
महान स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे की आज जयंती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें याद करते हुए कहा 'महान मंगल पांडे साहस और दृढ़ता के पर्याय हैं. उन्होंने इतिहास के बेहद महत्वपूर्ण समय में देशभक्ति की लौ प्रज्वलित की और अनगिनत लोगों को प्रेरित किया. उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि.'
भारत के इस महान स्वतंत्रता सेनानी के बारे में चलिए जानते हैं कुछ दिलचस्प बातें...
अंग्रेजों के छक्के छुड़ा देने वाले क्रांतिकारी मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को हुआ था. मंगल पांडे ने 1857 में ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ विद्रोह किया था, जिसके बाद तय तारीख से पहले ही उन्हें फांसी दे दी गई थी. उनके नाम से अंग्रेज थर्राते थे. मंगल पांडे 18 साल की उम्र में ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैन्ट्री में सिपाही के तौर पर भर्ती हुए थे.
मंगल पांडे ने दिया था 'मारो फिरंगी को' नारा
1857 ई. से सेना में ‘नई एन्फील्ड राइफल’ का प्रयोग आरंभ हुआ, जिसमें गाय और सूअर की चर्बी वाले कारतूसों का प्रयोग होता था. मंगल पांडे के नेतृत्व वाले सैनिकों ने ही सबसे पहले इन कारतूसों के प्रयोग संबंधी आदेश का उल्लंघन किया था. कहा जाता है अंग्रेजों के इस कदम से मंगल पांडे इतने क्रोधित हो गए कि उन्होंने अंग्रेजों को खत्म करने की कसम खा ली. उन्होंने 'मारो फिरंगी को' नारे के साथ अंग्रेजों पर हमला तक कर दिया था.
जल्लादों ने फांसी देने से किया इनकार
उन्होंने लेफ्टिनेंट बाग पर गोली चलाई, हालांकि उनका निशाना नहीं लगा. बाग ने भी मंगल पांडे पर निशाना साधा, लेकिन गोली निशाने पर नहीं लगी. इस तरह लेफ्टिनेंट बाग मौके पर से अपनी जान बचाकर भाग निकला. मंगल पांडे का यह प्रयास व्यर्थ नहीं गया. बैरकपुर से मेरठ, दिल्ली, कानपुर और लखनऊ तक सिपाही विद्रोह शुरू हो गया.मंगल पांडे के प्रयासों की वजह से ही अंग्रेज घुटने टेकने पर मजबूर हुए. हालांकि मंगल पांडे के इस विद्रोह के लिए उन्हें जेल में डाल दिया गया और मौत की सजा सुनाई गई. आपको जानकर हैरानी होगी कि बैरकपुर के जल्लादों ने मंगल पांडे को फांसी देने से इनकार कर दिया था, इसके बाद कलकत्ता से 4 जल्लाद बुलाए गए और उन्हें फांसी पर लटका दिया गया.
10 दिन पहले ही दे दी गई फांसी
मंगल पांडे ने फांसी से कई दिन पहले अपनी जान लेने की कोशिश भी की थी. और, इस कोशिश में वह गंभीर रूप से जख्मी भी हुए थे. 18 अप्रैल, 1857 का दिन मंगल पांडे की फांसी के लिए निश्चित किया गया था, जेल में बंद रहते हुए भी मंगल पांडे का प्रभाव इतना था कि जगह जगह अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ विद्रोह छिड़ गया. इस विद्रोह को शांत करने के लिए तय तारीख से 10 दिन पहले ही उन्हें 8 अप्रैल 1857 को फांसी दे दी गई. 1857 की क्रांति के बाद स्वतंत्रता संग्राम ने जोर पकड़ा और आगे चलकर भारत को आजादी मिली.