scorecardresearch

Master Scuba Diver Kyna Khare: कुल 10 साल से ही शुरू कर दी थी ट्रेनिंग, अब दुनिया की सबसे कम उम्र की मास्टर स्कूबा डाइवर बनी कायना खरे

कायना ने स्पेशल कोर्स के साथ अपनी डाइविंग को जारी रखा. जिसमें पानी के नीचे की फोटोग्राफी, नाइट्रॉक्स डाइविंग आदि शामिल है. आखिरकार अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक मास्टर डाइवर के रूप में कायना की पहचान बनी. हालांकि, स्कूबा डाइविंग में कई चुनौतियां भी सामने आईं.

Master scuba diver Kayna Khare (Photo:ANI) Master scuba diver Kayna Khare (Photo:ANI)
हाइलाइट्स
  • चुनौतियों से भरा रहा सफर 

  • 10 साल से शुरू की ट्रेनिंग

बेंगलुरु की कायना खरे दुनिया की सबसे कम उम्र की मास्टर क्यूबा डाइवर बन गई है. महज 12 साल की उम्र में कायना ने दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला मास्टर स्कूबा डाइवर बनने का खिताब अपने नाम किया है. स्कूबा डाइविंग की दुनिया में कायना नई नहीं हैं. बल्कि 10 साल की छोटी सी उम्र से ही कायना ने अपनी ट्रेनिंग शुरू कर दी थी. कायना की पहली डाइव अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में थी. वो पहली बार था जब कायना ने लहरों के नीचे की दुनिया देखी थी. 

10 साल से शुरू की ट्रेनिंग 

10 साल की उम्र से कायना का ये सफर शुरू हो गया था. इस अनुभव ने कायना पर गहरा प्रभाव छोड़ा, जिससे वह एक ऐसे रास्ते पर चली गईं, जहां उसे अपने स्किल को निखारने के लिए अलग-अलग विदेशी जगहों की यात्रा करनी पड़ी. 

सम्बंधित ख़बरें

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, कायना बताती हैं, “जब मैं 10 साल का था तब मैंने स्कूबा डाइविंग शुरू कर दी थी. मैं पहली बार अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में थी. मुझे यह काफी मजेदार लगी. मैंने ओपन वाटर डाइव की थी.” 

नौसिखिए से मास्टर तक का सफर 

स्कूबा डाइविंग के लिए कायना का ये उत्साह जल्द ही एक्सपर्ट बनने  की ओर बदल गया. अपनी शुरुआती डाइव लगाने के बाद, कायना इंडोनेशिया के बाली में गई और ओपन वाटर से जुड़ा अपना एक सिलेबस पूरा किया. इसमें कायना ने एक बेहतरीन डाइवर बनने के सभी गुर सीखे.

लेकिन कायना अब एक बड़ा चैलेंज चाहती थी. जिसके चलते वह थाईलैंड गई. कायना ने यहां अपना एडवांस ओपन वॉटर सर्टिफिकेट हासिल किया. इस सर्टिफिकेशन के बाद कायना ने आगे कदम रखा. कायना बताती हैं, "मैंने बाली, इंडोनेशिया में अपना ओपन वॉटर कोर्स पूरा किया और थाईलैंड में अपना एडवांस्ड ओपन वॉटर कोर्स भी पूरा किया."

लेकिन कायना यहीं नहीं रुकीं. उन्होंने स्पेशल कोर्स के साथ अपनी डाइविंग को जारी रखा. जिसमें पानी के नीचे की फोटोग्राफी, नाइट्रॉक्स डाइविंग आदि शामिल है. और आखिरकार अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक मास्टर डाइवर के रूप में कायना की पहचान बनी.

चुनौतियों से भरा रहा सफर 

हालांकि, स्कूबा डाइविंग में कई चुनौतियां भी सामने आईं. एनडीटीवी रिपोर्ट के मताबिक, कायना बताती हैं कि मौसम की स्थितियां खतरनाक थीं, भारी तूफान और तेज पानी की वजह से डाइव करना मुश्किल हो जाता है. कायना कहती हैं, “मेरे पास पानी के भीतर बहुत सारी कहानियां और अनुभव हैं. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह डरावना था क्योंकि मौसम बहुत चुनौतीपूर्ण और खराब था. मुझे वहां अपना रेस्क्यू डाइविंग कोर्स करना था. पानी बहुत तेज था और तूफान और बारिश हो रही थी. मुझे अभी भी पानी के अंदर डाइव मारनी थी, और एक बेहोश डाइवर को 20 मीटर दूर नाव तक खींचना था. लेकिन मैंने इसे पूरा किया.”

परिवार का रहा साथ 

हालांकि, कायना की यात्रा में उनके परिवार का हमेशा साथ रहा. कायना की मां अंशुमा उन्हें एक "वॉटर बेबी" कहती हैं. वे कहती हैं,  “क्यना हमेशा से एक वॉटर बेबी रही है. उसने दो साल की उम्र में तैरना सीख लिया था. हमें उसे पूल से बाहर निकालना पड़ता था. वह अपार्टमेंट के स्विमिंग पूल में तैरती थी. 

शुरुआत में, कायना के माता-पिता अपने डर के कारण अपनी बेटी को स्कूबा डाइविंग करने से झिझक रहे थे. हालांकि, कायना के जुनून और दृढ़ संकल्प ने उन्हें पूरे दिल से उसका समर्थन करने के लिए मना लिया. आज कायना पूरी दुनिया में नाम रोशन कर रही है.