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Azadi Ka Amrit Mahotsav: सरकारी स्कूल की छात्राओं ने मिलकर बनाई 8 किलो की सैटेलाइट...ISRO करेगा लॉन्च

देशभर के 75 स्कूलों की 750 छात्राओं ने आजादीसैट नाम से एक सैटेलाइट बनाई है जो बहुत जल्द पहली उड़ान भरने वाली है. इन छात्रों ने केवल 15 दिनों में दुनिया की पहली first-if-its-kind डिजाइन की और बनाई है.

'AzaadiSAT’  (Photo Credit: Space Kidz India) 'AzaadiSAT’ (Photo Credit: Space Kidz India)
हाइलाइट्स
  • दूर रहकर भी बच्चों ने किया एक साथ काम

  • लड़कियों को मिलेगा बढ़ावा

कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक की छात्राओं के लिए  एक अनोखा अवसर आने वाला है. इनमें से ज्यादातर छात्राएं ग्रमीण इलाकों से हैं. चल रहे 'आजादी का अमृत महोत्सव' (Azadi Ka Amrit Mahotsav)के हिस्से के रूप में इन लड़कियों ने एक 'आजादीसैट' नाम  से एक 8 किलो की स्टूडेंट सेटेलाइट बनाई है. 

यदि सब कुछ ठीक रहा, तो विभिन्न सरकारी उच्च विद्यालयों से संबंधित 750 लड़कियां इसरो से अपने उपग्रह को लेकर भारत के लेटेस्ट अंतरिक्ष यान के पहले प्रक्षेपण को देखेंगी. यह परियोजना चेन्नई स्थित स्पेस किड्ज इंडिया (एसकेआई) द्वारा संचालित है, जो भारत से नासा के अंतरिक्ष शिविरों के पहले राजदूत हैं. इन छात्रों ने केवल 15 दिनों में दुनिया की पहली first-if-its-kind डिजाइन की और बनाई है.

दूर रहकर भी बच्चों ने किया एक साथ काम
एक न्यूज पोर्टल से बात करते हुए, SKI के संस्थापक-सह-सीईओ डॉ श्रीमति केसन का कहना है कि उपग्रह विविधता में भारत की एकता का प्रतिनिधित्व करता है. "छात्र सैकड़ों किलोमीटर दूर थे फिर भी उन्होंने संचार के डिजिटल तरीकों के माध्यम से एक साथ काम किया." डॉ केसन का कहना है कि इस अनूठी पहल का उद्देश्य देश के भीतर नए अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की खोज करना है. डॉ केसन ने कहा, “75 छात्रों को टीमों द्वारा अपने स्वयं के स्कूलों में 75 पेलोड प्रोग्राम किए गए हैं, प्रत्येक टीम में 10 लड़कियां हैं. 'आज़ादीसैट' का प्रक्षेपण 15 अगस्त को इसरो के छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) के माध्यम से किया जाएगा. हालांकि, इसरो अध्यक्ष सटीक तारीख और समय की घोषणा करेंगे. ”

लड़कियों को मिलेगा बढ़ावा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रोत्साहित होकर डॉ केसन ने अंतरिक्ष में दुनिया की अनूठी मिसाल कायम करने के लिए लड़कियों में युवा प्रतिभाओं को बढ़ावा देने पर काम करना शुरू किया. अंतरिक्ष में छह महीने के मिशन जीवन के साथ, यह परियोजना महिलाओं को STEM (विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित) में आगे रखेगी है. जबकि हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज ने उपग्रह परियोजना के लिए धन सहायता प्रदान की. वहीं बेंगलुरु में अनंत टेक्नोलॉजीज ने उपग्रह के परीक्षण की सुविधा प्रदान की. उन्होंने कहा कि लड़कियों की टीम भविष्य में पृथ्वी से लगभग 80 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में 20 किलो का पेलोड भेजने के लिए 'साउंडिंग रॉकेट' पर भी काम कर रही है.