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Jabalpur High Court: छेड़छाड़ के आरोपी को मरीजों की सेवा करने की शर्त पर जबलपुर हाईकोर्ट से मिली जमानत, नाबालिग से की थी छेड़खानी

MP High Court: भोपाल में BBA के छात्र पर नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ की FIR दर्ज की गई थी. आरोपी के माता-पिता की तरफ से जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जबलपुर हाईकोर्ट ने इस मामले में आरोपी को 2 महीने की जमानत दी है. हालांकि इसके साथ ही आरोपी को लोगों की शर्त रखी है. कोर्ट ने आरोपी को 2 महीने तक हर शनिवार और रविवार को अस्पताल में जाकर मरीजों की सेवा करने का आदेश दिया है.

High Court of Madhya Pradesh (Photo/mphc.gov.in) High Court of Madhya Pradesh (Photo/mphc.gov.in)

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में नाबालिग लकड़ी से छेड़छाड़ के आरोपी जबलपुर हाईकोर्ट ने अनोखी सजा दी है. कोर्ट ने आरोपी को कम्युनिटी सर्विस का आदेश दिया है. इसके साथ ही आरोपी को 2 महीने की जमानत भी दी है. कोर्ट ने युवक को अगले 2 महीने तक हर हफ्ते शनिवार-रविवार को भोपाल जिला अस्पताल में मरीजों की सेवा करने और साफ-सफाई की व्यवस्था देखने की शर्त रखी है.

छेड़छाड़ के आरोपी को अनोखी सजा-
भोपाल के पिपलानी पुलिस थाने में बीबीए छात्र के खिलाफ नाबालिग युवती से छेड़छाड़ के आरोप में IPC की धारा 345 और पोक्सो एक्ट के तहत FIR दर्ज की गई थी. जबलपुर हाईकोर्ट के जज आनंद पाठक ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आरोपी छात्र को अनोखी सजा सुनाई है. दरअसल, आरोपी छात्र के माता-पिता की ओर से जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाते हुए कहा गया था कि उसकी पढ़ाई चल रही है और अगर उसको सजा हो जाएगी तो उसका करियर बर्बाद हो जाएगा. माता-पिता ने लड़के के अपराध पर माफी भी मांगी. जबलपुर हाईकोर्ट के न्यायाधीश आनंद पाठक ने पूरे मामले को सुना और अपने आदेश में कहा कि इस लड़के को एक बेहतर नागरिक बनने के लिए इसे कम्युनिटी सर्विस करनी होगी.

अस्पताल में करनी होगी मरीजों की सेवा-
जस्टिस आनंद पाठक ने अस्थाई जमानत देते हुए कहा कि आरोपी लड़के को भोपाल के जिला अस्पताल में हर शनिवार और रविवार को सुबह 9 बजे से दोपहर 1 तक मरीजों की सेवा करनी होगी. इसके तहत सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों की मदद करनी होगी. अस्पताल की साफ-सफाई की व्यवस्था बनाए रखने में भी मदद करनी होगी और रजिस्ट्रेशन के काम में उसे मरीज का सहयोग करना होगा. हालांकि, आरोपी छात्र को ध्यान रखना होगा कि इस दौरान वह मरीज को दवाएं, इंजेक्शन आदि नहीं देगा और ना ही उसे प्राइवेट वार्ड में जाने की अनुमति होगी. यह निर्देश आरोपी की उम्र और भविष्य को ध्यान में रखकर दिया जा रहा है, जिससे उसे समाज की मुख्यधारा में आने का अवसर मिल सके.

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आरोपी को सुधरने का मिलना चाहिए मौका- HC
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि पूरी केस डायरी पढ़ने और प्रतिवादियों/स्टेट की तरफ से दाखिल जानकारी के बाद ऐसा लगता है कि आरोप बहुत खराब हैं और BBA के एक छात्र से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती, जो मैनेजरियल कैडर में भविष्य बनाना चाहता है और जाहिर तौर पर एक अच्छे परिवार से आता है. साथ ही आवेदक छात्र है और ऐसे में उसे आचरण सुधारने का मौका दिया जाता है, ताकि वह किसी भी आपराधिक गतिविधियों और खासतौर से IPC की धारा 354(डी) और POCSO एक्ट की धारा 11 और 12 में शामिल ना होकर अच्छा नागरिक बन सके. इस मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी.
(जबलपुर से धीरज शाह के साथ भोपाल से रवीश पाल सिंह की रिपोर्ट)

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