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Maharashtra Politics: Eknath Shinde गुट की चिट्ठी में क्या है, Uddhav Thackeray के लिए कितनी बड़ी मुसीबत है लेटर

Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र का सियासी संकट और गहराता जा रहा है. उद्धव ठाकरे ने भले ही इस्तीफा नहीं दिया है. लेकिन मौजूदा सूरत-ए-हाल में उनकी कुर्सी डांवाडोल दिखाई दे रही है.

उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे
हाइलाइट्स
  • उद्धव ठाकरे की इमोनशल अपील के जवाब में चिट्ठी

  • शिंदे गुट के विधायक ने ठाकरे को लिखी चिट्ठी

  • चिट्ठी के जरिए उद्धव ठाकरे पर उटाए सवाल

उद्धव ठाकरे बागी विधायकों से इमोशनल अपील कर चुके हैं. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. उद्धव की इमोशनल अपील के जवाब में शिंदे ने आज बागियों के साथ पावर प्ले दिखा दिया. बागी विधायकों की तरफ एक चिट्ठी भी उद्धव को लिखी गई है. महाराष्ट्र में सियासी संकट उस मोड़ पर पहुंच गया है जहां से महा विकास अघाड़ी का सरकार गिरना तय माना जा सकता है. शिवसेना से एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे नरम पड़ चुके हैं और बागियों के सामने अपने इस्तीफे की पेशपश भी कर चुके हैं. 

उद्धव की अपील के बाद शिंदे गुट की चिट्ठी-
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सरकार और पार्टी बचाने के लिए फेसबुक पर आए और शिवसैनिकों से भावुक अपील करते हुए कहा कि अगर शिवसेना के विधायक चाहते हैं तो वो न केवल मुख्यमंत्री पद से बल्कि पार्टी के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं. ठाकरे की भावुक अपील के बाद शिंदे कैंप की तरफ से ठाकरे के लिए एक खुला पत्र सामने आया. चिट्ठी शिवसेना विधायाक संजय शिरसाट ने लिखी है. दावा किया जा रहा है कि इसमें सभी बागी विधायकों की भावनाएं बताईं गई है. 

शिंदे समर्थक की चिट्ठी में क्या है-
चिट्ठी में विधायक शिरसाट ने उद्धव ठाकरे को लिखा है कि पिछले ढाई साल से शिवसेना विधायक के तौर पर हमारे लिए आपके यहां दरवाजे बंद थे. आपसे मिलने के कई अनुरोधों के बाद वर्षा में बुलाया जाता. लेकिन वहां हमें घंटों बाहर खड़ा रखा जाता था. जब हम आपको फोन करते थे तो फोन उठाया नहीं जाता था. हमारे विधायकों के साथ ऐसा अपमानजनक व्यवहार क्यों किया जाता है. शिरसाट ने लिखा है कि कल आपने भावुक बातें की. लेकिन हमारे आपने हमारे बुनियादी सवालों का जवाब नहीं दिया. इसलिए मुझे पत्र लिखना पड़ा. शिरसाट ने अपने पत्र में एकनाथ शिंदे की भी तारीफ करते हुए कहा है कि वो मुश्किल समय में साथ थे और आगे भी रहेंगे.

बढ़ता जा रहा शिंदे गुट-
गुवाहटी में बागी शिंदे के खेमे में विधायकों की संख्या बढ़ती जा रही है. आज भी 7 विधायक गुवाहाटी पहुंचे हैं, जिनमें दो निर्दलीय है. अब शिंदे के खेमे में इतने शिवसेना के विधायक आ चुके हैं कि शिवसेना पर उनका दावा मजबूत होता जा रहा है. बागियों की मांग के आगे शिवसेना झुकती नजर आ रही है. शिवसेना के नेता संजय राउत ने यहां तक कह दिया कि अगर विधायक चाहते हैं तो वो कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन तोड़ने के लिए तैयार है. बशर्ते बागी विधायक गुवाहाटी से मुंबई लौट आएं.

महाराष्ट्र में बैठकों का दौर-
महाराष्ट्र में पल-पल बदल रहे सियासी घटनाक्रम को देखते हुए एनसीपी ने शरद पवार के घर पर बैठक बुलाई. जिसमें पार्टी के सभी बड़े नेता शामिल हुए. बैठक में उद्धव ठाकरे को समर्थन जारी रखने का फैसला किया गया. बीजेपी कैंप भी अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में है. आज देंवेद्र फडणवीस के घर पर बीजेपी के नेताओं की एक बैठक हुई और उसमें आगे की रणनीति पर विचार किया गया. 

पहले भी हुई है शिवसेना में बगावत-
बाला साहेब ठाकरे के द्वारा शुरु की गई पार्टी शिव सेना महाराष्ट्र की सियासत में हमेशा महत्वपूर्ण रोल अदा करती रही है. चाहे सरकार बनाना हो गिराना हो या फिर बचाना हो शिवसेना की ताकत उसके वफादार शिव सैनिक रहे हैं. अगर छगन भुजगल, नारायण राणे और राज ठाकरे को छोड़ दिया जाए तो पिछले 56 सालों में शिवसेना के नेता और कार्यकर्ता हमेशा अपनी पार्टी और बाला साहेब ठाकरे के वफादार रहे हैं.
शिवसेना के इतिहास में ये केवल चौथा मौका है, जब पार्टी के किसी नेता ने ठाकरे परिवार के खिलाफ बगावत की है. ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है कि आखिर काडर आधारित पार्टी होने के बाद भी शिवसेना में इतनी बड़ी बगावत कैसे हो गई. शिवसेना में राउत के बढ़ते कद से शिवसेना के कई ऐसे कद्दावर नेता नाराज हो गए, जो न केवल जमीन से जुड़े नेता थे. बल्कि बाला साहब ठाकरे के भी विश्वसनीय रहे थे. आज जब शिवसेना अपने अस्तित्व को बचाने की जंग में जूझ रही है. तब इस संकट के लिए राउत को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. बीजेपी भी कह रही है कि शिवसेना की इस स्थिति के लिए संजय राउत जिम्मेदार हैं.
एकनाथ शिंदे के पक्ष में विधायकों की बढ़ती संख्या की वजह से शिवसेना के दो फाड़ होने का खतरा बढ़ गया है और अगर शिवसेना टूटी तो महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार भी गिर जाएगा.

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