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Manipur Viral Video Case: केंद्र ने CBI को सौंपा मणिपुर वायरल वीडियो केस, जानें कब और किन मामलों में ये एजेंसी करती है जांच

CBI Investigation: केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उन्होंने मणिपुर वायरल वीडियो वाले मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है. अब तक सीबीआई 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है.

Manipur Viral Video Case Manipur Viral Video Case
हाइलाइट्स
  • इसको लेकर है एक एक्ट

  • केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया

मणिपुर वायरल वीडियो वाला केस अब सीबीआई के हाथों में चला गया है. हिंसा और साजिश से संबंधित पहले ही छह एफआईआर दर्ज कर ली गई थीं. साथ ही शुक्रवार तक इस मामले में अब तक सीबीआई 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है. दरअसल, केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उन्होंने मणिपुर में दो महिलाओं को नग्न अवस्था में घुमाए जाने वाले मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है. केंद्र ने आगे कहा कि सरकार महिलाओं के खिलाफ किसी भी अपराध के प्रति शून्य सहिष्णुता रखती है. 

कब लेती है CBI कोई भी केस?

मान लीजिए किसी राज्य की पुलिस ने पहले ही कोई मामला दर्ज कर लिया है, ऐसे मामलों की जांच CBI तीन तरीकों से कर सकती है-

1. राज्य सरकार इसे सीबीआई को ट्रांसफर करने के लिए अपनी सहमति देती है. ऐसा आम तौर पर तब हो सकता है, जब राज्य सरकार खुद इस संबंध में केंद्र से अनुरोध करती है (आम तौर पर, जब मामला ज्यादा संवेदनशील होता है या राज्य से परे व्यापक प्रभाव होता है) और केंद्र सहमत होता है, ऐसे ट्रांसफर के लिए एक अधिसूचना जारी की जाती है. 

या फिर ऐसा हो सकता है कि केंद्र राज्य सरकार से मामले को सीबीआई को ट्रांसफर करने के लिए सहमति देने का अनुरोध करे. जिसके बाद राज्य अपनी सहमति देता है और फिर केंद्र ने मामले को सीबीआई को ट्रांसफर करने के लिए एक अधिसूचना जारी करता है. लेकिन, इन दोनों ही स्थितियों में राज्य सरकार की सहमति जरूरी होती है.

2. दूसरा, सुप्रीम कोर्ट अगर मामले को सीबीआई को ट्रांसफर करने का निर्देश देता है तो उस मामले की सीबीआई जांच होती है.

3. संबंधित हाई कोर्ट, क्षेत्राधिकार रखते हुए, मामले को सीबीआई को ट्रांसफर करने का निर्देश दे सकता है. 

4. कभी-कभी,  दूसरी लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी ​​किसी मामले को सीबीआई को भेज सकती हैं. यह तब होता है जब उन्हें लगता है कि इसमें विशेष जांच की आवश्यकता है या यह सीबीआई के दायरे में आता है.

5. सीबीआई उन मामलों को भी अपने हाथ में ले सकती है जो मामले सेंसिटिव होते हैं या जिन मामलों पर मीडिया का ध्यान आकर्षित होता है. इसके अलावा जो केस सार्वजनिक हित में हैं, या जिनका राष्ट्रीय महत्व है वो केस सीबीआई अपने हाथ में लेती है.

6. केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों से जुड़े मामलों पर सीबीआई का अधिकार क्षेत्र है, चाहे अपराध किसी भी राज्य में हुआ हो.

इसको लेकर है एक एक्ट

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) 1946 दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट (DSPE) के अंडर आता है. इसके लिए किसी विशेष राज्य के भीतर किसी अपराध की जांच से पहले राज्य सरकारों की सहमति लेना जरूरी होता है. इसे हम कानून की भाषा में स्टेट गवर्नमेंट कंसेंट कहते हैं. यानि जबतक राज्य की अनुमति नहीं मिलेगी तब तक सीबीआई केस अपने हाथों में नहीं ले सकता है. 

डीएसपीई अधिनियम की धारा 6 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि DSPE का कोई भी सदस्य उस राज्य की सरकार की सहमति के बिना किसी राज्य में शक्तियों और अधिकार क्षेत्र का प्रयोग नहीं कर सकता है. 

राज्य कैसे देते हैं सहमति?

राज्य सरकारों द्वारा सहमति (State Consent) दो रूपों में दी जा सकती है - जनरल (General Consent) या केस स्पेसिफिक (Case-Specific Consent). जनरल सहमति सीबीआई को राज्यों के भीतर निर्बाध रूप से काम करने की अनुमति देती है. जबकि दूसरी ओर, अगर सीबीआई के पास जनरल सहमति नहीं है, तो उसे जांच करने से पहले मामले-दर-मामले के आधार पर सहमति लेनी होगी. अगर यह नहीं मिलती है तो इसका मतलब है कि सीबीआई राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के बिना उस राज्य में केंद्र सरकार के अधिकारियों या निजी व्यक्तियों से जुड़ा कोई भी नया मामला दर्ज नहीं कर सकती है.