हाल ही में, कृषि-आधारित स्टार्टअप, नीरकेयर एग्रो ने किसानों के लिए एक खास वर्कशॉप और ट्रेनिंग कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम में किसानों को बताया गया कि कैसे वे अपने खेतों की मिट्टी के स्वास्थ्य को सुधारकर जैविक खेती की शुरुआत कर सकते हैं. साथ ही, उन्हें खुद अपने खेतों के लिए वेस्ट डीकंपोजर और खाद आदि बनाने की ट्रेनिंग दी गई और यह ट्रेनिंग उन्हें दी एक प्रोग्रेसिव किसान, आकाश चौरसिया ने.
नीरकेयर एग्रो ने नेशनल अवॉर्ड विनर, किसान आकाश चौरसिया को दूसरे किसानों की ट्रेनिंग करने के लिए आमंत्रित किया था. अपने Multi-layer farming method के लिए मशहूर किसान आकाश चौरसिया ने किसानों को न सिर्फ मल्टी-लेयर की जानकारी दी बल्कि कुछ प्रैक्टिकल भी दिखाए. आकाश की किसानों के साथ यह वर्कशॉप काफी सफल रही.
GNT Digital के साथ बात करते हुए आकाश ने अपने सफर और खेती के मल्टी-लेयर तरीके के बारे में बताया.
किराए की जमीन पर शुरू की थी खेती
आकाश ने बताया कि एक समय था जब वह स्कूल पूरा करके डॉक्टर बनना चाहते थे ताकि लोगों का इलाज करें. लेकिन जब उन्हें पता चला कि ज्यादातर लोग खाने की वजह से बीमार हो रहे हैं, तो उन्होंने अपना फैसला बदल दिया. और इसके बाद वह लोगों के डॉक्टर नहीं बने बल्कि फसलों के डॉक्टर बने.
मध्य प्रदेश के सागर जिले के रहने वाले आकाश चौरसिया ने बताया कि उन्होंने समय के साथ समझा कि ज्यादातर बीमारियां खराब खान-पान की वजह से होती हैं. इसका कारण जानना चाहा तो पता चला कि लोगों को शुद्ध अनाज और सब्जियां खाने को नहीं मिल रही है, जिससे वे बीमार हो रहे हैं. ऐसे में उन्होंने ठाना कि क्यों न कुछ ऐसा किया जाए जिससे लोगों को शुद्ध खान-पान मिले. इसी सोच के साथ आकाश ने साल 2011 में कुछ जमीन लीज पर लेकर जैविक खेती करना शुरू किया.
लगातार मेहनत करके हासिल की सफलता
आकाश ने खेती में लगातार मेहनत की. उन्होंने जैविक खेती करने के लिए सबसे पहले अपने खेतों की मिट्टी का पीएच चेक किया और फिर इसे स्वस्थ करने के लिए दिन-रात एक कर दिए. आकाश बताते हैं कि अगर किसी को अपने खेतों की मिट्टी का स्वास्थ्य ठीक करना है तो सबसे पहले पीएच टेस्टिंग करें. अगर पीएच लेवल 6.5 से 7.5 के बीच में है तो मिट्टी को ट्रीटमेंट की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि इसके लिए आपको एक एकड़ खेत में सामान्य पीएच की मिट्टी में 100 किलो चूना पाउडर और 50 किलो नीमखली पाउडर डाल दें. इन दोनों चीजों को डालकर खेत की जुताई कर दें और फिर जुताई के बाद इसे 15 दिन धूप लगने दें. उनका कहना है कि ऐसा करने से आपकी मिट्टी का उपचार होगा. इसके बाद आप अपनी फसल लगाने के बारे में सोचें. इस तरह के तरीके अपनाकर आकाश ने धीरे-धीरे पूरी तरह जैविक खेती शुरू कर दी और आज वह इस मुकाम पर हैं कि दुनियाभर के किसान उनसे ट्रेनिंग ले रहे हैं.
क्या है मल्टी-लेयर फार्मिंग
आकाश ने आगे बताया कि इतने सालों में उन्होंने की तरह के प्रयोग किए. और 2014 में, उन्होंने मल्टी-लेयर फार्मिंग की अवधारणा तैयार की. मल्टी-लेयर फार्मिंग से मतलब ऐसी खेती से हैं जिसमें एक ही खेत में एक ही समय पर चार-पांच अलग-अलग फसलें लगाई जाएं. उन्होंने सबसे पहले दो फसलों से शुरुआत की लेकिन इसमें घास और खरपतवार की समस्या काफी आई. इसे खत्म करने के लिए उन्होंने हरी फसलों जैसे कि पालक, धनिया, मेथी, और अन्य को जोड़ा. तेजी से बढ़ने वाली पत्तेदार फसलें लगाने से घास के लिए जगह कम हो जाती है. इस मॉडल से घास को 80% तक रोकने में मदद मिली.
हालांकि, अब वह एक ही जमीन पर चार फसलें साथ लगाते हैं. जिसमें सबसे पहले कंद वाली फसलें जैसे अदरक, हल्दी, कचूर, अरबी इत्यादि लगाते हैं. इसके साथ-साथ जमीन के सरफेस पर पत्ते वाली सब्जियां जैसे मेथी, पालक, चौलाई इत्यादि और इसके बाद, 6-6.5 फीट का बांस का ढांचा बनाकर लता वाली सब्जियां जैसे कि करेला, परवल, कुंदरू आदि और इसके बाद 15x15 फीट पर पपीता, सहजन, चीकु जैसी फलदार फसलें लगाते हैं. इस तरह खेती करने के कई फायदे हैं जैसे खेत एकदम भरा रहता है तो लगभग 80% पानी वाष्पित होने से बचता है और इसका संरक्षण होता है. इसके अलावा, आपको रेगुलर इनकम होती है क्योंकि एक के बाद दूसरी फसल की हार्वेस्टिंग शुरू हो जाती है.
लाखों लोगों को दी है ट्रेनिंग
आकाश चौरसिया ने लगभग 92,000 किसानों को जैविक खेती और इस तकनीक का प्रैक्टिकल प्रशिक्षण दिया है और लगभग 13 लाख अन्य लोगों को देशभर में भ्रमण करके इस खेती के बारे में शिक्षित किया है. सबसे दिलचस्प बात यह है कि उन्हें 30 से ज्यादा पुरस्कार मिल चुके हैं जिनमें मल्टी लेयर खेती के नवाचार के लिए प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया ग्राम मित्र युवा सम्मान का खिताब भी शामिल है.
खेती के इस तरीके को समझने के लिए अब उन्हें अलग-अलग देशों में भी बुलाया जा रहा है और वहां पर भी उन्होंने इसके मॉडल फार्म्स तैयार किए हैं. अंत में आकाश सिर्फ इतना कहते हैं कि आने वाले समय में कृषि क्षेत्र इंडस्ट्री बनकर उभरेगा और तब लोगों के पास ज्यादा जमीन नहीं होगी इसलिए उन्हें कम जमीन में ज्यादा उत्पादन करना होगा और वह भी शुद्ध और जैविक भोजन का.