पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने लिव इन में रह रहे एक कपल को सुरक्षा देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने माना कि पहले पति या पत्नी को तलाक दिए बिना एक साथ रहने वाला कपल "लिव-इन रिलेशनशिप" की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है.
दूसरी महिला के साथ लिव इन में रहना द्विविवाह
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का कहना है कि शादीशुदा पुरुष का दूसरी महिला के साथ लिव इन में रहना द्विविवाह है. अदालत ने ये भी कहा कि यह आईपीसी की धारा 494/495 के तहत द्विविवाह का अपराध है.
पहले से विवाहित है पुरुष
हाईकोर्ट ने कहा, "पहली नजर में तो ऐसा लगता है कि व्यभिचार के मामले में किसी भी आपराधिक मुकदमे से बचने के लिए ये याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ताओं का छिपा हुआ इरादा सिर्फ अपने आचरण पर इस अदालत की मुहर प्राप्त करना है." याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि दोनों कानूनी रूप से एडल्ट हैं. क्योंकि महिला साथी का जन्म जनवरी 2002 में और पुरुष का अप्रैल 1996 में हुआ था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नोटिस किया है पुरुष न सिर्फ पहले से विवाहित है बल्कि उसकी 2 साल की बच्ची भी है. इतना ही नहीं उसकी पत्नी ने अदालत में तलाक की अर्जी भी नहीं दी है.
सितंबर 2023 से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा कपल
कोर्ट के समक्ष याचिका दायर करते हुए इस जोड़े ने बताया था कि वे सितंबर 2023 से लिव-इन रिलेशनशिप में हैं. पुरुष का परिवार इस रिश्ते से राजी है लेकिन महिला के परिजन इस रिश्ते के खिलाफ हैं और उन्हें जान से मारने की धमकी दी है. इसके बाद जोड़े ने सुरक्षा की मांग को लेकर हाईकोर्ट का रुख किया था.
भारत में बाइगैमी अपराध
अगर पति या पत्नी के जिंदा रहते हुए पति-पत्नी में से कोई भी बिन तलाक लिए दूसरी शादी कर लेता है तो इस शादी को कानून के अंदर कोई मान्यता नहीं मिलेगी. भारतीय कानून के मुताबिक बाइगैमी यानी द्विविवाह गैरकानूनी है.