मद्रास हाई कोर्ट के इतिहास में पहली बार किसी जज ने 'व्हाट्सएप' के जरिए एक केस को सुना. दरअसल, हुआ यूं कि मद्रास हाई कोर्ट के जज एक शादी के फंक्शन में हिस्सा लेने के लिए गए थे. ये फंक्शन शहर से बाहर नागरकोइल में था. इसपर याचिकाकर्ता ने एक जरूरी केस को तत्काल सुनने की अपील की, जिसके बाद जज ने इसे व्हाट्सएप के जरिए सुना.
सुनवाई नहीं हुई तो गांव को करना होगा दैवीय प्रकोप का सामना
आपको बात दें, सोमवार को एक रथयात्रा होनी थी, जिसके बारे में याचिकाकर्ता ने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो उनके गांव को दैवीय प्रकोप (देवी के क्रोध) का सामना करना पड़ेगा. इस दलील को देकर जस्टिस जीआर स्वामीनाथन से मामले को तत्काल सुनने का अनुरोध किया गया. जिसके बाद मद्रास हाई कोर्ट ने पहली बार वाट्सएप के जरिये मामले की सुनवाई की. ये दलील श्री अभीष्ट वरदराजा स्वामी मंदिर के ट्रस्टी पी आर श्रीनिवासन द्वारा दी गई थी.
याचिकाकर्ता के अनुरोध पर की सुनवाई
मामले की सुनवाई करते हुए सबसे पहले जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने कहा, “रिट याचिकाकर्ता के अनुरोध पर मुझे नागरकोइल में हो रही एक इमरजेंसी मीटिंग को रोककर व्हाट्सएप के माध्यम से मामले की सुनवाई करनी पड़ रही है.”
बता दें, ये एक त्रिकोणीय सेशन था, जिसमें न्यायाधीश नागरकोइल से मामले की सुनवाई कर रहे थे, याचिकाकर्ता के वकील वी राघवचारी एक स्थान पर और महाधिवक्ता आर षणमुगसुंदरम शहर में दूसरे स्थान पर थे. ये मामला धर्मपुरी जिले के एक मंदिर से जुड़ा हुआ है.
जज ने आदेश किया रद्द
हालांकि, यह मानते हुए कि हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ विभाग से जुड़े निरीक्षक के पास मंदिर ठक्कर (फिट व्यक्ति) और वंशानुगत ट्रस्टी को रथ उत्सव को रोकने का निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं है. जिसके बाद जज ने इसे रद्द कर दिया. आदेश को रद्द करने के बाद, जज ने मंदिर के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे मंदिर उत्सव आयोजित करते समय सरकार क निर्धारित नियमों और विनियमों का सख्ती से पालन करें.