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Bijli Mahadev Ropeway: डेढ़ साल में बनकर तैयार होगा बिजली महादेव रोपवे, एक घंटे में मंदिर पहुंच सकेंगे 1200 लोग

Bijli Mahadev Ropeway: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वर्चुअल माध्यम से बिजली महादेव रोपवे का शिलन्यास किया. 272 करोड़ की लागत से यह रोपवे डेढ़ साल में बनकर तैयार होगा.

Bijli Mahadev Temple Bijli Mahadev Temple
हाइलाइट्स
  • घंटेभर में पहुंचेंगे 1200 लोग 

  • प्राचीन है बिजली महादेव मंदिर

हिमाचल में कुल्लू के मोहल नेचर पार्क में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बिजली महादेव रोपवे का वर्चुअली शिलान्यास किया. यह रोपवे डेढ़ साल में बनाकर तैयार किया जाएगा. वहीं इस रोपवे के बनने से 36000 सैलानी एक दिन में बिजली महादेव पहुंचेंगे और यहां के पर्यटन को भी इससे काफी फायदा पहुंचेगा. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश में 4000 करोड रुपए की परियोजनाओं का शिलान्यास व उद्घाटन किया. जिनमें बिजली महादेव रोपवे भी शामिल है. इस कार्यक्रम में सीपीएस सुंदर ठाकुर पर विशेष रूप से मौजूद रहे.

सीपीएस सुंदर ठाकुर ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी इस सौगात से उनके जिले कुल्लू के पर्यटन को काफी फायदा होगा. क्योंकि अभी सड़क मार्ग से बिजली महादेव पहुंचने के लिए सैलानियों को 2 से 3 घंटे का सफर तय करना पड़ता है. लेकिन रोपवे के माध्यम से सैलानी सिर्फ सात मिनट में बिजली महादेव पहुंच सकेंगे और देवता बिजली महादेव के दर्शन कर सकेंगे. 

घंटेभर में पहुंचेंगे 1200 लोग 
रोपवे निर्माण कार्य करने वाली नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड के मैनेजर अनिल सेन ने बताया कि बिजली महादेव का यह रोपवे मोनो केबल रोपवे होगा और 55 बॉक्स इसमें लगाए जायेंगे. इसकी क्षमता एक घंटे में 1200 लोगों को ले जाने की होगी और बाद में इस क्षमता को 1800 तक किया जाएगा. 

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रोपवे के निर्माण के लिए स्विट्जरलैंड की कंपनी से भी संपर्क किया गया है और अंतरराष्ट्रीय मांगों के अनुसार रोपवे में लगने वाला सभी मेटेरियल स्विट्जरलैंड की कंपनी से आएगा. जिससे रोपवे की गुणवत्ता भी काफी बेहतर होगी और सैलानियों को भी इस रोपवे की बेहतर सुविधा मिलेगी.

क्या है बिजली महादेव की कहानी 
आपको बता दें कि कुल्लू घाटी के सुंदर गांव काशवरी में स्थित है बिजली महादेव मंदिर. यह मंदिर 2460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है यह और इसके नाम के पीछे की वजह बहुत ही अनोखी है. बताते हैं कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर हर 12 साल में बिजली गिरती है और इसके बाद शिवलिंग के टुकड़े हो जाते हैं. इसके बाद पुजारी इन टुकड़ों को इकट्ठा करके उन्हें दाल के आटे, अनाज और मक्खन आदि से बने पेस्ट से जोड़ देते हैं. इस मंदिर की महिमा बहुत ज्यादा है इसलिए देश-दुनिया से लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं. 

(मनमिंदर अरोड़ा की रिपोर्ट)