सुराना और 11 साल के बेटे अमय सुराना के साथ संन्यास लेने जा रहे हैं. इससे पहले उन्होंने अपनी करीब 11 करोड़ की संपति गौशाला और अन्य धर्मिक संस्थाओं को दान कर दी है. 22 मई को राजस्थान के जयपुर में बालाघाट के इस परिवार की जैन दीक्षा होगी.
मां और बहन भी ले चुके हैं दीक्षा
राकेश सुराना ने बताया कि उन्हें धर्म, आध्यात्म और आत्मस्वरूप को पहचानने की प्रेरणा गुरु महेंद्र सागर जी महाराज और मनीष सागर जी महाराज के प्रवचनों और उनके सानिध्य में रहते हुए मिली. जबकि उनकी पत्नी लीना सुराना ने बहुत पहले ही संयम पथ पर जाने की इच्छा जाहिर कर चुकी थीं. और उनका बेटा, अमय सुराना महज चार साल की उम्र में ही इस मार्ग पर जाने का मन चुका था.
हालांकि, बेहद कम उम्र के कारण अमय को सात साल तक इंतजार करना पड़ा. राकेश सुराना ने बताया कि साल 2017 में उनकी मां ने भी दीक्षा ली थी. इनके अलावा राकेश सुराना की बहन ने साल 2008 में दीक्षा ली थी.
दान की सालों की जमा पूंजी
राकेश सुराना बालाघाट में सोने-चांदी के कारोबार से जुड़े हैं. कभी छोटी-सी दुकान से ज्वेलरी का कारोबार शुरू करने वाले राकेश ने सराफा क्षेत्र में नाम और शोहरत दोनों कमाई. आधुनिकता के इस दौर की सुखमय जीवन की तमाम सुविधाएं उनके घर-परिवार में थीं. उन्होंने करोड़ों की संपत्ति अर्जित की.
लेकिन सुराना परिवार अपनी सालों की जमा पूंजी को दान कर आध्यात्म की तरफ रुख कर रहे हैं. राकेश सुराना ने बताया कि वह अपनी सारी दौलत, चल-अचल संपत्ति समाज, गरीबों और गौ-शालाओं में दान कर चुके हैं.
(रवीश पाल सिंह की रिपोर्ट)